आखिर बंगाली झोलाछाप चिकित्सकों पर क्यों मेहरबान है स्वास्थ्य विभाग?

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अलीराजपुर लाइव के लिये अलीराजपुर से रिजवान खान की स्पेशल रिपोर्ट-
जिले में बंगाली झोलाछाप चिकित्सक अपना जाल फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिले के हर विकासखंड के कई ग्रामों में ये झोलाछाप चिकित्सक अपना अवैध चिकित्सालय संचालित करते देखे जा सकते है। आदिवासी बाहुल जिले में प्रषासन के सुस्त रवैये के कारण झोलाछाप चिकित्सक चांदी काटने में लगे हुए ैं। उपचार के नाम पर जिले के गरीब आदिवासियों का शोषण करने वाले इन झोलाछापों पर कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ खानापूर्ति ही की गई है। तहसील व विकासखंड मुख्यालय पर जब नए अधिकारी पदस्थ होते है तब शुरूआती दौर में इन झोलाछापों के यहां छापे और उनके फर्जी क्लिनीक को सील करने जैसी कार्रवाई होती है, लेकिन वक्त बीतने के साथ-.साथ मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
चिकित्सक मनमर्जी से देते है दवाई-
जिले में सैकड़ो झोलाछाप शहर से लगाकर ग्राम, कस्बे, फलिये तक जाल फैल चुका है। ये फर्जी लोग नई-नई फर्जी दवा कंपनियों का जहर जिले के गरीब आदिवासियों की रगों में बेखौफ उतार रहे हंै। एक तरह से अलीराजपुर जिला ड्रग ट्रायल का अड्डा बन गया है। ये मरीजों को हाई डोज दे कर उन्हें तात्कालिक आराम पहुंचाकर उनके भगवान बन जाते है। इनके चक्कर में पडऩे वाले मरीज इनके मुरीद होकर रह जाते है। इनके यहां उपचार करवाने के बाद उन्हें कहीं ओर आराम नहीं मिलता क्योंकि कोई भी एमबीबीएस या एमडी चिकित्सक एक अनुपात में ही मरीज को दवा की खुराक देता है न कि इन झोलाछापों की तरह अनाप.शनाप दवा की अति खुराक। उदयगढ़ क्षेत्र जहां पर दर्जनभर से अधिक इस तरह के झोलाछाप चिकित्सक बिना एक्स-रे के दांत उखाडऩा, पट्टा चढ़ाकर फ्रैक्चर हड्डी को उल्टा सीधा जोडऩा और अवैध गर्भपात जैसे कृत्यों में संलग्न है।
बन गए है यहां के मूल निवासी-
मूलत: बंगाल प्रांत के इन झोलाछाप चिकित्सकों ने इस आदिवासी जिले में पैठ बना ली है। इन लोगों ने यहां के मूल निवासी होने का प्रमाण-पत्र हासिल करने के साथ ही निर्वाचन नामावली में भी स्थान पा लिया है। इन्हीं में से कुछ तो ऐसे भी है जो आदिवासी होने का दावा करते है। यहां आकर बस गए झोलाछाप बंगाली बाबुओं ने न सिर्फ इस जिले में बल्कि रतलामए इन्दौर और गुजरात प्रदेश तक लाखों रूपयों की संपत्ति बसा ली है।
बच्चें पढ़ते है महंगी स्कूलों में –
इन झोलाछाप चिकित्सकों के बच्चें महंगी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे है और यदि इनके बच्चों को इलाज दाहोद, बड़ौदा, इन्दौर के निजी चिकित्सालयों में करवाते हैं,जबकि यहां के गरीब आदिवासियों की ये तमाम किस्म की जांच भी अपने ही क्लिनीक में कर डालते है।
क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई-
आखिरकार ऐसी क्या वजह है जिला मुख्यालय पर बैठे जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीए जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी इन झोलाछाप बंगाली चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं करना चाहते। जिला मुख्यालय पर ही सोरवा नाका चौराहा, चांदपुर नाका, दाहोद नाका, झण्डा चौक के समीप सहित नगर के कई इलाकों में कई अवैध फर्जी क्लिनीकों का संचालन झोलाछाप बंगाली चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है। इसी तरह से जिले के ग्राम बड़ी सर्दी, आम्बुआ, उमराली, छकतला, बखतगढ़, सोण्डवा, कदवाल, चन्द्रशेखर आजाद नगर, उदयगढ़, नानपुर, चान्दपुर, खट्टाली, बरझर, फूलमाल सहित जिले के अनेक क्षेत्रों में बंगाली चिकित्सकों ने अपना जाल फैलाकर गरीब आदिवासियों को शोषण कर उनकी सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा हैए जिस ओर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, जिला स्वास्थ्य अधिकारी इन झोलाछाप बंगाली चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं कर रहे है। जिले के एक विकासखंड में पदस्थ सीबीएमओ का कहना है कि हम समय-समय पर जिला अधिकारियों को बंगाली चिकित्सकों के बारे में कार्रवाई करवानें के लिये अवगत कराते है।