ग्रामीणों की कियोस्क सेंटर-बैंकों में कड़ी धूप में भूखे प्यासे रहकर कर 500₹ निकलने की कर रहे जद्दोजहद

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भूपेंद्र बरमण्डलिया@मेघनगर कोरोना की चपेट मे सम्पूर्ण अंचल हैं ।संक्रमित बचाव हेतु नित नई गाईड लाइन शासन प्रशासन तयकर रहा हैं । दो माह से पब्लिक से पुलिस भी अपील करते थक गइ।किन्तु अब बाजार खुल गये । मगर नियमो की धज्जियां भी उड़ रही हैं ।शोसल डिस्टेंन को धता बताकर ग्रामीण एक दूसरे के समीप खड़े रहते है तो कई दुकानों पर भी इनका पालन नहीँ हो पाता ।

*बैंकों व कियॉस्कर सेंट्रो पर लगी लम्बी कतार*

एक और कोरोना की मार से जन जीवन प्रभावित हैं , तो दूसरी और बैंकों व कियॉस्क सेंट्रो पर लगी लम्बी कतार बता रही हैं कि ग्रामीण 500 रु निकालने के लिये किस कदर जान जोखिम में डाल रहे हैं।पिपलोदा,खुटावा, बेड़ावली,नवागांव, पिपलखुटा, घोसलिया,झाराडाबर,हीरापुर आदि क्षेत्र की सेकड़ो महिलाएं तीन से सात किलोमीटर दूर गांव से अलसुबह आकर गोल घेरे में नम्बर हेतु चपल रख देती हैं ।भोर की पहली किरण से इन्हें आशा की किरण का संचार होता हैं कि आज पैसे निकल ही जायेगे। डाटटपट,फटकार,पुलिस का डर और गर्मी का कहर आदि सहकर भी ये बेचारी आस ओर विश्वास से डटीं रहती हैं ।पिपलोदा की रम्मू हो घोसलिया कि पुनि हो हीरापुर की सीता हो या बेड़ावली की रम्मू मचार बताती हैं कि हम पैदल चल कर आते हैं यहाँ लाइन में लग कर घण्टो इंतजार करते हैं , फिर चिट्टी मिलती हैं पांच छः घण्टे लग जाते हैं घर पहुँचते पहुँचते पूरा दिन बीत जाता हैं दिन भर की थकान ओर गर्मी से हाल बे हाल पर पेट की आग के लिये सूरज का ताप भी सहन उनकी नीति बना है शासन व बैंक वाले व कियॉस्कर सेंटर के कर्मचारियों को गांव गांव चयनित पंचायतों में भेज कर इस समस्या से इन्हें मुक्ति दिला सकते हैं।फिलहाल तो तबति धूप सूखे कन्ठ व लम्बी कतार की बढ़ती रफ्तार बता रही हैं भूख की बेबसी व ग्रामीणों की मजबूरी क्या हैं।

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