गुरु उमेशाचार्य जयंती व पक्खी पर बोली साध्वी निखिलशीलाजी- गुरु के ज्ञान में भक्त स्नान कर पवित्र हो जाते है

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रितेश गुप्ता, थांदला

 जिन शासन गौरव आचार्य भगवंत जन जन की आस्था के केंद्र पूज्य गुरुदेव श्रीउमेशमुनिजी म.सा. “अणु’ की 88वीं जन्म जयंती ज्ञान-दर्शन-चारित्र-तप की आराधना करते हुए मनाई। आजाद चौक स्थित पौषध भवन पर धर्मसभा में गुरु गुणानुवाद में जैन आगम आचारांग के पाँचवें अध्ययन के अन्तर्गत सरोवर की चौभंगी की व्याख्या करते हुए विदुषी साध्वी श्रीनिखिलशीलाजी म.सा. ने कहा कि गुरु का जीवन सरोवर के समान होता है। जिसकी ज्ञान गंगा में पतित पावन बन जाते है। सरोवर के जल की मिठास की तरह गुरु की वाणी के माधुर्य से उनके आलोचक भी नतमस्तक हो जाते थे। गुरु उमेशाचार्य सरोवर की निर्मलता व पवित्रता के समान वे स्वयं मोहोदय व कषाय को क्षय कर भक्तों में सद्ज्ञान सद्प्रेरणा की गंगा प्रवाहित कर जीवन परिवर्तन कर देते थे। गुरु स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम होते है वे सरोवर की भांति 5 समिति 3 गुप्ति 12 व्रतों को शिरोधार्य कर मर्यादित जीवन जीते हुए भव्य जनों को तारते है। गुरुगुणानुवाद धर्मसभा में पूज्या श्रीदिव्यशीलाजी म.सा. ने कहा कि काली अमावस्या की रात को जन्म लेकर आपने चारों तरफ ज्ञान का प्रकाश फैलाया है। उन्होंने इस अवसर पर गुरु साहित्य की अनमोल धरोहर से इकलौते उपन्यास लग्न की बेला पर अनुप्रेक्षा करते हुए प्रवचन श्रंखला की शुरुआत की। इस अवसर पर महासती दीप्तिश्री जी ने गगन गुंजा दो भक्ति से करो जयकारा – गुरु उमेश जन्म दिवस मंगलम स्तवन से भावाभिव्यक्ति की। गुरु जन्म जयंती के साथ ही आगामी 19 मार्च को गुरु पूण्य स्मृति दिवस होने है महासतियाजी म.सा. ने 26 दिवस गुरु आराधना पर्व मनाने की प्रेरणा देते हुए इन दिनों गुरु साहित्य अनुप्रेक्षा व 88वीं जन्म जयंती पर सामायिक आदि धर्म स्वाध्याय की प्रेरणा दी। धर्मसभा में संघ के पूर्वाध्यक्ष भरत भन्साली ने संघ कि ओर से इस क्षेत्र को अनार्य से आर्य क्षेत्र बनाने के लिये गुरु उमेशमुनिजी के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त की। गुरु जन्म जयंती के साथ ही आज पक्खी पर्व होने से महिला मण्डल द्वारा दोपहर को नवकार महामन्त्र के नियमित जाप रखे। वही कल गुरु स्मृति में सिविल शासकीय अस्पताल में फल-बिस्किट वितरण करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर जैन धर्म में 29वें सन्त बने धर्मेन्द्रभाई की अंतरंगसागरजी महाराज बन जिन शासन की प्रभावना कर आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने पर अनुमोदना की गई।

पक्खी पर्व पर आराधना – पारणें का लाभ राजेन्द्र व्होरा को

गुरु जन्म जयंती व पक्खी पर्व के संयोग से विराजित महासतियाजी के सानिध्य में अनेक श्रावक श्राविकाओं ने 3-3 सामयिक कर उपवास, आयम्बिल, निवि, एकासन व बियासन तप के प्रत्याख्यान ग्रहण कर रत्नत्रय की आराधना की। सभी तपस्वियों के पारणें का लाभ संघ के पूर्व मंत्री राजेन्द्र चतरभुज व्होरा परिवार ने लिया। सभी तपस्वी कल प्रातः 7:15 पर प्रार्थना व नवकार मंत्र के जाप के बाद महावीर भवन में पहुँचकर परणें करेंगे। उक्त जानकारी श्रीसंघ के प्रवक्ता पवन नाहर ने दी।

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