उद्योगपति दानवीर जैन मित्र परम श्रद्धेय श्री शैलेष घीया ने शासकीय विद्यालयों में 10 हजार ऊनी स्वेटरों का किया वितरण

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राज सरतलिया, पारा
आदिवासियों के मसीहा परम पूज्य राजेंद्र विजयजी महाराज साहब के पावन सानिध्य में प्रसिद्ध उद्योगपति दानवीर जैन मित्र परम श्रद्धेय श्री शैलेश  घीया मुंबई के सौजन्य से झाबुआ जिले के विभिन्न शासकीय विद्यालयों में 10,000 से अधिक ऊनी स्वेटर वितरण के कार्यक्रम की श्रंखला मे सोमवार को पारा की शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर पर निःशुल्क जैन मित्र स्वेटर वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पारा एवं आसपास रहिंदा वलोला बड़ी की स्कूलों के छठी से लेकर दसवीं तक के बालक और बालिकाओ को यह स्वेटर वितरण किया गया। इस स्वेटर वितरण कार्यक्रम में कुल 1100 स्वेटर का वितरण हुआ।
शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पारा के स्कूल परिसर में हुए इस गरिमामय कार्यक्रम में पधारे आदिवासियों के मसीहा परम पूज्य गणि श्री राजेंद्र विजय जी महाराज साहब और दानवीर परम् श्रद्धेय जैन मित्र श्री शैलेंद्र घीया उनकी धर्मपत्नी  शुशीला घीया और अन्य अतिथियों का स्कूल में उपस्थित बालक बालिकाओं ने आदिवासी नृत्य कर स्वागत किया तत पश्चात मंच पर मां सरस्वती की पूजन के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में झाबुआ सीडब्ल्यूसी प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट यसवंत भण्डारी, सरपंच इंदुबाला डामोर, जनपद प्रतिनिधि गजेंद्र सिंह राठौड़, जैन श्री संघ अध्यक्ष प्रकाश तलेसरा, नवयुवक परिषद अध्यक्ष दिलीप कोठारी, पुलिस चौकी प्रभारी रमेश कोली, जयंत बेरागी, सुरेश कोठारी,मनोहर कर्णावत, सुभाष कांकरिया, राजेंद्र पगारिया, राकेश पगारिया, राकेश कटारा, कार्यक्रम संयोजक पलाश कोठारी, अंतिम भंडारी, प्रभारी प्राचार्य मुकेश भूरिया, मंसूर अली खान ,गुलाब सिंह डावर, राजेंद्र पंचाल और संस्था समस्त शिक्षक एवं शिक्षिकाएं नगर के गणमान्य नागरिक पत्रकार आदि सभी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम की शुरुआत मे सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत रेखा चौहान के द्वारा की गई स्वागत गीत के बाद स्वागत भाषण प्रभारी प्राचार्य मुकेश भूरिया कार्यक्रम के संयोजक पलाश कोठारी द्वारा स्वागत मासूम दिया गया। इस कार्यक्रम में परम पूज्य गुरुदेव का संस्कार रूपी प्रवचन हुआ सभी बच्चों को उन्होंने संस्कार रूपी ज्ञान दिया जिसमें उन्होंने बताया कि अनुशासन विद्यार्थियों का सच्चा मित्र है व्यसनों से दूर रहना चाहिए और मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए आदिवासी संस्कृति को बचाना जल जंगल और जमीन को बचाना आदिवासियों को अपनी मूल संस्कृति का संरक्षण करना चाहिए जय जवान जय किसान जय विज्ञान का नारा आदिवासी हर हाल में पूरा करता है इस तरह के उद्बोधन के पश्चात इस कार्यक्रम में श्री शेलेन्द्र जी घीया का उदबोधन हुआ जिसमें उन्होंने बच्चों को जीवन जीने की कला अनुशासन में रहने की कला और सूक्ष्म लघु कहानियों से ज्ञान कैसे अर्जित किया जाता है और कुछ नैतिकता और संस्कार की बाते बताई। अंत मे आभार दशमसिह चौहान ने माना।

 

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