दशामाता पर्व: दशा माता सीख दो घर जावां…SEE VIDEO..

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सलमान शेख@ झाबुआ Live..
पेटलावद। उठो राणी रुकमण पूजो पतवारी…के आह्वान गीत के साथ महिलाओं ने आधी रात पतवारी पूजी और दूध, दही आदि से अभिषेक किया। परिवार के सुख-समृद्धि के लिए आटे से बने आभूषण चढ़ाए और श्रृंगार दान अर्पित कर चिर सौभाग्य की कामना की।
आपको बता दे कि प्राचीन ग्रंथों में ऋषि-मुनियों ने अपने अनुभव से सिद्ध किया है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है, तब उसके सब कार्य अनुकूल होते हैं, किंतु जब यह प्रतिकूल होती है, तब अत्यधिक परेशानी होती है। इसी दशा को दशा भगवती या दशा माता कहा जाता है। हिंदू धर्म में दशा माता की पूजा तथा व्रत करने का विधान है।
यह व्रत शनिवार को आज 30 मार्च को महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। शहर सहित पूरे अंचल में आज महिलाओं ने व्रत रखकर विधि-विधान से पीपल के पेड़ पर धागा बांधकर दशा माता की पूजा-अर्चना कर रही है। अंत में कथा का श्रवण भी किया।
*कोई तडक़े ही जाग गई तो किसी ने पूरी रात आंखो में काट दी:*
दशा माता पूजन को लेकर शहर और समूचे अंचल में महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। कोई तडक़े ही जाग गई तो किसी ने पूरी रात आंखों में काट दी। कहीं रात 12 बजे पतवारी पूज ली गई तो किसी ने सुबह तक यह मनोरथ किया। जहां-कहीं पीपल का पेड़ दिखा, जगह-जगह रखी पूजन सामग्री श्रद्धा को दर्शा रही थी। पीपल पर कूकड़ी लपेटने का क्रम लगातार जारी है।
शहर के गणपति चोक में कथा और पीपल पूजन के बाद महिलाओं ने पीपल के वृक्ष के आगे घूमर भी रमी। इस दौरान महिलाओं की काफी भीड़ देखी गई। लोक कथाओं के श्रवण के बाद दशा माता सीख दो घर जावां, यादव राणी सीख दो घर जावां…गीत को स्वर देते हुए उन्होंने इस साल के लिए माता को विदा करते हुए दस दिवसीय कथा और व्रत अनुष्ठान को विराम दिया। घरों में विशेष रूप से लपसी बनाने के साथ माता को धूप लगाया गया। इसी धूप के धुएं से निकाली वेळें (दस गांठ लगे सूत के पीले धागे) गले में धारण करने के बाद आहार किया।
*बड़ा रामजी मंदिर के पीछे पीपली बाड़े में उमड़ रही आस्था:*
दशामाता पूजन के लिए नगर के बड़ा रामजी मंदिर स्थित प्राचीन पीपली बाड़े में आस्था उमड़ रही है। यहां प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी विधि-विधान से हो रही है। आपको बता दे कि यहां स्टेट के जमाने से यह पीपल पूजी जा रही है। आम धारणा है कि यह वृक्ष 200 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। यहां पूजा और व्रत की कथा का संचालन गामोठ परिवार वर्षो से करते आ रहे है। इस वर्ष भी वर्तमान गामोठ पंडित प्रकाशचंद्र कौशिक व गौरव कोशिक द्वारा सुबह 4 बजे मां दशामाता को 10 तार की जनेऊ पहनाकर व्रत की शुरूआत की।
*यहां लग रही महिलाओं की भीड़:*
दशामाता के पर्व पर गणेश चौक, निलकंठेश्वर महादेव मंदिर, शनि मंदिर सहित करीब एक दर्जन स्थानो पर स्थित पीपल के वृक्ष पर महिलाओं का पहुंचना सुबह से ही शुरू हो गया था। महिलाओं ने पूजा के साथ परिक्रमा कर वृक्ष पर आस्था की सूत से बनी डोर बांध परिवार में सुख-समृद्धि की मंगल कामना की।
कथा सुनने के पश्चात महिलाओं ने अपने-अपने घरो के दरवाजो के दोनो तरफ हल्दी कुमकुम के छापे लगाकर पूजा का जल घर में छिडक़ा। पीपल के वृक्ष की पूजा करने का वैज्ञानिक एवं पर्यावरण सरंक्षण का महत्व है। सभी वृक्षों में पीपल का वृक्ष सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि एकमात्र पीपल का ही पेड़ ऐसा है जो रात के समय अन्य वृक्षों की तरह कॉर्बनडाईऑक्साईड नहीं छोडते हुए ऑक्सीजन ही छोड़ता है। पंडितो के अनुसार पीपल में सभी देवों का वास मानकर पीपल के वृक्ष को देवतुल्य रूप मानकर पूजा अर्चना की जाती है।

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