आदिवासियों के सांस्कृतिक भोंगर्या हाट की भ्रामक खबरों व मिलावटी सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया जाए 

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आलीराजपुर। आदिवासियों का फसलिया हाट भोंगर्या हाट की शुरुआत 7 मार्च 2025 से अंचल में हो रही है।  भोंगर्या हाट में व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जयस जिलाध्यक्ष अरविन्द कनेश के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम से कलेक्टर प्रतिनिधि संतोष रतनाकर को ज्ञापन सौंपा गया। भोंगर्या हाट कि खबरों ने भयवाह माहौल बना दिया जिसके कारण संचालन व्यवस्था और सुरक्षा के ऊपर सवाल उठ रहा है। आपको अवगत हो, रबी की फसल की कटाई के बाद आदिवासी क्षेत्र में प्रमुख रूप से भोंगर्या हाट का आयोजन पारंपरिक रूप से हर वर्ष किया जाता है हमेशा की तरह इस वर्ष भी 7 मार्च 2025, से प्रारंभ होकर 13 मार्च 2025, को भोंगर्या हाट समाप्त होगा।

ज्ञापन में बताया भोंगर्या हाट रबी फसल की कटाई के बाद आदिवासियों द्वारा आदिवासियों के लिए पारंपरिक रूप फ्री समय अंतराल में किया जाता है, इसे फसलिया हाट भी कहते है। भोंगर्या मेला राजा कसुमर और बालुन के समय अस्तित्व में आया, यह मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल (बड़वानी, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन आदि कई जिलों के आदिवासी गांव में आयोजित होते है ) आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से आदिवासी संस्कृति की झांकिया दिखाई देती है। आदिवासी परिवार आपस मे कुलदेवी के पूजन हेतु सामग्री खरीदते है, तथा परिवार सहित भोंगर्या हाट देखते है।

भोंगर्या हाट के समय बड़वानी, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन के फूल पलास के पेड़ पर दिखाई देते और आदिवासी संस्कृति का बोलबाला रहता है।

भोंगर्या हाट पर लिखी कुछ किताबों के अनुसार रबी की फसल कटाई के बाद के समय लगने वाले हाटों को कहा जाता था। इस समय दो भील राजाओं राजा कसुमर औऱ बालून ने अपनी राजधानी भागोर में जिसमे फसल की कटाई के बाद सामग्रियों की खरीद के लिए विशाल मेले औऱ हाट का आयोजन करना शुरू किया। धीरे-धीरे आस-पास के भील आदिवासी राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया जिससे हाट और मेलों को भोंगर्या कहना शुरू हुआ।

ज्ञापन में कहा आदिवासियों के अलिखित इतिहास होने के कारण लोगों के द्वारा भ्रामक औऱ आधारहीन तथ्यों का प्रचार प्रसार कर कहा जाता है कि इस हाट बाजार में युवक-युवतियाँ अपनी मर्जी से भागकर शादी करते हैं या “आदिवासियों का वेलेंटाइन डे” तक कह दिया गया। जबकि ऐसा वास्तविकता में कुछ भी नही होता हैं यह सरासर गलत जानकारी हैं। आदिवासियों का इतिहास लिखित न होकर पारंपरिक, रूड़ी प्रथाओं के रूप में जिंदा है, अलिखित इतिहास होने के कारण इसका दुरुपयोग करते हुए इसका फायदा उठाया गया, टी. आर.पी और खबरों में “मसाला खबर” बनाने के लिए भोंगर्या को लेकर भ्रामक और आधारहीन तथ्य का पाठ्य पुस्तकों और इंटरनेट पर प्रचारित होने लगा। इससे आदिवासी समाज मे भोंगर्या हाट की छवि ख़राब करने की कोशिश की गई है। 

आदिवासी संगठनों की लगातार मांग पर मध्यप्रदेश सरकार के आदिम जाति कल्याण विभाग की अनुसंधान और विकास संस्था ने भोंगर्या हाट की स्टडी की है। इस संबंध में मध्यप्रदेश विधानसभा में अशासकीय प्रस्ताव भी पारित किया गया था। उसके बाद संस्था को भोंगर्या हाट के अध्ययन के लिए दायित्व सौंपा गया था। स्टडी में पाया गया कि भोंगर्या हाट में आदिवासी समूचे परिवार के साथ सामग्री खरीदने जाता है, प्राचीन समय में आवागमन के साधन कम होने के कारण एक दिन बैलगाड़ी से पूरे परिवार के सदस्य आते थे और अपने रिश्तेदारों से मिलने की खुशी में उन्हें पान खिलाया जाता था, भगोरिया भागकर शादी करने का पर्व नही, न ही परिणय पर्व है बल्कि रबी की फसल के उपरांत होने वाला हाट है । आदिवासी समाज में होली का डांडा गाड़ने के बाद कोई भी मांगलिक कार्य या शुभ कार्य नही होता है।

लेकिन जो पाठ्य पुस्तकों औऱ इंटरनेट पर भ्रामक और झूठे तथ्यों का प्रचार किया जो कि गलत है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने मसाले खबर वाली टी. आर.पी. के लिए कुछ भी दिखाया, प्रिंट मीडिया ने भोंगर्या की प्रतिष्ठा को क्षतिग्रस्त किया, इंटरनेट ने भोंगर्या हाट की छवि को बदनाम किया वही पाठ्यक्रम की पुस्तकों में लेखक ने बिना शोध के घर बैठे बैठे वास्तविकता से परे आधारहीन औऱ भ्रामक तथ्य लिखे जिसके परिणाम स्वरूप आदिवासी युवतियों के साथ दुर्व्यवहार होने लगा है, छेड़छाड़ और शोषण की खबरें सामने आती है। स्टडी सामने आने के बाद आदिवासी संगठनों ने लगातार मीडिया और इंटरनेट से प्रचलित झूठे और मिथ्यक ख़बरों को हटाने मांग कर रहा है ताकि छवि में सुधार किया जा सके है, वास्तविकता सामने रखी जाए।

भोंगर्या हाट में सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए ड्रोन और सीसीटीवी लगाया जाए, संचालन की जिम्मेदारी ग्रामसभा को सौंपी जाए

मीडिया तथा इंटरनेट पर झूठे खबरों व मिथ्यक जानकारियों ने भोंगर्या हाट की प्रतिष्ठा और गरिमा को क्षतिग्रस्त किया है जिसके कारण भ्रांतियो ने, भोंगर्या हाट में महिलाओं की सुरक्षा चिंता का विषय है, असामाजिक तत्वों द्वारा भोंगर्या हाट में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। इसलिए विवाद का भयावह रूप बन जाता है। पिछले कुछ सालों में इंटरनेट पर कई विडियो वायरल हुए तथा विगत मामलों की खबरों में महिलाओं की सुरक्षा बड़ा सवाल के रूप में सामने आया है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे से भोंगर्या हाट में चौक-चौराहे पर सुरक्षा के लिए निगरानी होनी चाहिए। वही भोंगर्या हाट को संचालन करने की जिम्मेदारी स्थानीय ग्राम सभा को देना चाहिए ताकि व्यावहारिक और व्यवस्थित संचालन किया जा सके।

भोंगर्या हाट में विदेशी शराब, अवैध सट्टा और मिलावटी सामग्रियों पर लगाए रोक

भोंगर्या हाट में विदेशी शराब के कारण आसामाजिक तत्वों द्वारा उत्पात मचाया जाता है जिसके कारण विवाद होता है, माहौल खराब होने से सुरक्षा व्यवस्था में बाधा उत्पन होती है।  वही भोंगर्या हाट में असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध सट्टा चलाया जाता हैं, लालच देकर बच्चों और युवाओ को लालच देकर फसाया जाता है। जो चिंता का विषय है, भोंगर्या हाट में मुख्य रूप से खाद्यान्न सामग्रियों में मिलावट होता है, गुणवत्ता की जांच करने के लिए टीम होना चाहिए, ताकि लोगो का स्वास्थ्य पर गहरा असर ना हो, कई लोगो को इसके कारण जान तक गवानी पड़ती है। मिलावट औऱ अनहेल्दी खाने की सामग्री की जांच के लिए टीम गठित होना चाहिए। आपातकाल के लिए एंबुलेंस या अस्थायी अस्पताल बनाया जाना चाहिए।इस अवसर पर मालसिंह तोमर, भील सिंह बघेल, अंकित किराड़, देवा कनेश,कैलाश डावर, कदम सोलंकी, कमलेश अजनार, राहुल भिंडे, नंदू बामनिया, रितेश चौहान, नानसिंह चौहान, भाचरिया भाई,प्रदीप डावर, डुमनिया अजनार, खजान सिंह किराड़, निर्भय सिंह किराड़, सजना किराड़, मुकेश सोलंकी, इलू सोलंकी, रामलाल सोलंकी, छगन सोलंकी, दशरीया सोलंकी, प्रताप चोंगड, सेवान डावर, मोनू किराड़, अन्तर सिंग चोंगड, आदि उपस्थित थे। ज्ञापन का वाचन रितेश रावत ने किया गया।

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