आरईएस विभाग का कारनामा, 40.32 लाख की लागत के निस्तार तालाब का निर्माण ठेकेदार से करवाया

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आलीराजपुर। आलीराजपुर जनपद की ग्राम पंचायत थोड़सिंधी में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ₹40.32 लाख की लागत से अमृत सरोवर (निस्तार तालाब) स्वीकृत किया गया था। जिसका निर्माण पूर्ण हो गया है। करीब ₹25 लाख तक राशि खर्च की जा चुकी हैं, लेकिन वहां काम करने वाले स्थानीय कामगारों की मजदूरी एवं मुरूम धुलाई करने वाले ट्रैक्टर भाड़ा राशि आज तक ठेकेदार द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। जिसकी शिकायत लेकर ग्राम पंचायत थोड़सिंधी के मजदूर व  ट्रैक्टर मालिक बुधवार को कलेक्टर कार्यालय शिकायत लेकर पहुंचे थे। जहां उन्होंने बताया कि हमारे गांव में निस्तार तालाब का निर्माण हुआ था, उस तालाब का ठेका शांतिलाल नाम का एक ठेकेदार द्वारा हमारे ट्रैक्टर एवं हमारे यहां के मजदूरों को समय पर मजदूरी व ट्रैक्टर ढुलाई भाड़ा भुगतान करने के वादे से काम पर लगाया था,लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी मजदूरी का एवं मूरम धुलाई भाड़ा नहीं दिया है। हम कई बार ठेकेदार को संपर्क करते हैं तो वे जनपद के अधिकारियों एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधिकारियों से संपर्क करने को कहते हैं,और अधिकारी ठेकेदार से संपर्क करने को कहते हैं। इस प्रकार का टाल-मटोल पिछले एक साल से किया जा रहा है। लेकिन आज तक हमें हमारी मेहनत के पैसे नहीं मिले हैं। आज इसलिए हम कलेक्टर कार्यालय में आकर अपना लिखित आवेदन दिया है। जिसमें हमने हमारे मजदूरी की राशि एवं मुरम ढुलाई भाड़ा दिलवाने की मांग रखी है।

मनरेगा में इस प्रकार के कार्य ठेके में नहीं दिए जा सकते

मनरेगा योजना के अंतर्गत किसी भी निर्माण कार्य को ठेके पर नहीं दिया जा सकता,परंतु इस उक्त निर्माण कार्य को ठेके में देकर आलीराजपुर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग अपने कमिशन के लिए तथाकथित ठेकेदारों से मिलीभगत करके ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रकार के लाखों के कार्य निर्माण करवाते हैं। इतने बड़े निर्माण कार्य होने के बावजूद भी किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधि से ना तो भूमि पूजन करवाया जाता है न ही अनावरण। उक्त उदाहरण आर ई एस  के अधिकारियों की स्पष्ट मनमानी बताता है। 

निर्माण कार्य में भी लापरवाही, दिख रही हैं दरारे,तालाब के टूटने का भय

ठेकेदार द्वारा तालाब निर्माण कार्य में भी कई लापरवाही बरती गई है। एक ही साल के अंदर ही उस तालाब में मोटी-मोटी दरारे दिख रही हैं,साथ ही नाली निर्माण व पिचिंग को भी सही तरीके से पूरा नहीं किया गया है। उसे अधूरा ही छोड़ दिया गया है, जिससे बरसात के  मौसम में आस-पास के ग्रामीणों को तलाब के टूटने का भय बना रहता है।

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