मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मे यह कैसा खेल

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खवासा । गरीब तबके के हित में शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाएं कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती है इसकी बानगी अभी थांदला जनपद पंचायत क्षेत्र में देखने को मिल रही है । इन योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढाने में जहाँ सरकारी नुमाइंदे जिम्मेदार है वही हितग्राही स्वयं भी भ्रष्टाचार बढाने में पीछे नहीं है ।

दरअसल इन दिनों क्षेत्र में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना अंतर्गत विवाह हेतु पंजीयन हो रहे है । जिनमे शासन द्वारा निर्धारित कागजात और मुख्य रूप से आधार कार्ड खानापूर्ति हेतु मांगे जा रहे है । इन कागजों में आवेदक जमकर हेराफेरी कर रहे है । पक्के आधार कार्ड के स्थान पर आधार पंजीयन रसीद को ही मानने से आवेदकों को हेराफेरी का जबरदस्त मौका हाथ लग गया है । गौरतलब है कि किसी भी व्यक्ति को सरकार की तरफ से केवल 1 बार आधार नंबर जारी होता है चाहे व्यक्ति आधार पंजीयन कितने भी नाम से कितनी भी बार करवा ले । 1 बार आधार नंबर जारी होने पर  बायोमेट्रिक आधार पर बाद के सभी पंजीयन निरस्त कर दिए जाते है ।  मूलतः जिस पंजीयन रसीद पर विवाह हेतु पंजीयन हो रहे है उस रसीद का आधार नंबर जनरेट होने तक कोई महत्व नहीं  होता है । ऐसे कई आवेदक है जिनकी पहले से शादी हो चुकी है परंतु वे योजनान्तर्गत लाभ पाने के लालच में फिर से आधार पंजीयन में पति के स्थान पर अपने पिता का नाम लिखवा कर अपने आपको शासन के सामने कुंवारा साबित कर रहे है । ये लोग अपनी पंचायत से अपने नाम के साथ अपने पिता का नाम लिखवाकर प्रमाणपत्र प्राप्त कर उसका उपयोग आधार पंजीयन के लिए कर रहे है । पंचायत के सरपंच सचिव भी सभी नियमों को ताक में रख कर विवाहितों को भी पति के स्थान पर पिता का नाम लिख कर प्रमाण पत्र जारी कर रहे है ।

ऐसे में आवेदनकर्ता और सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत से दोनों की चाँदी होने और आगामी मुख्यमंत्री कन्यादान योजनान्तर्गत होने वाले विवाह सम्मलेन में शासन को फिर से लाखों का चूना लगने की प्रबल सम्भावना है । शासन यदि  आवेदनकर्ता द्वारा दिए गए कागजातों को वेरिफाय कर व्यक्ति का भौतिक सत्यापन करवाए तो कई आवेदक इस योजना के लिए अपात्र हो सकते है ।