मनुष्य भव में आप भगवान बन सकते है या भगवान का बन सकते है : कुलबोधीसूरिजी

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बामनिया (झाबुआ)।हमे मनुष्य भव मिला है, इस भव में हम भगवान बन सकते है,भगवान न बन सको तो भगवान का बन सकते है,तन की वासना के लिये तो बहुत भव है,तन को साधना से जोड़ने के लिए मनुष्य भव जैसा कोई भव नहीं,मनुष्य भव सब मे श्रेष्ठ है, आप भगवान के पास गये ओर उनके जैसे न बने तो कोई मतलब नही, साधु के पास गये ओर उनका ज्ञान प्राप्त नही किया तो कोई मतलब नही।

उक्त उदगार श्री महावीर स्वामी मंदिर बामनिया में महती धर्म सभा को संबोधित करते हुवे आचार्य श्री विजय कुलबोधीसुरीश्वरजी महाराज साब ने दिये साथ उन्होंने जीवन को जीने के लिए पाँच सिद्धान्त बताये पहला नियर (पास), दूसरा हियर (सुनना), तीसरा डियर (खास अपनत्व) चौथा फियर ( डर) एवं पांचवा टिअर (आँसू) ! शाब्दिक अर्थ नीयर मतलब भगवान जैसा बनना है तो भगवान के पास जाना पड़ेगा,घड़े को भरना है तो नल के पास जाना पड़ेगा ! हीयर का मतलब सुनने वाला बनो सुनाने वाला नही,आजकल।घरों में होठ ज्यादा चलते है,कान का उपयोग कम होता है सुनने की आदत डाले ! डीयर मतलब अपनत्व का भाव जैसा हनुमानजी का श्री राम के प्रति है उसी तरह प्रभु के प्रति अपनत्व रखो ! फीयर का मतलब हमे प्रभु ने जो कहा है उस आज्ञा के खिलाफ काम करने से डरे ! फीयर मतलब उस प्रभु के प्रति वह भाव पैदा हो कि हमारी आँखों मे आंसू आ जाये ! धर्म सभा के पूर्व आचार्य श्री एवं सभी साधु साध्वी भगवंत का नगर भृमण हुवा जिसमे जगह जगह गवली की गई ।