प्रतिष्ठानों को बंद कर सादगी के साथ मोहर्रम मना रहा है यह समाज

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थांदला। चारों तरफ मोहर्रम की शुरुआत के साथ ही एक नायाब और अनूठा या कहे तो आश्चर्यजनक कर देने वाला दाऊदी बोहरा समाज का अमल देखने में आया है l एक व्यापारी कभी भी व्यापार में नुकसान का सोच नहीं सकता चाहे छोटा व्यापारी हो या बड़ा व्यापारी किसी ना किसी तरह से व्यापार को बढ़ाने की साथ ही अपने हर सौदे में लाभ कमाने की ही सोचता है जिसके लिए दुकानों का खुलना या फेरी लगाना है, आज के जमाने में कहा जाए तो फोन पर ही लेनदेन करना अपने ग्राहक को फोन पर ही सुविधा उपलब्ध करवा देना एक अच्छे व्यापारी की निशानी भी है ऐसे में यदि कोई यह कह दे कि 2 दिन के लिए व्यापार बंद करना है यह मान लिया जाए कि दुकान बंद रखने की हड़ताल 1 दिन की किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा करवा दी जाती है तब भी देखने में आता है कि आधा दिन निकलने के बाद लगभग सभी दुकानें खुल जाती है लेकिन दाऊदी बोहरा समाज आज मोहर्रम की 2 तारीख से आने वाली 10 तारीख तक अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके एक अनूठा उदाहरण पेश कर रहा है l उदाहरण है एकता का, उदाहरण है अपने इष्ट के प्रति श्रद्धा का, उदाहरण है अपने धर्मगुरु के मान का सम्मान का।

जब भी दाऊदी बोहरा समाज कोई अनोखा काम करता है तो उसकी चर्चा जगह जगह होती है लेकिन आज व्यापार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए भी अपने सैयदना साहब के फरमान को माथे चढ़ा कर उनकी खुशी के लिए और मौला हुसैन के गम में शरीक होने के लिए अपने व्यापार को ताला लगा कर कुछ इस तरह से हुसैन के गम में शरीक हो रहा है जिसे देखने से ऐसा लगता है कि यह गम यह अजादारी उसी के घर में हो रही हो , और हो भी क्यों ना क्योंकि जिस मौला ने हक के लिए अपना घर बार लुटा दिया उनकी याद में उनके गम में शरीक होने का इससे अच्छा उदाहरण शायद नहीं हो सकता है l

आज की भागती दौड़ती जीवन शैली में बोहरा समाज के द्वारा अपने सैयदना साहब के एक आदेश पर जिस प्रकार प्रतिष्ठानों को बंद कर मोहर्रम को सादगी के साथ मना रहा है वह अपने आप में अनूठी मिसाल है l 

इन 10 दिनों में बोहरा समाज की मस्जिदों में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की अजादारी यानी गम होगा, उनकी याद में सबील लगाकर शरबत, दूध, पानी पिलाया जाएगा लेकिन इसमें भी गौर करने की बात है कि जो भी होगा समाज के दायरे में रहकर अपने इलाके में रहकर बिना किसी अन्य धर्म के लोगों को परेशान किए बगैर और शासन-प्रशासन की रीती नीतियों को मानते हुए l इस प्रकार का आयोजन एक संदेश भी देता है ही भारत की अनेकता में एकता है आपसी भाईचारे की एक दूसरे के धर्म के प्रति मान–सम्मान की l