रजत निर्मित स्वप्न को सिर पर उठाकर श्राविकाओं ने निकाली शोभायात्रा

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मयंक गोयल, राणापुर

पर्युषण पर्व के चौथे दिन कल्पसूत्र महा ग्रन्थ का वाचन शुरू हुआ।लाभार्थी संजय चन्दूलाल कटारिया के निवास स्थान से ढ़ोल ढमाकों के साथ ग्रन्थ को यतीन्द्र ज्ञान मंदिर लाया गया। यहां ग्रन्थ की अष्टप्रकारी पूजन,वासक्षेप पूजन व आरती पस्चात ग्रन्थ व्यख्यान वाचक मनोहरलालजी नाहर को वोहराया गया ।
कल्पसूत्र का हर अक्षर मंत्र समान–
मनोहर नाहर ने यहाँ कल्पसूत्र का वाचन प्रारम्भ किया। उन्होंने बताया कि आचार्य भद्रबाहुसुरी जी द्वारा रचित यह महाग्रन्थ परम प्रभावशाली है।इसका एक एक अक्षर मंत्र जैसा है।इसके श्रवण से व्यक्ति के पूर्व के कर्म बन्ध कट जाते है तथा नए कर्म बंध रुक जाते है।
कल्पसूत्र वाचन के पश्चात भगवान के 14 स्वप्नों को सिर पर उठाकर जुलूस के रूप में घुमाने की बोली हुई । मुनिसुव्रत स्वामी जिन मंदिर के अध्यक्ष चन्द्रसेन कटारिया ने इस अवसर पर सभी आयोजनों में समस्त बाल अबाल द्वारा की जा रही प्रभु भक्ति की प्रशंसा की । तथा पर्युषण के बाद दोनों आचार्यो को वंदन करने के लिए रूपरेखा बनाने की जिम्मेदारी युवाओ को सौपी ।
उन्होंने इसी उत्साह को बनाये रखने का निवेदन सभी समाजजनों से किया ।कार्यक्रम का संचालन जितेंद्र सालेचा ने किया । लक्की ड्रा प्रकाश सालेचा की और से , गवली और प्रभावना चन्द्रसेन कटारिया और सुनील कटारिया की और से की गई । दोपहर में भगवान महावीर की माता द्वारा देखे गए 14 स्वप्नों की शोभायात्रा निकली।ढोल ताशों की अगुवाई में निकली शोभायात्रा में महिलाएं अपने सर पर रजत निर्मित स्वप्न उठाकर चल रही थी।श्राविकाओं ने चुनडी का व्रत किया।शोभायात्रा में अधिकतर महिलाएं चुनडी पहने हुए थी। शोभायात्रा में युवाओं ने भी अपनी ड्रेस कोड में भाग लिया  और जमकर नाचते गाते पर प्रभु भक्ति की । जुलुस नगर के मुख्य मार्गो से निकल कर यतीन्द्र ज्ञान मंदिर पहुचा । यहाँ ज्ञान जी आरती हुई । लाभ रमेशचन्द्र सालेचा ने लिया । जुलूस पश्चात लड्डू की प्रभावना लक्छमीचन्द नाहर की और से वितरित की गई ।

रात्रि में भक्ति और जागरण हुई
शनिवार को रात्रि में कल्पसूत्र को रात अपने घर लाने के लाभार्थी संजय कटारिया के यहाँ पूरा समाज ढोल के साथ उनके घर गया । वहाँ कल्पसूत्र की जागरण ओर भक्ति हुई । लगभग 3 घण्टे पार्श्व संगीत मण्डल द्वारा प्रभु भक्ति के गीत से सभी को झूमने को मजबूर कर दिया । महिला पुरुष और बच्चों सहित बुजर्गो ने भी प्रभु भक्ति पर अपने पैरों को रोक नही सके।