वर्षो से ड्रेसर के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, गर्भवती महिलाओं की हो रही फजीहत

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी लचर है और निगरानी का दायित्व निभाने वाले अफसर अपना कर्तव्य किस तरह निभा रहे है। इसकी बानगी देखना हो तो बेकल्दा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर चले आईए। मरीजों को स्थानीय स्तर पर चिकित्सा सुविधा दिलाने के लिए यहा पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया था लेकिन विडंबना देखिए तो इतने वर्षो में यहां न तो डॉक्टर की नियुक्ति की गई न ही बिजली के बिल भरे गए। करीब 2 माह पूर्व सीएचएमओ स्वंय निरीक्षण करने आये लेकिन वही ढाक के तीन पात ऐसी स्थिति में अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जिनके कांधे पर निगरानी का दायित्व है वे ही मरीजों को अपने हाल पर छोडकर परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। स्वास्थ्य विभाग की लचर स्थिति दर्शाती यह स्थिति पेटलावद से करीब 25 किमी दूर ग्राम पंचायत मुख्यालय बेकल्दा की है। आठ ग्राम पंचायत के केन्द्र बिंदु इस स्थान पर ग्रामीणों की सुविधा के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया था। इस केन्द्र के अंतर्गत करीब 12 उपस्वाथ्य केन्द्र कार्यरत है। लेकिन हैरत की बात है कि इस मुख्यालय पर मरीजों को देखने को लिए एक स्थाई डॉक्टर की नियुक्ति भी नही हो सकी। मजबूरी में ग्रामीण क्षेत्र के करीब 5 हजार की आबादी के मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
डिलेवरी पांइट भी बना रखा है
बताया जाता है कि यहा की गर्भवती महिलाओं की परेशानी को देखते हुए डिलेवरी पाईंट भी बनाया गया था लेकिन स्टाफ के अभाव में यह सुविधाएं भी महज खानापूर्ति साबित हो रही है। ऐसी स्थिति में प्रसुति के लिये 25 किमी दूर पेटलावद तक ले जाना भी परेशान कर रहा है। कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि रास्ते में ही प्रसूति हो जाती है। ऐसे में शासन की इन योजनाओ का मखौल उड़ाया जा रहा है।
निरीक्षण किया लेकिन हालात नहीं सुधरे
बताया जाता है कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण करने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डीएस चौहान करीब 2 माह पूूर्व आये थे। तब स्थानीय जनप्रतिनिधियो ने यहां की समस्या से अवगत कराते हुए स्थाई डॉक्टर की नियुक्ति करने की मांग की थी। जिस पर चौहान ने यहां की समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया था लेकिन हालात जस के तस रहे। मरीज परेशान हो रहे है और कागजो पर यह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आल इज वेल के रूप में चल रहा है।
अंधेरे में डूबा रहता है भवन
बेकल्दा के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दुर्दशा देखिए की यहां जहा एक और पर्याप्त स्टाफ का अभाव है। वही भवन में बिजली का कनेक्शन भी कटा हुआ है। करीब 50 हजार से अधिक राशि का बिल बाकि रहने के कारण यहां कनेक्शन विच्छेद कर दिया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के फी्रज में रखी दवाईयो का क्या हाल हुआ होगा। वर्तमान में इस केन्द्र पर एक डेसर जो कि झाबुआ से आना जाना तथा एएनएम जोकि थांदला से प्रतिदिन आना जाना करते है । ऐसे में यहा मरीजो की परेशानी का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
सरपंच डामर ने रखी मांग
सीएचएमओ चौहान के आज पेटलावद दौरे पर बेकल्दा के सरपंच विश्राम डामर के नेतत्व में पंचो ने उनसे मुलाकात कर उनके बेकल्दा दोरे पर दिये गये उनके आश्वासन के बारे में पूछा तथा एक ज्ञापन सौंपते हुए यहां की समस्या को दोहराया तथा बताया कि यदि उनके ग्राम में डॉक्टर तथा डिलेवरी पॉइंट की सुविधाए नही मिलती है तो ग्रामीण जन आंदोलन करने को विवश होगे। चौहान फिर से आश्वस्त किया कि यहां कि समस्या का शीघ्र निदान किया जाएगा।