मॉर्निंग फॉलोअप में सरपंच की जेब से बीड़ी का बंडल निकाल कलेक्टर बोले- क्या तुम बीड़ी पीना छोड़ सकते हो…!

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हरीश राठौड़, पेटलावद
तुम बीड़ी पीना छोड़ दो हम तुम्हारे गांव में 6 लाख रूपए का कचरा वाहन देते है, यदि तुमने सात दिन तक बीड़ी नहीं पी तो तुम्हारे यहां कचरा वाहन आ जाएगा और पूरे गांव को नशामुक्त भी करना होगा। उक्त बात मॉर्निंग फॉलोअप के दौरान शुक्रवार को कलेक्टर आशीष सक्सेना ने ग्राम पंचायत जामली के सरपंच से कहीं। उन्होंने सरपंच के जेब में से बीड़ी का बंडल निकाल कर फेंकते हुए सरपंच से पूछा की क्या तुम बीड़ी पीना छोड़ सकते हो।
इसके पूर्व कलेक्टर ने ग्राम में समस्याएं जानी और शौचालय निर्माण के बारे में जानकारी ली, जिस दरमियान सरपंच अम्बाराम वसुनिया ने कचरा वाहन की मांग रखी तो कलेक्टर ने बीडी छोडने की बात उनके सामने रखी। गांव के हित को देखते हुए सरपंच ने बीड़ी छोडऩे का वादा किया। इसके बाद कलेक्टर ग्राम पंचायत बरवेट पहुंचे जहां पर भी बस स्टैंड पर ग्रामीणा और सरपंच से चर्चा कर शौचालय निर्माण की बात की गई, जिसमें सरपंच ने जल्द ही शौचालय निर्माण की बात कहीं। वहीं उपस्वास्थ्य केंद्र के नवीन भवन के लिए जमीन आवंटन को लेकर भी चर्चा की गई, जिसके लिए गांव से बाहर जगह उपलब्ध है, वहां पर जल्द ही निर्माण प्रारंभ करवाने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही गांव मे पेयजल समस्या के बारे में बताया गया जिसमें सरपंच अनोखीलाल ने बताया कि पेयजल की मुख्य लाइन से अन्य लोग कनेक्शन ले कर पानी ले रहे है, जिससे ग्राम में पेयजल सप्लाई बराबर नहीं हो पा रहा है। इस पर पीएचई के ईई मावी को निर्देश दिए कि मुख्य लाईन में जो में कनेक्शन है उन्हें हटाया जाए ताकि ग्राम में पेयजल सएंलाय प्रभावित नहीं हो और उन लोगों को वॉल्व लगा कर अलग से पाइप लाइन में से पानी दिया जाए।
रोजगार सहायक से वसूली की जाए-
इसके बाद कलेक्टर का काफीला ग्राम पंचायत मांडन पहुंचा जहां पर शौचालय निर्माण की धीमी गति होने पर कार्य तीव्र गति से करने के निर्देश दिए गए। इस दरमियान ग्राम के दो लोगों ने लिखित में शिकायत करते हुए शौचालय के पैसे नहीं मिलने और रोजगार सहायक द्वारा पैसे निकाल लिए जाने की शिकायत की, जिस पर सीईओ महेंद्र कुमार घनघोरिया ने बताया कि रोजगार सहायक अजित सिंह को निलंबित कर दिया गया है। इस पर कलेक्टर ने उससे रिकवरी करने के निर्देश दिए, एसडीएम की कोर्ट में केस चला कर रोजगार सहायक से रिकवरी की जाए और ग्रामीणों को शौचालय बना कर दिया जाए।
माही का पानी नहीं मिल रहा.-
ग्राम पंचायत मठमठ में ग्रामीणों के द्वारा माही परियोजना से पानी की मांग की गई। ग्रामीणों सहित वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश गुर्जर ने कलेक्टर को बताया कि पूर्व में यह क्षेत्र माही के केचमेंट एरिया में आता था, किंतु अब पानी नहीं दिया जा रहा है जिस कारण से पेयजल की भी समस्या है और सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिल रहा है. जिस पर कलेक्टर ने माही परियोजना के ईई एसके अग्रवाल से चर्चा कर पानी देने के संबंध में बात की किंतु उन्होंने भी स्पष्ट मना कर दिया कि हम पानी नहीं दे सकते है अब हमारे पास अधिक पानी नहीं बचा है। इसके लिए कलेक्टर ने ग्रामीणों से चर्चा कर अन्य स्थल खोजने की बात कहीं। उन्होंने कहा कि केवल हम माही के भरोसे नहीं रह सकते है। अन्य विकल्प तलाश करे जिससे हमारी पेयजल की पूर्ति हो सके। इसके लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। समस्या का हल नहीं होने की स्थिति में ग्रामीणों का कहना है कि हमारे द्वारा आंदोलन किया जाएगा। क्योंकि पूर्व में माही का पानी हमें मिलना था किंतु अधिकारियों ने उक्त पानी को अन्य जगह दे कर हमारे लिए समस्या खडी की गई।
एक गांव दो पंचायत-
यहां पर एक ग्रामीण ने समस्या रखी की हमारा गांव पोलारूंडा दो पंचायतों में आता है। आधा गांव मांडन पंचायत में और आधा गांव मठमठ पंचायत में जिस कारण से हमारे गांव में कोई कार्य नहीं हो रहा है। गांव में पूरे रास्ते पर कीचड़ भरा पड़ा है जिससे आवागमन बाधित होता है। दोनों ही पंचायते एक दूसरे के उपर कार्य सौंपती है किंतु कोई नहीं करता है, जिस पर कलेक्टर ने निर्देश दिए कि आधा रोड मांडन पंचायत और आधा रोड मठमठ पंचायत द्वारा बनाया जाएगा।
दो से अधिक बच्चें न होने दे-
इसके पश्चात ग्राम पंचायत गुणावद का भी दौरा किया। दौरे के दरमियान कलेक्टर ने कई स्थानों पर जन्म दर के बारे में जानकारी ली, जिसमें खुल कर यह बात सामने आई की कई माताएं ऐसी है. जिनकी दो से अधिक संताने है जिसके लिए कलेक्टर ने सभी जवाबदारों को निर्देश दिए कि आप लोग क्षेत्र में ध्यान दे और प्रचार प्रसार करें की दो बच्चें से अधिक बच्चें न होने दे जिससे हमारे जीवन स्तर में सुधार होगा। दौरे में जिला पंचायत सीईओ जमुना भिड़े, एसडीएम हर्षल पंचोली, सीईओ महेंद्र कुमार घनघोरिया, जिला समन्वयक एसके सुमन, बीडीओ राजेश बाहेती, ब्लाक समन्वयक बाबूलाल परमार सहित जिला स्तरीय और ब्लाक स्तरीय अधिकारी कर्मचारी शामिल थे।