प्रशासन की अनदेखी के कारण जोबट नगर के बाजारों में बढ़ रहा अतिक्रमण

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जितेंद्र वर्मा, जोबट

जोबट नगर के व्यापारियों की हठधर्मिता व प्रशासन की लापरवाही के चलते नगर के बाजारों में अतिक्रमण से पूरी तरह से अपने पैर पसार लिए हैं। दुकानदारों ने अपने पटरों के सामने लकड़ी की बैंच लगाकर दुकान का सामान बाहर तक निकाल लिया है। इसके अलावा लोग दुकानों के सामने वाहन खड़े कर देते हैं तथा कुछ दुकानदारों ने तो सरकारी नाली को ही बंद कर दिया है नगर का मुख्य बाजार वैसे ही बहुत तंग है अतिक्रमण के कारण बाजार में मुख्य मार्ग की चौड़ाई 20 फिट से घटकर मात्र 8 से 10 फिट रह गई है। वहीं नगर के तहसील बड़ाबस स्टैंड, आजाद उद्यान चौराहा कृष्ण मंदिर चौराहा , गांधी चौक,अटल चौराहा,चर्च गिरजाघर चौराया पार वाहनों तथा मिशन हॉस्पिटल के आसपास संचालित दुकानदारों के अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन पूरी तरह से बेबस नजर आता है अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन पर दबाव पड़ता है तो कुछ समय के लिए अभियान चलाकर थोड़ा-बहुत अतिक्रमण हटा देते हैं, लेकिन टीम के जाते ही फिर अतिक्रमण हो जाता है। नगर के सभी चौक चौराहों तथा बाजारों के साथ नगर की सब्जी मंडी, तहसील से लेकर नगर के देहदला रोड, मैन बाजार व आसपास के इलाके पर तो अतिक्रमणकारियों का पूरा कब्जा है। पुलिस प्रशासन दुकानदारों को चेतावनी देते रहते हैं। वहीं नगर पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण को हटाने के लिए कई बार व्यापारियों से अपील की, लेकिन इसका असर नहीं दिखता है।

जितना अधिक विकास उससे ज्यादा किए जा रहा है अतिक्रमण

जोबट नगर में जितना अधिक विकास हो रहा है. सड़कें चौड़ी हो रही हैं उससे ज्यादा ही लोग अतिक्रमण कर रास्तों को छोटा करते जा रहे हैं. सड़कों के किनारे फुटपाथ इतने छोटे हो गए हैं कि पैदल चलना मुश्किल हो गया है. जोबट नगर के किसी भी मोहल्ले वह गलियों को देखें तो सबकी हालत खराब है. अतिक्रमण करके मार्गों को इतना संकीर्ण कर दिया है कि हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है. आने जाने वाले वाहन,को निकलना मुश्किल है. पैदल को तो रास्ता ही नहीं मिल पाता है. फुटपाथ पर भी बेचने का सामान लगा लेते हैं. वाहन पार्किंग और उस पर निर्माण कार्य होते रहना, समस्या और खतरा दोनों का ही जोखिम रहता है. जोबट नगर में जिस रास्ते गुजरो उधर ही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बड़े बस स्टेशन, कृष्ण मंदिर चौराहा ,व नगर के बीचो-बीच दुकान लगाने वालों को तो किसी का भय ही नहीं है. सार्वजनिक स्थान तो जैसे इनकी संपत्ति है. कहीं भी कुछ भी निर्माण कर लेते हैं चाहे दुकान हो या मकान. इनके प्रति प्रशासन जब सजग होकर इनके घर, दुकान या ठेले हटवाने की मुहिम छेड़ता है तो ये आंदोलन पर उतर आते हैं. तकलीफ देखने वालों को भी होती है पर ये सबकी नाक में दम किए रहते हैं. सड़कों के दोनों ओर अपना अधिकार मानकर कब्जा किए रहते हैं और पूर्ण विश्वास के साथ अपना व्यवसाय चलाते हैं. कभी-कभी तो अपनी दुकान के सामने किसी को खड़ा होने से भी रोक देते हैं, जबकि खुद अवैध तरीकों से दुकान हथियाए हुए हैं. कोई मान्यता इनके पास नहीं होती.

जोबट नगर परिषद के पार्षदों की स्थिति भी अजब-गजब है

जोबट नगर परिषद के पार्षदों की स्थिति भी अजब-गजब है। एक तरफ नगर प्रशासन का जोर शहर में सरकार की जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने पर है तो दूसरी तरफ नगर परिषद के ही कुछ पार्षद इस कार्रवाई की मुखालफत कर रहे हैं। गुरुवार को इसी तरह का मामला नगर के मुख्य मार्गो को जोड़ने वाले डोही नदी का पुल के ऊपर से हटाए गए अतिक्रमणों को लेकर सामने आया। जहाँ एक ही पार्टी के कार्यकर्ता वह पार्षद आपस में भीड़ जो जोबट नगर में जन चर्चा का विषय बना सूत्र के अनुसार से बताया जाता है कि कुछ दिन पहले वार्ड नंबर 1 के पार्षद सपना संदीप जैन द्वारा अधिकारियों को डोही नदी के पुल पार किए जा रहे अतिक्रमण को लेकर अवगत कराने के लिए आवेदन भी दिया गया था जीसके बाद पुल के ऊपर दुकान नहीं लगने देने का परिषद के कर्मचारियों को आदेश भी दिया गया था आदेश का पालन करते हुए कर्मचारियों के द्वारा पुल पर दुकान नहीं लगन दिया गया लेकिन आज प्रशासन के आदेश के खिलाफ जोबट नगर परिषद के ही कुछ पार्षद इस कार्रवाई की मुखालफत कर रहे हैं।हालांकि नगर परिषद ने अभी तक इस समस्या के समाधान हेतु कोई कदम नहीं उठाया है।

नगर की जनता वह जनहित के हितों को ध्यान में रखकर जोबट में नवीन पुल पर से अतिक्रमण हटाने को लेकर मेरे द्वारा प्रश्न को अवगत कराया गया था जिस पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटवाया जा रहा था लेकिन चंद घंटों बाद ही कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा पुनः अतिक्रमण करने के लिए प्रश्शन पर दबाव बनाया गया जिसके कारण आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा अब अगर कोई दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेदार कौन….पूछती है जनता

 सपना संदीप जैन पार्षद वार्ड नंबर

डोही नदी पर बना नया पुल जो कि वाहनों और राहगीरों के आवागन के लिए बनाया गया है न कि अवैध तरीके से अतिक्रमण कर दुकाने लगाने के लिए पूल पर दुकाने लगाना अनुचित है… संजय वाणी