ग्रामीणों की समस्या सुनने जमीन पर बैठी युवा कलेक्टर IAS तन्वी हुड्डा …

- Advertisement -

विपुल पांचाल@ झाबुआ Live

सरकारीवर्किंग कल्चर को लेकर हमेशा से आरोप लगते रहे है, जिले के मुखिया यानि कलेक्टर के दफ्तर में भी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए लोगों को कई ठोकरे खाना पड़ता हैं, लेकिन इन दिनों एमपी के आदिवासी झाबुआ जिले की नवागत कलेक्टर आईएएस तन्वी हुड्डा का मिजाज ही निराला है। आज कलेक्टर रानापुर ब्लाक के सोतियाजालम गांव में पहुंचकर वह आम व्यक्ति की तरह जमीन पर बैठी नजर आई।
जी हां, जिले की नई कलेक्टर वर्ष 2014 बैच की आईएएस तन्वी हुड्डा की एक बार फिर चर्चाओं में आ गई है। बेहद सख्त प्रशासक मानी जाने वाली तन्वी हुड्डा झाबुआ जिले में अलग रूप में नजर आ रही है। आज से जिले में कलेक्टर ने एक नई पहल करते हुए खाटला बैठक शुरू की, लेकिन इस बैठक में वो खाट पर न बैठती हुई जमीन पर ही बैठ गई। समस्या सुनने के दौरान कलेक्टर ने मौके पर ही कई समस्याओं का निराकरण किया और ग्रामीणों को शासन की हितग्राहीमूलक योजनाओं के सम्बन्ध में बताया। साथ ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं राशन वितरण की स्थिति की भी जानकारी ली। उन्होंने मैदानी स्तर पर संचालित की जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति को समझा और सुधार हेतु तुरंत निर्देश दिए।
ख़ास बात यह रही कि जिले की मुखिया होते हुए भी कलेक्टर हुड्डा ख़ास नहीं बल्कि आम व्यक्ति की तरह पेश आई। जनता की समस्याएं सुनने वह खुद जमीन पर पालती मारकर बैठ गई। जबकि इन ग्रामीणों से पहले कोई अफसर इतनी देर मिलना तो दूर साथ में बैठने वक्त तक नहीं गुजारता था। ग्रामीण आदिवासियों को उनकी समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिया। तन्वी हुड्डा का यह अंदाज देख ग्रामीण बेहद खुश हैं।
आपको बता दे कि 2014 बैच की आईएएस अफसर तन्वी हुड्डा झाबुआ की 47वीं कलेक्टर होंगी। उनकी छबि सख्त प्रशासक की है और वे जनहित में नए कदम उठाने से भी गुरेज नहीं करती।
झाबुआ Live से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका फोकस जनहित के कार्यों को करना है। जनता से जुड़ी हर छोटी से छोटी समस्याओ का निराकरण और शासन की जनहितैषी योजना से कोई वंचित न रहे और ग्रामीण खुद उनकी समस्या को लेकर हमसे रूबरू हो इसके लिए हम प्रयास कर रहे है।

पिछले कुछ महीने पहले ही तन्वी हुड्डा का तबादला झाबुआ हुआ। जहां उन्होंने पदभार ग्रहण करते से ही जनता के बीच अपनी जगह बना ली। अफसरशाही ठाठ की बदौलत नहीं, बल्कि अपने अनोखे अंदाज और कार्यशैली को लेकर। इतने कम वक्त में कोई किसी अफसर का इतना मुरीद हो जाए, कम ही देखने को मिलता हैं।