21 वर्ष पूर्व दादा ने संजोया था कमल किशोरजी की कथा के सपने को पोती ने किया पूर्ण

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अर्पित चोपड़ा#खवासा

कहते है कि दृढ़ संकल्प से मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसान हो जाते है । ऐसे ही एक मुश्किल कार्य को अपने दृढ़ संकल्प से आसान बनाकर अपने दादाजी के सपने को पूरा किया एक पोती ने । जानिए उस युवती के दृढ़ संकल्प के बारे में जिसके कारण आज हजारों क्षेत्रवासियों को पंडित कमल किशोरजी नागर के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिल रहा है ।

21 वर्ष पूर्व स्व. भागीरथ चौहान ने मालव माटी के प्रसिद्ध संत, माँ सरस्वती के वरद पुत्र कथाकार  कमल किशोरजी नागर के मुखारविंद से अपने निवास ग्राम खवासा में श्रीमद्भागवत कथा कराने का प्रयास प्रारम्भ किया था जो उनके जीते-जी तो न हो सका पर उनके अवसान के बाद उनकी पोती ने अपने माँ-पिता से मिले संस्कारों की संपत्ति की बदौलत चरितार्थ कर दिखाया ।
स्वर्गीय भागीरथ चौहान के वरिष्ठ पुत्र पूरणमल चौहान की पुत्री नेहा चौहान जो पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कार्य कर रही है उसने जॉब मिलते ही संकल्प लिया कि वे अपनी कमाई से इकट्ठा हुई पहली धनराशि से पंडित कमल किशोरजी नागर के मुखारविंद से अपने दादाजी के पैतृक ग्राम खवासा में भागवत कथा कराएंगी और जब तक नागरजी खवासा आकर कथा नहीं करेंगे तब तक वो शादी भी नहीं करेंगी ।
जब नेहा के संकल्प की जानकारी नागरजी के निकटस्थ तुलसीराम मारू के माध्यम से नागरजी तक पहुंची तो उन्होंने नेहा की उज्जवल सद्भावना को सम्मान देते हुए मात्र बीस मिनट में स्वीकृति प्रदान कर दी । इसे कहते है संकल्प की शक्ति कि जो कार्य दादाजी से सतत प्रयत्न करने के बावजूद न बना उसे पोती के संकल्प ने मात्र बीस मिनट में पूरा करा दिया । नेहा चौहान इस सदसंकल्प का श्रेय अपनें माता-पिता के संस्कारों को देती है जो उन्हें बाल्यकाल से ही नागरजी की कथा में निरंतर ले जाया करते थे।