रोटी की तलाश में कर गए थे पलायन, लॉकडाउन में भूख ने किया व्याकुल तो वापस लौटे, पंचायत में काम नहीं फिर से पलायन जारी

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
अखिल विश्व में कोरोना महामारी का संक्रमण रोजाना बढ़ रहा है विश्व का कोई भी भूभाग पर इस महामारी से अछूता नहीं है। देश में एक लाख 75 हजार से ऊपर संक्रमित लोग हैं सरकारें जहां लॉकडाउन करके सभी भारतीयों का जीवन बचाने को प्रयासरत हैं। वहीं प्रत्येक राज्य की प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में भूखे मरने कारण सैकड़ों किलोमीटर पैदल चाल और अपने घर पहुंचने की जद्दोजहद करने लगा। इन लोगों के लिए सरकारों ने व्यवस्था की बनाई सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से प्रवासी मजदूरों की पीड़ा पूरे देश की जनता ने देखी और सरकार को इनके लिए सोचने को मजबूर किया परंतु सरकार की व्यवस्थाओं और अपने प्रयासों से लोग घर पहुंच गए। पिटोल बॉर्डर पर अभी भी झारखंड एवं अन्य प्रदेशों सहित मध्य प्रदेश के कई जिलों की प्रवासी मजदूरों का धीमी गति से आना जारी है। वहीं भिंड, मुरैना, सीहोर, झाबुआ आदि जिलों के प्रवासी मजदूर वापस गुजरात के ठेकेदारों के यहां जाना प्रारंभ हो गए हैं परंतु यह मजदूर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। गुजरात के अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, मोरबी सहित देश के कई गुजरात राज्य के कई महानगरों हॉटस्पॉट बन चुके हैं और प्रवासी मजदूर वहां संक्रमित हो गए तो इन्हें वापस वहां से भगा दिया जाएगा मजदूर स्वयं अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं।
लॉक डाउन के साथ ही लगातार गुजरात से प्रवासी मजदूर अपने घरो की और भागने लगे थे किसी ने लॉकडाउन के बीच काम बंद होने से भूखमरी की नौबत को घर जाने की वजह बताई तो किसी ने कहा था की ठेकेदारो, मालिको ने फैक्ट्रियो पर ताले जड़ दिए और हमें भूखे मरने को छोड़ दिया न ही आशियाना दिया न ही खाने को दो वक्त की रोटी तो कोई बोला की सहायता तो दूर की बात अब तक काम करने का पूरा मेहनताना भी नहीं दिया द्य घर जाने को लेकर सबके अपने अपने तर्क थे पीड़ाए थी जिसे मध्यप्रदेश सरकार ने सुना भी और उनको अपने घरो तक पहुचने का बीड़ा भी उठाया। पिटोल बॉर्डर पर इस व्यस्था में तैनात जिले के सैकड़ो कर्मचारीयो के साथ ही अखबारों, न्यूज चैनलों पर प्रसारित खबरे इस बात की गवाह है की किन विषम परिस्थितियों से गुजरते इन लाखो मजदूरो को निशुल्क भोजन पानी सहित हजारो बसों द्वारा अपने अपने घरो तक पहुचाया गया और आज भी बदस्तूर पहुचाया भी जा रहा है। लाखो की तादात में गुजरात से लौटे इन मजदूरो को अपने अपने घर पहुचने के लिए राज्य सरकार के आदेश पर झाबुआ जिला प्रशासन ने करोडो का खर्च कर दिया। पिटोल बॉर्डर से मध्यप्रदेश ही नहीं उत्तर प्रदेश-बिहार तक के मजदूरो को भी मध्यप्रदेश की आखरी सीमा तक पहुचाया गया।

दोगुनी मजदूरी देने का लालच देकर वापस बुला रहे हैं कंपनी मालिक एवं ठेकेदार
कहते हैं गरीबी कुछ भी करने को मजबूर करती है गरीबी में अपना जमीर भी बिक जाता है वैसा ही हाले प्रवासी मजदूरों के साथ हो रहा है राज्य सरकारें लाख दावा करें कि हम अपने राज्यों में रोजगार पैदा करेंगे फैक्ट्रियां लगाएंगे पर धरातल पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है। इसलिए प्रवासी मजदूर वापस मजबूरन लौट रहे हैं और सरकारों को सोचना चाहिए कि पलायन को कैसे रोका जाए क्योंकि भारत के गुजरात कोरोना संक्रमण महामारी में चौथे सपर स्थान पर है राज्य की सरकार उनके रोजगार की व्यवस्था करें अन्यथा यह लोग जब तक व्यक्ति नहीं बन जाता तब तक लाखों की संख्या में संक्रमित हो जाएंगे। लॉक डाउन 4 अपने साथ कुछ शर्तो के साथ मजदूरो के पक्ष में कुछ रियायते लेकर आया जो अपने अंतिम चरण में है। पांचवा लॉक डाउन पता नहीं अपने साथ क्या रियायत क्या पाबंदियों लेकर आएगा। मध्यप्रदेश का अपना रुख स्पष्ट है की आने वाले सभी प्रवासी मजदूरो को सकुशल अपने घरो तक पहुचाया जायेगा और रेड जोन को छोड़ सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में प्रदेश का व्यक्ति आवश्यक काम होने पर बिना ई-पास के भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए आ जा सकता है । प्रदेश से बाहर आने और जाने के लिए पास की आवश्यकता होगी, राज्य से बाहर काम पर जाने का लिए पास तभी जारी होंगे जब संबंधित फर्म, ठेकेदार लिखित में उनके रहने खाने का जिम्मा उठाये किन्ही भी परिस्थिति में साथ ही एक वाहन में अधिकतम 3 व्यक्तियों के सफऱ की अनुमति दी जा रही है, लेकिन लॉक डाउन से हालाकान हुए वही प्रवासी मजदुर अपने गृह राज्य से बिना पास लिए ही ठेकेदारों द्वारा भेजी जा रही बसों द्वारा या ठेकेदारों द्वारा किराया देने की बात पर खुद ही वाहनों की व्यवस्था कर पुन: गुजरात का रुख कर रहे है द्य बस ए वाहन संचालको के पास मध्यप्रदेश सरकार का कोई पास उपलब्ध नहीं होता किसी किसी वाहनो में होता भी है तो गुजरात का बसों, जीपों, पिक अप के माध्यम से बिना शारीरिक दुरी के पुन: गुजरात जा रहे इन मजदूरो में झाबुआ जिले के साथ ही सीहोर, भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर सहित मध्यप्रदेश के सभी हिस्सों के लोग सामिल है जो बताते है की उनके ठेकेदार ने उनको लेने के लिए गाड़ी भेजी है और उन्होंने फ़ोन पर कहा है की अब से पूरी जवाबदारी उनकी ही रहेगी चाहे काम चले या बंद रहे यदि वे ठेकेदार वाकई इन मजदूरो के प्रति इतने ही वफादार है जितना की ये मजदुर जो उनके फ़ोन करने मात्र से मौखिक जवाबदारी लेने भर से ही उनके बुलावे पर वापस जाने को तैयार है जबकि आज की स्थिति में मध्यप्रदेश की तुलना में गुजरात में संक्रमण भी दुगना है तो क्या वही ठेकेदार मध्यप्रदेश सरकार को लिखित रूप से जानकारी देकर व जवाबदारी लेकर पास प्राप्त कर भी ले जा सकते है। मध्यप्रदेश सरकार को भी चाहिए की इनके लिए रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए जाये न भी करवा पाए तो इन मजदूरो के काम करने स्थान, ठेकेदार, कम्पनी, फैक्ट्रीयो सहित वो सभी जानकारिया रखे जिससे की भविष्य में इन मजदूरो के साथ किसी प्रकार का छल न किया जा सके।