शक्तिपीठ शांतिकुंज हरिद्वार गायत्री परिवार द्वारा आयोजित दो दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान संपन्न

May

 भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल नगर मे धार्मिक आयोजनों के दौर में अधिक मास एवं पवित्र पावन श्रावण मास में गांव शहरों में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं पिटोल नगर में भी आए दिन धार्मिक आयोजनों का दौर चल रहा है इसी के तहत 19 एवं 20 अगस्त 2023 को पिटोल नगर में गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा प्रेरित गुजरात एवं झाबुआ एवं अलीराजपुर जिले के साधन एवं शाधिकाओ द्वारा भव्य धार्मिक अनुष्ठान कराए गए जिसमें 19 तारीख को रात्रि 9 बजे माल टोडी स्थित भगवान सालारेश्वर मंदिर महादेव मंदिर पर 501 दीपक जलाकर दीप यज्ञ किया गया तथा वेद माता गायत्री के भजन संध्या का आयोजन किया गया।

20 अगस्त प्रातः सैकड़ो की संख्या में गायत्री परिवार के अनुयायियों द्वारा सलालेश्वर मंदिर प्रांगण में एकत्रित होकर मंगल प्रभात फेरी निकाली गई तत्पश्चात पिटोल कालिया भीम पलिया में सर्व समाज के 61 घरों में गायत्री माता हवन यज्ञ के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराया गया दोपहर 12 बजे सभी घरों में यज्ञ की पूर्णाहुति हुई इसके पश्चात तीनों गांव के अनुष्ठान करता अपने सह परिवार के साथ वापस सलालेश्वर मंदिर में एकत्रित हुए वहां पर अनास गुजरात से पधारे साधक गोमाबाई धानकी के द्वारा गुरु जी के द्वाराप्रज्वलित अखंड दीप शांतिकुंज हरिद्वार में जल रहा है उसकी महता के बारे में बताया और गुरुदेव आचार्य श्रीराम शर्मा एवं गुरु माता के तपस्या के बारे में विस्तृत से बतायायहाँ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा सन १९२६ की बसंत पंचमी के दिन प्रज्वलित ज्योति के दर्शन होते हैं। यह दीप आचार्य जी ने अपनी जन्मभूमि गाँव- आँवलखेड़ा, जिला- आगरा (उ. प्र.) में १५ वर्ष की आयु में प्रज्वलित किया था, जो आज तक अखण्ड है।

आचार्य जी ने इसके सान्निध्य में कठोर तपश्चर्या करके इसे विशाल गायत्री परिवार की सारी उपलब्धियों मूल स्त्रोत बनाया है। इसके सान्निध्य में २४०० करोड़ से अधिक गायत्री जप सम्पन्न हो चुके हैं। इसके दर्शन मात्र से दिव्य प्रेरणा एवं शक्ति संचार का लाभ सभी को हरिद्वार के शांतिकुंज में पिछले 89 सालों से अखंड दीपक प्रज्वलित है। इस दीपक के साथ गायत्री की प्रतिमा है। गायत्री की यह प्रतिमा युगशक्ति का स्वरूप है। यह स्वरूप वसुधैव कुटुंब की भावना को प्रबल करता है। साथ ही वह साधक में दूरदर्शिता, विवेकशीलता आदि का भाव प्रबल करता है। शास्त्रों-पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यदि घी से कोई दीपक लगातार 24 सालों तक जलता रहे, तो वह सिद्ध हो जाता है और उसके दर्शन मात्र से ही अनेक फल मिलते हैं। यजुर्वेद में अग्नि की महत्ता के बारे में कहा गया है कि दीपक या यज्ञ अग्नि के सामने किए गए जप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त होता है। वेद में भी कहा गया है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ जिसका मतलब है अंधकार से प्रकाश की ओर चलो।

इस कार्यक्रम के पश्चात लबाना समाज के द्वारा लबाना समाज की 25 बुजुर्ग मातृ शक्तियों को साल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया इस कार्यक्रम के पश्चात महा प्रसादी का आयोजन किया गया इस महा प्रसादी को ग्रहण करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने महा प्रसादी ग्रहण की जो कि शाम 7 बजे तक चलती रहीं।