दर्दनाक हादसा: सीएम ने ट्वीट कर जताया दुःख तो विधायक ने की यह बड़ी मांग; मौत का आंकड़ा हुआ 4; पढ़िए अभी तक की पूरी अपडेट

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सलमान शैख@ झाबुआ Live

इनपुट : जितेंद्र राठौड़ (झकनावदा), लवेश स्वर्णकार (रायपुरिया)
आज रविवार का दिन क्षैत्र के लिए अमंगल साबित हुआ। एक दर्दनाक हादसे में 4 ग्रामीणों ने अपनी जान गंवा दी। इस हादसे में करीब 19 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनका उपचार पेटलावद स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है, वहीं कुछ की स्थिति गंभीर होने की वजह से उन्हें अन्यत्र रेफर किया गया।
जानकारी के मुताबिक पेटलावद विकासखण्ड के झकनावदा ग्राम की पाडलघाटी से माही नदी अस्थियों का विसर्जन करने के लिए ग्रामीणों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली सुबह दोपहर 12 बजे करीब निकली थी। यह ट्रैक्टर धतुरिया-लाबरिया मार्ग पर रास्ते में अचानक अपना संतुलन खो बैठा और ट्रैक्टर ट्राली सहित पलटी खा गया। ट्रैक्टर-ट्राली में 23 लोग बैठे थे।

इन्होंने गंवाई अपनी जान-

हादसा इतना खतरनाक था कि ट्राली में बैठे अपसिंह पिता मल्ला निवासी बरखेड़ा, फुनसिंह पिता मड़िया बारिया, रूपा पिता सकरीया बारिया दोनो निवासी पाडलघाटी की मौके पर और केगु पिता रामा गरवाल की हास्पिटल पहुंचते-पहुंचते मौत हो गई।
यह हुए गंभीर घायल-
इस हादसे में भूरा पिता थावरिया सेहलोद, रोना पिता वरसिंह गरवाल, रमेश पिता रामला गणावा, हवसिंह पिता मानतसिंह डामोर, मकना पिता हुमजी खिहोरी, लालसिंह पिता मंगला डामोर, अपसिंह पिता सुमला वसुनिया, कमजी पिता देहजी, छितु पिता हिरा, रतना पिता पौदीया, कानजी पिता जोगड़िया मैड़ा, बल्लु पिता विजय डामोर, टीटू पिता मड़िया बारिया, कुनसिंह पिता वरसिंह गरवाल, कैलाश पिता थावरिया, वजहींग पिता पांगला डामोर, मकना पिता पुना डामोर, नीरू पिता सकरीया सेहलोद सभी निवासी पाडलघाटी और सुमला पिता रामचंद भूरिया निवासी बावड़िया गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्हें आसपास के ग्रामीणों की मदद से संजीवनी 108 बुलवाकर पेटलावद स्वास्थ्य केंद्र उपचार के लिए लाया गया। जहां इनका उपचार चल रहा हैं।
सीएम ने ट्वीट कर जताया दुःख-
इस घटना पर सीएम शिवराजसिंह चैहान ने भी ट्वीट कर दुःख जताया। उन्होनें अपने ट्वीट में लिखा कि झाबुआ के पेटलावद में ट्रैक्टर पलटने से हुए हादसे में कई अनमोल जिंदगियों के असमय निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति देने तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं। हालांकि उन्होनें किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता की घोषणा अपने ट्वीट में नही की।
विधायक पहुंचे घायलों का हाल जानने-
घटना की जानकारी विधायक वालसिंह मैड़ा को लगी, तो वे फोरन घटनास्थल पहुंचे, यहां घटना के बारे में जानकारी ली। इसके बाद वहां से तत्काल पेटलावद हास्पिटल पहुंचे। यहां विधायक ने सभी घायलों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद की आश्वासन दिया। इसके बाद मृतकों के परिजनों को भी ढांढस बंधाया। वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान से इस हादसे में दिवंगत हुए लोगो के परिजनों को 10 लाख और गंभीर घायलों को 5-5 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने की मांग की।
मृतकों के परिजनों ने किया हंगामा-
घटना के बाद पाडलघाटी में मृतकों के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंनें इस घटना के पीछे ट्रैक्टर चालक की गलती बताई और यह आरोप लगाया कि चालक अगर सूझबूझ से ट्रैक्टर चलाता तो यह हादसा नही होता। घटना के बाद ट्रैक्टर चालक वहां से क्यो भागा, इस पर भी परिजनों ने आक्रोश जताया। परिजनों द्वारा हंगामें की जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को लगते ही पेटलावद एसडीओपी सोनू डावर, पेटलावद टीआई संजय रावत, रायपुरिया टीआई अनिल बामनिया आदि दलबल के साथ गांव में पहुंचे और ग्रामीणों को समझाईश दी। हालांकि काफी देर बाद ग्रामीण समझे और पुलिस ने भी राहत की सांस ली।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल-
घटना के बाद पोस्टमार्टम के लिए शवों को पेटलावद पीएम केंद्र लाया गया। यहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। परिवार की महिलाएं रो-रोकर बिलख रही थी। दूसरी महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थी। क्षैत्र में हुए इस दुःखद और दर्दनाक हादसें में सभी ने दिवंगतों के प्रति अपनी सांत्वना व्यक्त की।
विडंबनाः

एक बैड पर दो-दो घायलों का हुआ उपचार-
इस हादसे में पेटलावद स्वास्थ्य केंद्र पर विडंबना भी देखने को मिली। बैड खाली नही होने से एक बैड पर दो-दो गंभीर घायलों का उपचार किया जा रहा था। यहीं नही कुछ घायलों का उपचार जमीन पर लेटाकर किया जा रहा था। शासन-प्रशासन लाख दावें कर ले कि चिकित्सा के क्षैत्र में हमनें कई उपलब्धिया पाई है, लेकिन धरातल पर अगर स्थिति देखी जाए तो पेटलावद जैसी तस्वीरें हर एक गांव में देखने को मिल जाएगी। जिसमें मरीजों और घायलों का उपचार नीचे जमीन पर लेटाकर या फिर एक बैड पर दो-दो मरीजों का उपचार किया जाता है, तो सवाल लाजमी है कि आखिर कब तक ऐसे सिस्टम के बीच गंभीर घायलों और मरीजों का परेशान होकर अपना उपचार करना पड़ेगा। सरकार से लेकर शासन के तमाम वायदें धरातल पर क्यो कारगर साबित नही हो पाते है। यह सवाल उन जनप्रतिनिधियों और नेताओं पर भी खड़ा होता है, जो आदिवासी क्षैत्र में है।