ज्ञानोत्सव में शिक्षा जगत से जुड़े देशभर के 4000 से अधिक लोग करेंगे सहभागिता

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झाबुआ लाइव डेस्क

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास प्रासंगिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श एवं समाधान प्रदान करने के लिए विद्यालय, उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा के छात्रों, शिक्षकों एवं देश के शिक्षाविदों के लिए ज्ञानोत्सव का आयोजन करता रहा है। यह तीसरा ज्ञानोत्सव 2079  दिनांक 17-19 नवंबर, 2022 शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर प्रस्तावित है। शिक्षा से छात्र, शिक्षण संस्थान एवं देश आत्मनिर्भर बने इस विषय पर ज्ञानोत्सव 2079 में विशेष चिंतन होगा। ज्ञानोत्सव के स्वरूप के विषय में जानकारी देते हुए कार्यक्रम संयोजक श्री ओम शर्मा ने कहा कि इस आयोजन में शिक्षा के प्रत्येक घटक की सहभागिता रहेगी। पूसा, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में विद्यालय, उच्च, तकनीकी, चिकित्सा, कृषि, विधि शिक्षा में शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत व राष्ट्रीय शिक्षानीति – 2020 के क्रियान्वयन से सम्बंधित विषयों पर तीन दिन में कुल 10 सत्रों में चर्चा होगी। साथ ही दिल्ली एनसीआर के  5000  से अधिक विद्यार्थी इन तीन दिनों में प्रदर्शनी का अवलोकन करने पहुँचेंगे।

पधार रहे गणमान्य अतिथियों के संबंध में न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने बताया कि ज्ञानोत्सव में बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक व नोबल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी, भारत सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कृषि मंत्री श्री नरेंद्रसिंह तोमर, संस्कृति मंत्री अर्जुन मेघवाल, शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, शिक्षा सचिव अनिता कारवाल, विनीत जोशी, विपिन कुमार, बार काउन्सिल के मनन मिश्र,  विभिन्न केंद्रीय शिक्षा परिषदों, संस्थानों के प्रमुख उपस्थित रहेंगे। इस आयोजन में देशभर के लगभग 100 से अधिक विश्वविद्यालयों व शिक्षा संस्थानों के कुलपति व निदेशक तथा देशभर के 4000 से अधिक शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, छात्र, अभिभावक आदि सहभागिता करेंगे। श्री शर्मा ने बताया कि इस तीन दिवसीय शिक्षा महाकुंभ ज्ञानोत्सव में विमर्श इस बात पर केंद्रित होगा कि शैक्षणिक संस्थान, सामुदायिक जुड़ाव, शिक्षा और अनुसंधान में स्टार्ट-अप व विकास से देश को आत्मनिर्भर बनाने में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं इस चिंतन पर आधारित एक आधार पत्र सभी शिक्षण संस्थानों को प्रदान किया जाएगा।

इस तीन दिवसीय आयोजन में पहले दिन 17 नवंबर को विद्यालयीन शिक्षा पर चर्चा होगी, इस विषय में जानकारी देते हुए आयोजन समिति के संयोजक श्री शर्मा ने कहा कि इस दिन प्रथम सत्र में देशभर के आत्मनिर्भर भारत से सम्बंधित नवाचार व नवोन्मेश करने वाले विद्यालयों का शिक्षा मंत्री के सामने प्रस्तुतीकरण होगा उसके बाद विद्यालयों के शिक्षक, विद्यार्थी व अभिभावकों के तीन अलग अलग समानांतर सत्र आयोजित किए जाएँगे। दूसरे दिन 18 नवंबर को उच्च व तकनीकी शिक्षा पर मंथन होगा, इस संबंध में   श्री शर्मा ने बताया कि पहले सत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन व आत्मनिर्भर भारत से सम्बंधित नवाचार करने वाले उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों का प्रस्तुतीकरण होगा, उसके पश्चात कुलपति/निदेशकों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा दो समानांतर सत्रों में उपरोक्त विषय पर चिंतन किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि तीसरे व अंतिम दिन 19 नवंबर को चिकित्सा, विधि व कृषि शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पक्ष को लेकर विशेष चिंतन होगा।