साध्वीश्री बोली ” बहनो को तलवार दे भाई ” ताकी वे ..

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झाबुआ Live डेस्क के लिए ” बामनिया ” से लोकेंद्र चाणोदिया की EXCLUSIVE रिपोर्ट ।

-बामनिया में खेतलाजी मंदिर की छठी वर्षगांठ पर हिंदू शेरनी साध्वी सरस्वतीजी ने कहा
बामनिया।

दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं जिसे माता की संज्ञा दी जाएं। जिस देश् में हम रह रहे है उसे भारत माता कहा जाता है। हमारा भारत वह देश है जहां संस्कृति में अपनी पत्नी को छोड़कर हर स्त्री को मां और बहन की नजर से देखा जाता हैं बाकि देशों में स्त्रीयों को कोई सम्मान नहीं दिया जाता। हमारे देश में नारी को पूजा जाता है शास्त्रों में भी कहा गया है कि जहां नारी को पूजा जाता है वहां देवता का वास होता है।
मैं हर भाई एक आव्ह्न करना चाहूंगी कि रक्षाबंधन पर अपनी बहनों को कपड़े व अन्य उपहार दे या ना दे लेकिन एक-एक तलवार जरूर भेंट करें। जिससे वह अपनी आत्मरक्षा कर सके और समय आने पर उसका उपयोग कर सके। यह बात बलसाड़ से आई हिंदू श्ोरनी साध्वी सरस्वतीजी ने कहीं। वे बामनिया में श्री सोनाणा खेतलाजी भेरूजी मंदिर की छठी वर्षगांठ महोत्सव की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी।

हिंदू संस्कृति पर धर्मांतरण एक बड़ा प्रहार

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी हिंदू संस्कृति पर एक बड़ा प्रहार धर्मांतरण के रूप में हो रहा है हम अपने हिंदू भाई का सहयोग नहीं कर पा रहे है। जिसके कारण अन्य मीशनरीयां हमारे हिंदू परिवारों को धर्मांतरण करवा रही है। अगर हम आज भी नहीं जागे तो हमारी संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी। समाज में कई प्रकार की विकृतियां आती जा रही है हमे धर्म की रक्षा करना है। अब हर घर से एक बेटा अपने देश हिंदू राष्ट्र के लिए देना होगा। मंदिर बनाने से कुछ नहीं होगा, हमें धर्मांतरण को रोकना होगा। मंच से साध्वीजी ने ओवीसी के राम मंदिर नहीं बनने के ब्यान पर भी कटाक्ष करते हुए कहां कि एक नहीं हजारों ओवीसी भी मर जाएं तो श्री राम मंदिर बनने से नहीं रोक सकता। इस बात पर समूचा पांडाल जय-जय श्री राम के जयकारों से गूंज उठा।

गौमाता की रक्षा करना होगी

गौहत्या पर साध्वजी ने कहा कि आज हमें दुख होता है कि गाय जब तक दूध देती है तब तक उसे पाला जाता है उसके बाद या तो उसे दर-दर की ठोकरे खाने पर छोड़ दिया जाता है या कसाई के हवाले कर दिया जाता है। गौमता ऐसी माता है जिसमें 33 कोटी देवी-देवताओं का वास। तो हमे अपनी गौमाता की रक्षा करना होगी तो ही हम अपने धर्म की रक्षा कर पाएंगे। हम अपने बेटों को डाक्टर, इंजीनियर आदि बनाना चाहते है लेकिन राष्ट्रसेवा और देशसेवा के नाम पर नहीं देना चाहते।