सहकारी बैंक के ऋण भरने की तिथि को लेकर किसानों में संशय

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झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
कहने को तो देश में संचार क्रांति की शुरुआत राजीव गांधी सरकार में करीब 20 वर्ष पहले हो चुकी थी ओर देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की बात करते है और देश की संचार क्रांति के माध्यम से मिनटों में सरकारी आदेश या निजी दस्तावेज देश या विदेश के किसी भी कोने में पहुंच जाते है लेकिन दुर्भाग्य इस देश के हार्ट कहे जाने वाले मप्र शासन के सहकारी आदेश का जो 8 माह बीत जाने के बाद भी फाइलों से बाहर नहीं आ पाया। जी, हां मामला सहकारी बैंक में किसनों के ऋण का है शासन के निर्णय से किसानों पर मार पड रही है फसलों के ऋण लेने वाले किसानों को इस बार 28 फरवरी तक हिसाब चुकाना होगा।
8 माह बाद भी नहीं पहुचा सरकारी आदेश-
मप्र सरकार ने सहकारी बैंको के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की अवधि 20 फरवरी से बढ़ाकर 28 मार्च करने के आदेश सहकारिता के अपर सचिव मनोज सिन्हा ने आदेश क्रमांक 3-1/201/15-1 के तहत 11 अगस्त 2016 को जारी कर दिया गए थे परन्तु 8 माह बित जाने के बाद भी यह सरकारी आदेश कई भोपाली फाइलों में दब कर रह गया यह आदेश न तो सरकारी बैंकों में पहुंच पाया ओर न हीं जिला मुख्यालय पर पहुंच पाया।
आदेश नहीं मिलने पर कर्ज में दबेंगे किसान
भले ही सरकारी आदेश जारी हो चुके है परन्तु सरकारी बैंकों में आदेश नहीं पहुंचने के कारण अधिकारी इन आदेशों को मानने को तैयार नहीं है। बैंक लगातार 2 दिन बंद रहेगी। अब ऋण भरने के आखरी तारीख 28 फरवरी है। किसानों की जेबे खाली है और फसल खेतो में है। अब सवाल यह उठता है किसान ऋण कैसे भरेगा?
जनप्रतिनिधियों के बोल-
सरकार किसानों के साथ छलावा कर रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने आप को किसान पुत्र बताते है लेकिन आज किसान ऋण के कर्ज में दब रहा है और सरकारी अधिकारी किसानों को ऋण वसूली के लिए परेशान कर रहे है। किसानों की फसल खेतो में है और यह किसानों से ऋण वसूलने के लिए परेशान किया जा रहा है यदि तिथी 28 अप्रैल नहीं की गई तो आंदोलन करेंगे।
– कांतिलाल भूरिया, सांसद
मैं आज ही जिला सहकारी बैंक के अधिकारी और सहाकरी मंत्री से चर्चा कर मामले को देखती हूं किसानों को कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
– निर्मला भूरिया, विधायक पेटलावद
हमारे पास सरकारी आदेश नहीं आए है, इसलिए किसानों के ऋण भरने की अन्तिम तिथि 28 फरवरी है जैसे ही तिथि बढ़ाने का आदेष मिलेगा उसका पालन करेगे।
– कमलेश ओझा संस्था प्रबधंक आदिम जाति सेवा सह.झकनावदा
किसानों की सुनो-
ऋण बढ़ाने ने की आखरी तारीख नहीं बढ़ाई गई तो हमें ब्याज लगेगा। हमारी गेहूं की फसल अभी खेत में है और सोयाबीन का भी उचित दाम नहीं मिल पाया है। तिथि बढ़ानी चाहिए नहीं तो किसान कर्ज में डूब जाएगा।
– मांगीलाल राठौड़, किसान
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कर्ज लेकर ऋण जमा करवाया है जिसके कारण ब्याज अधिक लग रहा है। किसानों को यह ऋण बड़े कर्ज में डूबा सकता है। सरकार को तिथि आगे बढ़ाना चाहिए नहीं तो सभी किसान मिलकर आन्दोलन करेंगे।
-परिक्षीतसिंह, किसान