सरकारों को गौमाता की न गरीबी-महंगाई की चिंता उन्हें तो सिर्फ कुर्सी की चिंता : पंडित कमलकिशोरजी

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12झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
सरकारे कुर्सी बचाने में लगी हुई है उन्हे गौमाता की चिंता नहीं है, हर कोई अपनी कुर्सी के चक्कर में है। यदि गौमाता की चिंता होती तो अब तक कई बडे कदम उठा लिए होते। सरकारों ने गौमाता की न गरीब की, न महंगाई की चिंता है केवल उन्हें कुर्सी की चिंता है। उक्त बात मालव माटी के प्रसिद्ध संत पंडित कमल किशोरजी नागर ने पत्रकारों से चर्चा में कहीं, उन्हे वीआइपी कल्चर और गुरू कल्चर पर भी बेबाकी से अपने विचार रखे।
गुरू मार्गदर्शक होता है-
फोटो नहीं छापने देने की बात पर कहा की. आज कल प्रचलन अधिक चल गया है गुरू पूजा का,जिसे देखों वह गुरू बना कर गुरू पूजा में लगा हुआ है, जिस कारण भगवान के ऊपर तथाकथित गुरू चढ बैठे है. हमें भगवान और धर्म का प्रचार करना है। इसलिए हम नहीं चाहते की हमारे फोटो लगे भगवान के फोटो लगे और गुरू तो केवल मार्ग दर्शक होता है। उसे भगवान का स्थान नहीं लेना चाहिए. गुरू को भक्तों को भगवान की ओर जाने का रास्ता दिखाना चाहिए।
वीआईपी कल्चर समाप्त हो तभी भेदभाव मिटेगा-
इसके साथ ही पांडालों में वीआईपी नेताओं के लिए अलग व्यवस्था नहीं करने पर उन्होंने कहा की हम वर्ण भेद मिटाना चाहते है तो सबसे पहले वीआईपी कल्चर को ही खत्म करना होगा, सभी को एक समान अधिकार देेने होंगे। बड़े-बडे मंदिरों और संतों के यहां देखा गया कि वीआईपी के लिए अलग से व्यवस्था होती है, जो की गलत है भगवान के मंदिर में तो सभी एक समान होते हैं, जो पहले आए पहले पाए की भावना होनी चाहिए। इसलिए हमारे कथा पांडालों में सभी के लिए समान अवसर है चाहे व गरीब हो या अमीर या किसी भी जाति का हो।
संतो को आगे आना होगा-
इसके साथ राजनीति में संतों की भूमिका पर उन्होंने कहा की अंतराष्ट्रीय संतों को चाहिए कि वे आगे आए ओर धर्म और गाय की रक्षा के लिए प्रयास करें तभी हमारा समाज बच सकता है। आज तो धर्म राजनीति से और राजनीति धर्म से दब गई जबकी होना यह चाहिए की राजनिति को धर्म के पथ पर चल कर राष्ट्र का विकास करना चाहिए.
धर्मांतरण पर रोक नहीं-
धर्मांतरण के मामले पर उन्होंने कहा की आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी लोग है जिनको कई लोग भडकाते है और धर्म परिवर्तन करवाते है, हमें आगे आ कर ऐसे तत्वों को रोकना चाहिए और धर्म परिवर्तन होने से रोकना होगा।
तूफानी ग्रुप ने बांटी खिचड़ी.
वहीं नगर के तूफानी ग्रुप ने शनिवार को मोक्षदा एकादशी होने से शाम के समय फलियार के लिए खिचड़ी और रायते का आयोजन रखा जिसमें पांडाल में रह रहे सभी भक्तों को खिचड़ी वितरण की जिसके लिए ग्रुप के सदस्यों द्वारा 11501 रूपए समिति को दिए गए। समिति के सदस्य पं. नरेंद्र नंदन दवे, अभिभाषक विनङ्क्षद पुरोहित, ताराचंद्र राठौड, मुख्य यजमान भगवतीप्रसाद जायसवाल, मुरार,दिनेश पोरवाल सहित अन्य सभी श्रद्धालु अपना सहयोग प्रदान कर रहे है।

श्रद्धालु का आंकडा पहुंचा 30 हजार-
आज कथा में कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाया गया जिसमें श्रद्धालुओं ने कृष्ण जन्म होते ही भक्ति गीतों पर झूमने लगे तथा नाचते गाते हुए कृष्ण जन्म की बधाईयां दी। भागवत कथा के चौथे दिन मालव माटी के संत पं. कमल किशोर जी नागर ने कहा कि धर्म की आड़ में जो प्रपंच हो रहे है उन्हे रोकना होगा। रामजी के मंदिर छोटे हो गए है और दशहरा मैदान बड़े हो गए है जिस कारण से धर्म के नाम पर आडंबर हो रहे है। देश की विडंबना है कि देश मनुष्य अपने कर्म छुपा कर आडंबर कर रहा है। देश यह स्वीकार कर लेगा की आप शादी करे पर साधु बन कर शादी करके तो देश गर्त में ही जाना है। यह देश खाकी और खादी पर लगे दाग तो मिटा देगा पर भगवा पर दाग लग गया तो कैसे मिटेगा? धर्म की आड में हो रहे आडंबरों पर कटाब करते हुए कहा की देवी को बलि चढाते है भगवान को दारू चढाते हैं, किंतु देवी देवता का उससे कोई लेना देना ही बल्कि उल्टे स्वयं उनका सेवन करते है। कौशल्या का राम और यशोदा का श्याम हमारे कुछ काम का नहीं है। हमें हमारा राम और श्याम बनाना पडेगा. जो की भक्ति, पूजन,पाठ, जप और तप से बनेगा। इसलिए जीवन को अधिक से अधिक सतकार्यो में लगाओं तभी यह जीवन सफल हो पाएगा। हर व्यक्ति अच्छे काम तो कर लेता है. अच्छे काम करने वाले हाथ तो बहुत मिल जाएंगे, परंतु यहां ऐसे हाथ बहुत की कम मिलेगें जिनके हाथ से बुरा काम नहीं हुआ हो, कर कमल वे होते है जिनके हाथ से कोई बुरा काम नहीं हुआ हो, हम शिलालेखों पर लिख तो देते है। करकमलों से पर क्या जीन हाथों से उक्त कार्य का शुभारंभ हो रहा है। वह कर कमल है पैर भी चरण कमल हो सकते है यदि वह कुमार्ग पर नहीं चले हो, आंख भी नेत्रकमल हो सकती है यदि उसमें कुदृष्टि न हो। आदिवासियों के लिए कहा की यह हमारे सुरक्षा कवच है। यह हमारी रबा कर सकते है। इसलिए हमें इन्हे आगे लाना होगा। आज बडे बडे मंच है. जहां कई बडी कथाएं होती है पर गरीब उस कथा के मंच तक नहीं पहुंच पाता है और न ही कथा उस गरीब तक पहुंच पाती है. हमें ऐसी कथा करनी है जो की गरीब तक पहुंचे और उसका लाभ उसे मिले, शराब जैसी गलत आदते से वह दूर रहे, शराब को छोड़कर भक्ति रस का पान करें। समुद्र मंथन मे भी शराब निकली थी किन्तु भगवान ने उसे अपने पास रख लिया. मनुष्य कङ्क्ष सतसंग का कोई मौका नहीं छोडना चाहिए. आप पर भक्ति रस चढ़ जाएगा तो जैसे हाथी की सहायता के लिए भगवान उसकी पुकार सुन दौडे चले आए थे, इस पर उन्होंने एक भजन गुनगुनाया मेरे दिन बंधु भगवान रे गरूड़ पर चढ़ कर आ जाना। जीवन में हर कोई रस चढ़ जाता ह ैकिन्तु मनुष्य पर भक्ति रस नहीं चढ़ता है. इस कलयुग में आप कङ्क्षई भी सदकार्य करोगें तो विघ्न अवश्य आएंगे विघ्न इसलिए आएगें क्योंकि यह कलयुग है और उसका कानून चल रहा है. वह अच्छे कार्य नहीं हङ्क्षने देगा अच्छे कार्य होंगें तो कलयुग समाप्त होगा। इसलिए अच्छे कार्यों में विघ्न आते है. हमे हमारे जीवन में हमेशा भक्ति में लगा रहना चाहिए क्यङ्क्षकी इससे यज धातु की वृद्वि शरीर के अंदर होती है और उससे मनुष्य यजमान बनता और उसमें देने की वृत्ति आती है।