राजनीतिक हलचल जिला – झाबुआ

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चंद्रभानसिंह भदौरिया@चीफ एडिटर झाबुआ-अलीराजपुर लाइव

तो क्या सांसद चुनाव लडेंगे डाक्टर विक्रांत भूरिया !!

संकेत मिल रहे है कि कांतिलाल भूरिया के झाबुआ विधायक बनने के बाद अब उनके बेटे डाक्टर विक्रांत भूरिया ने लगभग मन बना लिया है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से तैयारी करेगे । तभी तो रतलाम जिले मे डाक्टर विक्रांत भूरिया की सक्रियता शुरु हो गयी है बीते सप्ताह ही वे रतलाम जिले के कुछ साव॔जनिक आयोजनों मे नजर आये। दरअसल इसके अपने फायदे भी है, क्योकि 2022 नवंबर मे एमपी विधानसभा के चुनाव होंगे ओर उस समय अगर डाक्टर विक्रांत भूरिया झाबुआ विधानसभा से दावेदारी करते है तो फिर वही जैवियर मैडा फैक्टर सामने आयेगा लेकिन अगर कांतिलाल भूरिया झाबुआ विधान सभा लड़ते है तो लोकसभा के लिए दिक्कत नहीं है ओर अब खुद पार्टी यह संकेत दे रही है कि कांतिलाल भूरिया के केंद्रीय राजनीति के अनुभवों का वह प्रदेश मे इस्तेमाल करेगी।

झाबुआ मे कमलनाथ कैबीनेट का क्या भूरिया होगे हिस्सा ?

यह सवाल इन दिनो झाबुआ से लेकर भोपाल तक के राजनीतिक गलियारों मे तैर रहा है। क्योकि कांतिलाल भूरिया बीते तीन दशकों मे अपनी किस्मत से जब भी सांसद या विधायक रहे है तब तक पावर मे ही रहे है । इसलिऐ उम्मीद जताई जा रही है कि भूरिया को शायद दिसम्बर के पहले हफ्ते के कैबीनेट विस्तार मे जगह मिल सकती है ।वैसे भी झाबुआ मे कमलनाथ कैबीनेट की बैठक दिसम्बर अंत मे प्रस्तावित है ओर झाबुआ की यह बैठक बिना कांतिलाल भूरिया के सुनी ही रहेगी .. अब देखना है कि कमलनाथ कैबीनेट का भूरिया हिस्सा कब बनते है।

इधर जैवियर मैडा समथ॔को को भी इंतजार

पावर का इंतजार केवल भूरिया समथ॔क ही नही कर रहे है बल्कि जैवियर समथ॔को को भी निगम मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति सुची का इंतजार है क्योकि बताते है कि खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जैवियर से वादा किया था कि झाबुआ विधानसभा उपचुनाव मे साथ दो मै तुम्हारा राजनीतिक कैरियर का ध्यान रखूंगा। अब बारी कमल नाथ की है इसलिऐ इंतजार हो रहा है अब देखना यह है कि कमलनाथ अपने पत्ते कब ओर किस रुप मे खोलते है ।

इधर बीजेपी नही बना पाई अपने मंडल अध्यक्षों को

पूरे मध्यप्रदेश मे बीजेपी मे इन दिनो मंडल ओर संगठन के चुनाव चल रहे है ज्यादातर जिलों मे मंडल अध्यक्षों के चुनाव होकर उनके नामों का एलान हो चुका है लेकिन झाबुआ मे संगठन मे उल्टी गंगा बह रही है यहां मंडल अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पायी है। वजह संगठन की कमजोरी है आपको वजह बता देते है कि आखिर क्यो मंडल अध्यक्षों के चुनाव नही हो पाये। दरअसल प्राथमिक सदस्यो की बुथ स्तर की सूचियाँ ही अधूरी है लिहाजा समितियां नही बन पायी।जिला चुनाव अधिकारी ने अभी तक मंडल निर्वाचन अधिकारियो को प्रामाणिक प्राथमिक सदस्यो की सुची नही दी है साथ ही सक्रिय सदस्यो की सुची का प्रमाणिकरण अभी तक नही नही हो पाया । गोरतलब है कि चुनाव एलान होते ही मंडल इकाईयां शुन्य हो जाती है मंडल निर्वाचन अधिकारी के जरिऐ चुनावी गतिविधिया होती है लेकिन झाबुआ मे इन नियमो का पालन नही किया गया जिसके चलते पेंच फंस गया है । अब कब तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा होती है यह देखने वाली बात होगी ।

अब बारी है इन पदों की ; बढेगी नेताओ की मुसीबत

मध्यप्रदेश मे कांग्रेस की सरकार को अगले पिछवाडे एक साल हो जायेगा। झाबुआ विधानसभा उपचुनाव भी हो गया लेकिन अब बारी है। कांग्रेस के B लाइन के नेताओ की महत्वपूर्ण पदों पर स्थापना का काम जिसमे सभी नेताओ को पसीना आना तय है चाहे कांतिलाल भूरिया भी क्यो ना हो दिक्कत तो उनको भी आयेगी । दरअसल अब आने वाले 150 दिनो मे जिला पंचायत झाबुआ ईआ अध्यक्ष ओर उपाध्यक्ष पद तय होना है .. झाबुआ कृषी उपज मंडी अध्यक्ष पद के साथ थोक उपभोक्ता भंडार अध्यक्ष का निर्वाचन भी होना है पीली कोठी यानी जिला सहकारी बैंक झाबुआ के चेयरमैन भी किसी ना किसी को बनाना है फिर उसके बाद जनपद अध्यक्षों की बारी भी है ओर विपणन सहकारी संस्था सहित भील सेवा संघ मे भी मनोनयन होने है पद कम है ओर दावेदार दज॔नो .. अब देखना है इस सिरदर्द से कांग्रेस ओर कांतिलाल भूरिया कैसै निपटते है ।

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