महिला को प्रसव पीड़ा में दाहोद ले जाकर परिजनों ने करवाई डिलेवरी

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झाबुआ लाइव के लिए रायपुरिया से पन्नालाल पाटीदार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-
कहने को तो प्रदेश के मुखिया शासकीय अस्पतालों में तमाम सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे करते है दवाइयां भी मुफ्त मिलने की बात कही जाती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। रामनगर के रहने वाले मुकेश पिता गेंदालाल पाटीदार की पत्नी रूकमणी पाटीदार को शनिवार सुबह प्रसव पीड़ा होने लगी तो परिजन रुकमणी को लेकर पेटलावद के सामुदायिक अस्पताल लेकर गए थे लेकिन वहां के डॉक्टरो डॉ उर्मिला चोयल और डॉ केडी मंडलोई ने महिला को यह कह कर हाथ लगाने तक से इंकार कर दिया की महिला का इलाज दाहोद चला है तो इन्हें प्रसव के लिए दाहोद ही के जाओ। प्रत्यक्षदर्शी महिलाओं के अनुसार वहां के डॉक्टर ये बातचीत करते नजर आए कि यह महिला रामनगर की है इसलिए यह केस नहीं लेना है जब यह बात परिजनों को पता लगी तो लडक़ी के पिता उंकारलाल पाटीदार ने पेटलावद बीएमओ डॉ केडी मंडलोई और डॉ उर्मिला चोयल से लडक़ी की डिलेवरी यही करवाने के लिए कई बार अनुरोध किया लेकिन फिर भी दोनों ही डॉक्टर नहीं माने यहां तक की उन्हें दाहोद ले जाने के लिए कोई एम्बुलेंस या जननी वाहन भी उपलब्ध करवाना मुनासिब नहीं समझा, तब लडक़ी के पिता उंकारलाल ने पहले अन्य निजी वाहन से परिजनों के साथ लडक़ी को पहले डिलीवरी के लिए दाहोद भेजा और बाद में कलेक्टर झाबुआ को और 181 पर इस बात की शिकायत दर्ज करवाई। यह गनीमत रही कि परिजन रूकमणी को लेकर समय पर दाहोद पहुंच गए नहीं तो बच्चा और जच्चा दोनों की जान बच गई बताया जा रहा है कि रूकमणी का प्रसव दाहोद में ऑपरेशन कर करवाया गया।
आखिर क्यों उतरे मनमानी पर डॉक्टर-
ग्रामीणों का आरोप है कि डॉ केडी मंडलोई और डॉ उर्मिला चोयल दोनों क्षेत्र में नौकरी करते हुए वर्षो बीत गए, और अपनी दबंगाई से यही जमे है। इसी दबंगाई का रौब यह कई बार मरीजों के सामने भी जमाते हैं। इस तरह के वाकये पहले भी कई बार सामने आ चुके है लेकिन इनकी ये दबंगाई के चलते मरीज तो परेशान होते ही है, जिले के उच्च अधिकारी भी इनकी इन हरकतों पर कोई कार्रवाई नहीं करते है। ऐसे में शिवराज सरकार की स्वास्थ्य सुविधाएं इन डॉक्टरों की दबंगाई के आगे शून्य साबित हो रही है।
निजी प्रेक्टिस में मशगुल डॉक्टर दंपत्ति-
पेटलावद के सरकारी अस्पताल में कई डॉक्टर पदस्थ है, लेकिन यह अस्पताल में काम अपनी निजी दुकानदारी में ज्यादा देखे जाते है। अस्पताल परिसर में ही डॉ केडी मंडलोई का निवास है यही पर इन्होंने अपनी निजी दुकानदारी खोल रखी है यह महाशय अस्पताल से अपने क्लीनिक पर बैठने में ज्यादा रूचि रखते है। यही हाल डॉ उर्मिला चोयल के है। यह भी मरीजों को सरकारी अस्पताल में देखना कम पसंद करती है अपनी निजी नर्सिंग होम में ज्यादा रुचि रखती है। यही कारण है कि रूकमणी को इन डॉक्टरों ने हाथ तक नहीं लगाया क्योंकि रूकमणी का इलाज दाहोद चल रहा था।