पेयजल की जद्दोजहद में जुटे माही डेम से सटे ग्राम के लोग

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़/संजय परमार की रिपोर्ट-
क्षेत्र में पेयजल समस्या मार्च माह में ही विकाल रूप लेने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की लिए जद्दोजहद में जुट गए है। ग्रामीण पेयजल के लिए भटक रहे है। ग्राम पंचायतों के पास पर्याप्त संसाधन की कमी और आर्थिक परेशानियों के चलते ग्रामीणों की पेयजल समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है। कई ग्रामों में तो कृत्रिम पेयजल समस्या भी उत्पन्न हो रही है। वहीं कई गांवों में जमीनी पेयजल का स्तर काफी नीचे होने से उन्हें पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इस प्रकार की समस्या से क्षेत्र की एक बड़ी पंचायत बेकल्दा के रहवासी भी जूझ रहे है यह पंचायत क्षेत्र की जीवनदायी माही नदी पर बने विशाल डेम से मात्र 5 किमी दूर है किंतु यहां के बाशिंदों को पेयजल की समस्या से हर वर्ष दो-चार होना पड़ता है।
माही डेम से सटे ग्राम में पेयजल संकट-
माही डेम से नहरों के माध्यम से 30 हजार हेक्टयर भूमि सिंचित होती है और 140 फ्लोराइड प्रभावित गांवों में पेयजल उपलब्धता करवाई जा रही है किंतु नदी व डेम से मात्र 5 किमी दूर के गांव के रहवासी पानी के लिए त्राही त्राही कर रहे है। इस का एक तकनीकी कारण यह है कि यह गांव डेम से अधिक ऊंचाई पर है और कम जनसंख्या के लिए प्रशासन लिफ्ट एरिकेशन योजना नहीं लागू कर सकती है। इनकी स्थिति चिराग तले अंधेरा की है यहां के ग्रामीणों को 5 किमी दूर बह रही माही का पानी नहीं मिलता है। भीषण गरमी में हर बार पेयजल की उपलब्धता इनके लिए एक विकट समस्या बन कर आती है। गांव के आसपास के एक या दो कुओं में पानी रहता है तो उसे बड़ी मशक्कत कर स्वयं के लिए पेयजल और पशुओं के लिए भी पानी की उपलब्धता करवाना एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
पेयजल संकट ग्रामीणों की बनी नियति-
ग्राम बेकल्दा के सोहन डामर का कहना है कि पेयजल की समस्या का सामना करना हमारी नियति बन गई है। ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम में कुएं भी खुदवाए गए किंतु पानी उपलब्ध नहीं हो पाया। वही ग्रामीण मोहन खडिय़ा का कहना है कि ग्राम से मात्र 5 किमी दूर माही नदी बहती है जहां एक बड़ा डेम बना हुआ है किंतु हमें उसका लाभ नहीं मिल रहा है। शासन को चाहिए की आसपास के रहवासियों को भी माही का पानी उपलब्ध करवाएं ताकि हमारी पेयजल की समस्या हल हो सके।