पंचायत भवन को बिना अनुमति किया जमींदोज

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सचिव कर रहा मनमानी,नहीं नियंत्रण सीईओ का
झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट।

{पेटलावद जनपद पंचायत क्षेत्र में सरपंच सचिव अपनी पंचायत क्षेत्रों में बेलगाम होकर अवैधानिक कार्यों को अंजाम दे रहे है लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचारी में मची बंदरबाट के कारण किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
मामला- मामले में ताजा उदाहरण ग्राम पंचायत धतुरिया का है, जहां पर पंचायत द्वारा कुछ निर्माण कार्य चल रहे है जिसमें एक राजीव गांधी भवन योजनान्तर्गत 15 लाख लागत के एक नये पंचायत भवन का निमार्ण किया जाना है। नये पंचायत भवन के निर्माण के लिए ग्राम पंचायत ने पुराने भवन को बिना अनुमति ही जमींदोज कर दिया जबकि पुराने भवन को तोडऩे से पहले नियमानुसार ग्राम पंचायत द्वारा लोक निर्माण विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होता है। मामले में ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिव सरपंच द्वारा पंचायत भवन को भी अन्य निर्माण कार्यों की तरह ठेके पर दे दिया है, और बिना अनुमति के ही इसे जमीजौंद कर दिया गया। अब सचिव सरपंच बगले झांक रहे है।
यह है नियम- नियमानुसार किसी भी पुराने अथवा जीर्णशीर्ण सरकारी भवन को तोडऩे के लिए नियामानुसार लोक निर्माण विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की जाती है। जिसके लिए पीडल्ब्यू डी के इंजीनियर द्वारा मौका मुआयना कर एसडीएम या जनपद पंचायत के सीईओ को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है की संबंधित भवन जीर्णशीर्ण है और इसे तोड़ा जाना उचित है, या नहीं।
लेकिन धतुरिया ग्राम पंचायत सचिव अथवा सरपंच ने इसकी अनुमति लेना उचित हीं नहीं समझा और अपने स्तर पर ही उसे जमींदोज कर दिया। ग्राम के लोगों का कहना है कि पंचायत में बंदरबाट मची है और सरपंच सचिव अपने चहेतों को निर्माण कार्य दे रहे है जबकि पंचायत के अन्तर्गत होने वाले लगभग सभी निर्माण कार्यों की एजेंसी ग्राम पंचायत ही होती है बावजूद इसके पंचायत के कार्यों में ठेके पद्धति से सभी कार्य करवाये जा रहे है।
मॉनिटरिंग में भी घालमेल- पंचायत द्वारा संपादित किये जाने वाले निर्माण कार्यों के मूल्यांकन के लिए जनपद पंचायत के इंजीनियर इसकी मॉनिटरिंग करते है लेकिन कुछ समय से देखा जा रहा है, की पंचायतों में सरपंच सचिव द्वारा जिस तरिके से निर्माण कार्यो में अवैधानिक तौर तरिके अपनाये जाते है, और इंजीनियर भी इसी लेनदेन में शामिल होते है जिस कारण पंचायतों में शासन द्वारा भरपूर राशि जाने जाने के बाद भी निर्माण कार्यो में गुणवत्ता कहीं नजर आ रही है। धतुरिया ग्राम पंचायत में इसी तरह का आलम दिख रहा है ग्रामीणों से निर्माण कार्यों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि निर्माण कायों में सरपंच सचिव अपनी मनमर्जी चलाते है और विभाग के इंजीनियर तो कभी यहां दिखते ही नहीं।
सीईओ भी लापरवाह-पंचायतों की क्रियान्वयन एजेंसी के जनपद स्तर के मुखिया जनपद सीईओ वीरेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में पंचायतों में निर्माण कार्य व रोजगारमूलक कार्य या नागरिक सुविधांओं का बंटाढार हो चला है। सीईओं की लचर कार्यशैली का पंचायत सचिव सरपंच भरपूर फायदा उठा रहे है और ग्रामीण क्षैत्रों में सरपंच सचिव अपनी मनमानी करने में लगे है। धतुरिया में पुराने पंचायत भवन को तोड़ जाने की अनुमति के मामले में भी सीईओ, मीडिया को गुमराह कर रह है उनक कहना है, की अनुमति एसडीएम से मिल चुकी जबकि एसडीएम कार्यालय से ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई।
बहरहाल धतुरिया ग्राम पंचायत निर्माण कार्यों में नियमों को ताक में रख कर लगभग सभी कार्यों में ठेेके पद्धति से कार्य करवा रही है जो बिलकुल अवैधानिक है। ग्रामीणों का कहना है, की अगर समय रहते निर्माण कार्यो की जांच नहीं होती है तो वे जिला पंचायत अधिकारी और कलेक्टर के पास जायेंगे।
धतुरिया पंचायत द्वारा पुराने भवन तोड़े जाने की अनुमति एसडीएम साहब से ली है। मैं दिखवाता हूं।
-वीरेन्द्रसिह रावत, सीईओ पेटलावद

पेटलावद-धतुरिया ग्राम पंचायत द्वारा पुरानी पंचायत भवन को तोडऩे के लिए हमारे कार्यालय द्वारा किसी भी तरह की अनुमति प्रदान की नहीं की गई।
-सीएस सोलंकी, एसडीएम

पंचायत सारे निर्माण कार्य स्वंय करवा रही हैै। किसी कार्य को भी ठेके पर नहीं दिया है। पुराने पंचायत भवन को तोडऩे के लिए जनपद पंचायत को लिखा था, शायद अनुमति मिल गयी है, दिखवाता हूं।
-हेमराज बारिया, सचिव ग्रापं धतुरिया