दिंवगत आत्माओ की स्मृति कवि सम्मेलन मे उमड़ा जनसैलाब

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झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
2 3बामनिया के लाडले प्रशांत-प्रिंस एंव पेटलावद बलास्ट मे दिंवगत आत्माओ की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिये कवि सम्मेलन आयोजन समिति द्वारा विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमे आयोजन की शुरूआत मे दिंवगत आत्माओ को श्रद्धांजलि दी गई जिसमे दीप प्रज्वजलित कर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद कवियो का स्वागत आयोजन समिति ने किया। आयोजन मे कवि प्रवीण अत्रे ने नए दोर पर बोलते हुए कहा कि जिंदगी मे दोस्त तो होना ही चाहिए। वही पेरोडीकार पार्थ नवीन ने जर्दा पर बोलते हुए जर्दा जीवन को नष्ट किए जा रहा है तो न्रमता नमिता ने अपनी प्यार भरी प्रस्तुतियो से से शमा बांधा। वही वाहे गुरू भाटिया ने शेषनाग पर काव्य पाठ करते हुए जबसे मैंने आदमी को डसा मेरा फन दुखने लगा। वही ब्रजराज ब्रज ने गंगा पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि गंगा मे जो अगर सुअर भी डुबकी लगाए तो वह भी इंसान बनकर निकलता है वही राजनिति कि गंगा मे इंसान जाता तो वह इंसान बेकार बनकर निकलता है।कवि सम्मेलन को श्रोताओ ने देर रात तक भरपूर आंनद लिया कवि सम्मेलन मे इतना जनसैलाब उमडा कि स्थिति यह रही कि श्रोताओ का बैठने कि जगह तक नही मिली कवि सम्मेलन को सुनने के लिए श्रोता पेटलावद, रायपुरिया, सांरगी, करवड, खवासा, थांदला, रावटी, राणापुर आदि दूरदराज स्थानो से आए। कवि सम्मेलन मे स्थानीय कांतिलाल चोपडा ने भी प्रशांत प्रिंस भाव विभोर अपनी खुद कि बनी चार पंक्तियां प्रस्तुत की कार्यक्र्रम का संचालन कवि लोकेष जडिया ने किया आयोजन के समापन के पूर्व सभी कवियो को स्मृति चिन्ह समिति द्वारा भेंट किए गए। आयोेजन मे आयोजन समिति के सत्यनारायण शर्मा, लोकेन्द्र चाणोदिया, विकास चोपडा, मंयक बाफना का विशेष सहयोग रहा एंव आभार सत्यनारायण शर्मा ने माना।