जैव विविधता दिवस पर किसानों को आय बढ़ाने के दिए टिप्स

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से संपूर्ण कृषि को बचाने एवं खेती की लागत को कम कर किसानों की आय को बढ़ाने के उद्देश्य से ग्राम डाबड़ी में स्वयंसेवी संस्था संपर्क द्वारा जैव विविधता प्रक्षेत्र दिवस मनाया गया। इस दौरान कृषक रामलाल पाटीदार के खेत में गेहूं की अति प्राचीन 16 किस्मों की फसल प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को पारंपरिक बीजों के महत्व एवं गुण धर्मों के बारे में बताया गया। इस अवसर पर आयोजित किसान सम्मेलन में कृषि विज्ञान केंद्र कालूखेड़ा के वैज्ञानिकों के साथ उज्जैन, रतलाम,धार, झाबुआ आदि जिलों के कई कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए।
बताई 16 किस्मों की विशेषताएं-
कार्यक्रम में शामिल हुए 400 से अधिक महिला पुरूष किसानों ने जैविक किसान रामलाल पाटीदार के खेत में लगाई गई अति प्राचीन 16 किस्मों का अवलोकन किया। जैविक कृषि विशेषज्ञों ने उक्त किस्मों की विशेषताओं से किसानों को परिचित करवाया जैसे बंशी गेहूं की फसल की ऊंचाई अधिक होने से पशु चारा अधिक मिलता है। बंशी गेहूं अपनी एल्केलाइन प्रकृति के कारण हमारी आंतो और आमाशय के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। इस की चपाती हल्की पीली एवं बेहद स्वादिष्ट होती है। इसी प्रकार शरबती गेहूं की रोटी कई घंटों तक मुलायम बनी रहती है तथा इसमें भी भरपूर पोषक तत्व पाए जाते है। विशेषज्ञों ने इसी प्रकार बूंदेली कठी, काली बाली, जावा गोदी तथा शुगर फ्री गेहूं की विशेषताओं के बारे में किसानों को बताया। कार्यक्रम में शामिल हुए किसानों ने अपने किसानी अनुभव के आधार पर वहां उगाई गई 16 किस्मों की रेटिंग की जिसमें झाबुआ जिले की स्थानीय प्रजाति साढपूरी को सबसे ज्यादा पसंद किया गया जबकि शरबती, बुंदेली कठी और शुगर फ्री को क्रमश: दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान मिला।
जानकारों ने बताए जैविक खेती के अहम सूत्र-
कृषि विज्ञान केंद्र कालूखेड़ा की मृदा वैज्ञानिक कामीनी ने कहा कि मिट्टी हजारों वर्षो में प्रकृति द्वारा बनाई जाती है। किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग कर मिट्टी की जीवंतता से खिलवाड़ कर रहे है यह घातक है धार जिले के अग्रणी जैविक कृषक राजेश जैन ने कहा कि भूमि का वास्तविक भोजन गोबर की खाद कंपोस्ट तथा गोमूत्र है यदि किसान को अपनी खेती की लागत कम करना है तो गौ-पालन को खेती से जोडऩा पड़ेगा। उज्जैन जिले में भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ नेता दयाराम धाकड़ ने कहा कि कंपनियों के भरोसे रहे तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। अपना खाद,अपना बीज और अपना श्रम के बलबूते ही खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। रतलाम जिले के ख्यात जैविक लहसून उत्पादक किसान नानालाल धाकड़ ने बताया कि भूमि में पर्याप्त पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए गोबर, गोमूत्र और गुड के घोल के मिश्रण से बनी खाद आवश्यक है इससे भूमि मित्र जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है। इससे पूर्व संपर्क की ओर से निलेश देसाई ने किसानों की वर्तमान दशा, बीजों का बाजार और रासायनिक कृषि की विसंगतियों पर प्रकाश डालते हुए जैविक कृषि को अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में बीज तकनीक के जानकार दुलीचंद्र पंवार बदनावर, जैविक उत्पाद विपणन विशेषज्ञ मोहन लाल पिरोदिया रतलाम, जीवीटी के युवा कृषि वैज्ञानिक डॉ.वरूण सिंह,वरिष्ठ सर्वोदय विचारक हरिवल्लभ पाटीदार, ठा.हनुमंत सिंह डाबड़ी ने भी संबोधित किया.
महिला किसान ने बताया अपना हुनर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उपस्थित महिला किसानों ने कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. तथा किसानी में अपनी भूमिका कम आंके जाने पर बेबाकी से अपने हकों का मुद्दा उठाया। जैविक कृषि की जानकार तारशीला भूरिया ने बताया कि महिलाएं खेती का 60 प्रतिशत काम संभालती है परंतु उन्हें इतना महत्व नहीं मिलता। महिलाओं की भूमिका खेती में मान देकर स्थितियों को बदला जा सकता है। उन्होंने सोया टॉनिक, गाय का दूध स्प्रे, वर्नीवाश निर्माण तथा मटका खाद बनाने की विधि पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों ने ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बढ़ते तापमान से गेहूं की उपज में कमी और खरपतवार नाशक के उपयोग से भूमि के बंजर होने के खतरे एवं मिट्टी कटाव और मित्र पक्षियों की विलुप्ति के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन सब मुद्दों पर सरकार-प्रशासन और समाज सबको एक साथ सोचना पड़ेगा। कार्यक्रम में राधेश्याम पाटीदार, राजाराम पाटीदार, वरसिंह भूरिया,लक्ष्मण मुणिया, मोतीलाल पाटीदार, राजू आंजना, सुरेंद्र चौहान, ज्योत्सना गरवाल आदि का सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर पंवार ने किया और आभार रामलाल पाटीदार ने माना।