पेटलावद ”आजतक” एक्सक्लूजिव रिपोर्टः दिलीपसिंह भूरिया और उनकी बेटी निर्मला भूरिया के लिए दिसंबर 2013 से शुरू हुए ‘अच्छे दिन’ का दौर खत्म होते हुए नजर आ रहा है। इन चुनाव में न केवल दिलीपसिंह के बेटे और निर्मला के भाई जसवंत सिंह भूरिया को हार झेलनी पड़ी है बल्कि उनकी राजनीतिक जमीन भी खिसकती हुई दिख रही है।
निर्मला भूरिया 2013 विधानसभा चुनाव में पेटलावद विधानसभा से चुनाव जीती थी। निर्मला ने अपने विरोधी कांग्रेस उम्मीदवार वालसिंह मेडा को 17 हजार वोट से हराया था। निर्मला की इस जीत के बाद पूरे इलाके में परिवार का वर्चस्व साबित हो गया था।
पहला झटकाः
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जीत की लहर पर सवार बीजेपी को त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण में जबर्दस्त झटका लगा। जिले की पेटलावद जनपद क्षेत्र के 5 वार्ड पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया है। सांसद दिलीप सिंह भूरिया के क्षेत्र में बीजेपी को करारी हार झेलनी पड़ी है।
कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों ने शानदार जीत की है। कांग्रेस के चंद्रवीर सिंह, कलावती गेहलोत और मालू ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस के लिए यह जीत उम्मीदों के विपरीत है। गुटबाजी झेल रही कांग्रेस इस तरह जीत दर्ज करेगी इसकी उम्मीद पार्टी के बड़े नेताओं को भी नहीं थी। इन चुनावों में सांसद दिलीप सिंह भूरिया और विधायक निर्मला भूरिया का मैजिक नहीं चला।
दूसरा झटकाः
पार्टी के तीन उम्मीदवारों को पहले चरण में मिली हार के बाद उम्मीद बेटे जसवंतसिंह भूरिया पर टिकी हुई थी। भूरिया परिवार को उम्मीद थी कि बेटी के बाद बेटा भी राजनीति में अपने कदम मजबूती के साथ रखेगा। हालांकि, परिवार की यह उम्मीद भी टूट गई और बेटे की हार के साथ पार्टी और भूरिया परिवार को झटका लगा साथ ही सबसे बड़ा झटका लगा निर्मला भूरिया को जिनके इलाके में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया।