किसान घर से तोलकर लाया गेहूं और मंडी में 19 किलो कम निकला

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
मंडी में किसानों को व्यापारी अपने तोल कांटे में गड़बड़ी कर आए दिन किसानों को उनकी फसल कम तोलकर खुलेआम लूट करने में जुटे हैं। ऐसा ही मामला शनिवार को पेटलावद मंडी में देखने को मिला जब किसान प्रकाश पिता बाबू निनामा अपने वाहन से गेहंू की फसल बेचने के लिए लाया और जब गेहूं को इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे पर वजन करने के लिए रखा तो किसान उस वक्त भौचक्का रह गया जब उसे पता चला कि उसकी फसल 19 किलो कम है जबकि किसान फसल को पूरी तोलकर लाया था। ऐसा ही वाक्या अलासिया खेड़ी के किसान भंवरसिंह और बेकल्दा के गंगाराम के साथ घटा व्यापारियों की जालसाजी का वे भी शिकार बने। अपनी फसल कम तोले जाने से नाराज किसानों ने व्यापारियों से बहस की जिसके बाद व्यापारी वहां से चले गए।
किसानों ने की कार्रवाई की मांग-
अपनी फसल बेचने के लिए आसपास की 77 ग्राम पंचायतों के किसान पेटलावद मंडी पर रोजाना पहुंच रहे हैं किसानों के साथ व्यापारी का इस तरह से किया जा रहा छलावे से ग्रामीण किसान नाराज है। किसानों ने मांग की कि उनकी कड़ी मेहनत की फसल का इस तरह से कम कर देने वाले व्यापारी पर कार्रवाई की जाए। किसान प्रकाश निनामा, भमरसिंह, गंगाराम ने कम तोलने वाले व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस दौरान किसान प्रकाश निनामा ने कहा कि मंडी में तोल के दौरान गेहूं 20 किलो कम नहीं निकलाया गया। जिस व्यापारी के इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे पर कम वजन निकला है उसे थाने ले जाकर ज्त की जाए व तोल-कांटे की जांच कर व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित तोल व दाम मिल सके।
मंडी की लाखों की इलेक्ट्रॉनिक मशीन बंद-
गौरतलब है कि पेटलावद मंडी में करीब 10 लाख रुपए इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटा है अक्सर बंद रहती है कभी कभार चालू भी हो जातै ह लेकिन न जाने क्यों वह रहस्यमय ढंग से बंद हो जाता है। किसानों का आरोप है कि मंडी में बैठे कुछ व्यापारी अपने इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे में गड़बड़ी कर किसानों की फसलों का उचित मूल्य नहीं दे रहे हैं। कई किसानों को पता तक नहीं चलता है कि कांटे में गड़बड़झाला कर व्यापारी उनकी मेहनत की फसल का उचित दाम नहीं दे रहे है कई किसानों को इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटे का ज्ञान तक नहीं है व्यापारी उनकी फसल का वजन कर बताता है और उसी मान से रुपए दे देता है और किसान फसल बेचकर चले जाते हैं।