अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में अल सुबह तक जमे रहे हजारों श्रोता

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
पेटलावद भैरवनाथ मवेशी मेले में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का रंग ध्सा जमा की रात से लेकर अल सुबह 4 बजे तक कविताओं का दउर चला। कवि सम्मेलन में मां सरस्वती की वंदना से प्रारंभ हो कर देश के सर्वोच्च कवि वेदव्रत वाजपेयी की वीर रस तक की कविताओं का सफर तय किया। नगर परिषद के द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक निर्मला भूरिया, मुख्य अतिथि के रूप में जिला थोक उपभोक्ता भंडार अध्यक्ष अनोखीलाल मेहता और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मुकुट चौहान उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
सम्मान किया गया-
कार्यक्रम में विधायक निर्मला भूरिया, विशिष्ठ नागरिकों और कवियों का सम्मान किया गया, जिसमें विशेष रूप से नगर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तीन शख्सियत का सम्मान पत्र सौंप कर किया जिसमें पूर्व नप उपाध्यक्ष हरेंद्र शुक्ला, जिला थोक उपभोक्ता भंडार अध्यक्ष अनोखीलाल मेहता और मुकुट चौहान, वहीं कवियों का भी सम्मान किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ कविता तीवारी ने मां सरस्वती की वंदना के साथ की, जिसके पश्चात क्षेत्र के उभरते हुए कवि प्रवीण अत्रे ने हास्य व्यंग की कविताएं सुनाई। इसके साथ ही उन्होने 12 सितंबर 2015 को पेटलावद ब्लास्ट की घटना पर श्रद्धांजलि कविता सुनाई तो माहौल गमगनी हो गया। इसके बाद बलवंत बल्लू ने हास्य व्यंग के ऐसे बाण छोड़े जिससे पांडाल में बैठा हर कोई ताली बजाने और ठहाके लगाने से अपने आप रो रोक नहीं पाया। उन्होंने गांधी आए सपने में कविता पर खूब दाद बटोरी और आज देश में चल रही राजनीति का चित्रण किया।
युवा पीढ़ी संभल कर विवेकानंद हो जाए-
कविता तिवारी ने अपने ओज स्वर में कविता पाठ किया तो हर कोई मंत्र मुग्ध हो गया। उन्होंने युवाओं से अपनी बात प्रारंभ करते हुए कहा हर बालिका विदुषी बने हर बालक निति निधान हो- जब तक सूरज चंदा चमके तब तक ये हिंदुस्तान रहे, साथ ही भगवान से प्रार्थना की, मेरे ईश्वर मेरे दाता ये कविता मांगती तुझसे- युवा पीढ़ी संभल कर विवेकानंद हो जाए। इसके साथ ही किसानों की विपत्ती आने पर उन्होंने सरकारों के सामने हाथ न फैलाने का कहते हुए भगवान से प्रार्थना करते हुए कहा त्रिभुवन के पत्थुनायक,आपदा प्रबंधन के स्वामी- जन जन को निरविकार कर दो। इसके साथ ही श्रंगार रस के वरिष्ठ कवि विष्णु सक्सेना ने अपना काव्य पाठ प्रारंभ किया तो प्रारंभ में उन्हाने मुक्त को के माध्यम से श्रोताओं को अपनी और खिंचा जिसमें मुख्य रूप से तू जो ख्वाबों में आ जाए तो मेला कर दे- और साथ न हो तो मेले में भी अकेला कर दे। इसके साथ ही सक्सेना के सर्वश्रेष्ठ गीत को भी श्रोताओं ने उत्साह से सुना। रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा- एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं, तुमने पत्थर का दिल हमको कह तो दिया- पत्थरों पर लिखोगें मिटेगा नहीं। इसके साथ ही राजोद के कवि जानी वैरागी ने भी अपनी मालवी भाषा और अपनी त्वरित जवाब शैली से सभी को बहुत ही प्रभावित किया, उनके द्वारा सुनाई गई कविता सरहद पर खडा सिपाही जिसने तिरंगें को अपना भगवान माना है, को बहुत दाद मिली। इसके साथ ही नोटबंदी पर किए व्यंगों का भी श्रोताओं ने खूब आनंद लिया। इसके साथ ही इंदौर से आई श्रंगार रस की कवियत्री डॉ भुवन मोहनी को भी सुना गया। अंत में वीर रस के वेदव्रत वाजपेयी ने कविता पाठ प्रारंभ किया तो ठंड में रात 3 बजे के बाद भी श्रोताओं ने कविता पाठ का आनंद लिया। उन्होंने अपनी वीर रस की कविताओं से श्रोताओं में उत्साह का संचार कर दिया। कवि सम्मेलन के सूत्रधार संजय झाला रहे।