भारत को सामर्थशाली बनाये रखने के लिये संघ की स्थापना की गई जिसका आधार सामाजिक जागरण को बनाया गया : श्री विजेंद्र

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लवेश स्वर्णकार@ रायपुरिया

देश की स्वतंत्रता के लिये हजारो अनाम क्रातिकारियों ने अपना बलिदान दिया है जिनका नाम कही पर दर्ज नही है । स्वतंत्रता के लम्बे संघर्ष के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना पूज्य डाॅक्टर जी भारत को सामर्थशाली बनाने की दूरदृष्टि रखते हुए की देश स्वतंत्र हो जायेगा लेकिन उसके बाद हमारे सांस्कृति आधार भारत के सामर्थ को बनायें रखने के लिये राष्ट्रीय अनुशासन, राष्ट्रीय चिंतन को बनाये रखने हमारे प्राचीन मानबिन्दूओं के अनुसार इंस संस्कृति संरक्षित किस प्रकार से रखा जये इसका चिंतन प्रतिदिन की शाखा में किया जाने लगा।

उक्त उदगार राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के रतलाम विभाग प्रचारक विजेन्द्र गोटी ने रायपुरिया के श्रेयश विद्यालय परिसर में आयोजित सात दिवसीय प्राथमिक वर्ग के प्रकट कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किएा। इस अवसर पर मचं पर वर्गकार्यवाह कैलाश मालीवाड, जिला संघचालक मानसिंह भूरिया उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी हरिओम पाटीदार व्दारा की गई। श्री गोटी ने कहा संघ की स्थापना के बाद से देश में जितनी भी प्राकृतिक आपदा हो या राष्ट्रीय विपदा संघ का स्वयंसेवक प्रत्येक मौर्चे पर तन समर्पित मन समर्पित राष्ट्र को यह जीवन समर्पित के भाव के साथ पहुंचा, समाज के सहयोग के लिये खडा रहा है। चाहे श्रीनगर में आपात स्थिति में सेन्य अमले के संरक्षण हेतू हवाई पट्‌टी का निर्माण, 1965 के भारत चीन युद्ध में सेन्य सहायता में संघ के स्वयं सेवकों ने सक्रिय भागीदारी निभाई है आज भी कोई भी विपत्ति को संघ का स्वयं सेवक अपनी भूमिका अदा करता है ऐसे स्वयं सेवको का निर्माण नित्य शाखा से होता है जिसके माध्यम से कार्यकर्ता ऐसे प्रशिक्षण में अपने आप को गढता है । संघ की शाखा ही हमारे कार्य का आधार है कार्यक्रताओं की प्रेरणा है।

इस अवसर पर वर्ग कार्यवाह कैलाश मालीवाड व्दारा वर्ग का वृत्त प्रस्तुत करते हुए बताया कि सात दिवसीय इस प्रशिक्षण वर्ग में संपूर्ण जिले के 77 स्थानों से 158 शिक्षार्थियों प्रशिक्षण प्राप्त किया है जिसमें 90 विधार्थी , 25 व्यवसायी, 25 किसान,18 कर्मचारी  रहे । वर्ग में प्रतिदिन दिनचार्या प्रातः से 4.30 बजे जागरण से प्रारम्भ होकर रात्रि 10.30 बजे तक रही जिसमें शारिरिक शिक्षण व शाखा प्रतिदिन 4 घंटे रहा है इसके अतिरिक्त विभिन्न चर्चा सत्र, संवाद ,अभ्यास, बौद्धिक व रात्रिकालिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हूए है । वर्ग की व्यवस्था 25 स्वयंसेवकों व्दारा सम्भाली गई थी । जिसमें 15 गाॅंवों के 1789 परिवारों से सुबह सायं 15662 रोटियाॅं  का सहयोग माताओं बहनो व्दारा घर से बनाकर प्रदान किया है।

प्रकट कार्यक्रम में बडी संख्या में सम्पूर्ण अंचल के ग्रामवासी, नागरिगण, प्रबुद्धजन, व्यवसायी सहीत माताॅंए बहने सम्मिलित हुई । इस अवसर पर प्रशिक्षणार्थीयों व्दारा सात दिवसीय प्रशिक्षण का शारीरीक बौद्धिक कोशल के रूप में समता, दण्ड, नियुद्ध , योग , सामूहिक सूर्यनम्कार , पिरामीड का प्रदर्शन किया गया । जिसे देखकर हर कोई अंचभित रह गया ।