ब्लू वेल गेम पहुंचा आदिवासी अंचल मे ; युवती ने जान देने की कोशिश की

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अलीराजपुर Live डेस्क 

पूरी दुनिया मे जानलेवा घोषित हो चुका ब्लू वेल गेम अब आदिवासी अंचल ” अलीराजपुर ” पहुंच चुका है । अलीराजपुर जिले के ” चंद्रशेखर आजाद नगर ” मे रहने वाली एक युवती को विगत एक माह पूव॔ से इस ब्लू वेल गेम की लत लगी ओर ऐसी लगी कि वह मोबाइल से दिन रात चिपकी रहती थी रात मे भी देर रात तक जगी रहती थी इससे उसकी तबियत बिगड़ने लगी तो परिवार वालों ने उसे गुजरात के दाहोद शहर मे उपचार के लिए भेजा मगर डाक्टर उपलब्ध नहीं होने से उसे वहां रहने वाली उसकी बडी बहन के घर पर रखा गया मगर उसने दो दिन पूव॔ ” अचानक “ब्लू वेल गेम खेलते हुए ब्लेड से अपनी 25 जगहों पर हाथ इस तरह से काटा कि कटी हुई जगह मछली की तरह दिखाई देती है । सुत्र बताते है कि वह गेम के आखरी पडाव मे अपनी जान देने की तैयारी मे थी मगर बहन के घरवालों ने रोक लिया ओर उसे तत्काल मनोचिकित्सक डा निलेश भैया के ” नवधा” क्लीनिक मे भर्ती करवाया गया जहां उसका उपचार जारी है ।

यह कहना है हमारे “एक्सपट॔” का
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Dr श्रृतु सिंह

DR .HRITU SINGH
MBBS, MD(PSYCHIATRY)
MANOROG VISHESHGYA ने इस पूरे मामले को जानने के बाद झाबुआ / अलीराजपुर जिले के अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी की है कृपया इस 8 बिंदुओं की एडवाइजरी को ध्यान से पढिए ओर आज ही अमल मे लाइये ।

1)- अपने बच्चो को स्मार्ट फोन या लैपटाप ना दे ओर देना हो तो कम समय के लिए अपनी निगरानी मे चलाने दे ।

2)- नियमित अंतराल पर देखें कि क्या आपके बच्चे ने ब्लू गेम इंस्टाल तो नहीं किया है । अगर किया हो तो तुरंत डांटे ओर डिलिट करें ।

3)- अक्सर मां बेहतर नींद या अपने काम आसानी से हो जाये इसलिए बच्चो को स्मार्ट फोन या लैपटाप देकर मुक्त हो जाती है ऐसी मांओ को सलाह कि आपकी प्राथमिकता आपके बच्चे होना चाहिए ।

4)- अपने बच्चे को ऐसे बच्चो की संगत से बचाए तो ब्लू वेल गेम खेलने के लिए उसे प्रोत्साहित करते हो ।

5)- बच्चे को मां बाप पूरा समय दे ; उनको आऊंटिग पर ले जायें ; कहानियां सुनाऐ । कोशिश करें कि वह मोबाइल से दूर रहे ।

6 ) – मोबाइल भी एक लत है दूसरी लत की तरह .. जैसी दूसरी लत छुडवाई जा सकती है वैसै ही मोबाइल की लत छुडवाना संभव है ।

7) -दरअसल आधुनिक जीवन मे तनाव बड रहा है इसलिए उस तनाव से दूर रहने के लिए लोग मोबाइल की ओर भाग रहे है मगर लोग मोबाइल से यह तनाव बड रहा है ।

8)- अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चो से बात करें ओर उनकी समस्याए सुने ओर उनको दूर करने की कोशिश करें