नालियों चढ़ी अतिक्रमण की भेंट, पहली बारिश में खुली सफाई की पोल

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

अतिक्रमण का पर्याय बन रहा आम्बुआ में कस्बे की नालियों पर भी अतिक्रमण की मार सफाई कर्मियों को सफाई में परेशानी होने से वे भी सफाई में कोताही बरत रहे हैं।नतीजा प्लास्टिक कचरे से नालियां बज बजा रही है 24 जून की रात हुई । पहली बारिश ने इसकी कलई खोल कर तब रख दी जब भरी पड़ी नालियों में वर्षा का पानी और ओव्हर फ्लो होकर सड़क पर तथा घरों के साथ-साथ मंदिर तथा कब्रिस्तान के बीच बनी पुलिया पर कीचड़ कचरा एकत्र हो गया जिससे आने जाने वालों को परेशानी हो रही है। हमारे संवाददाता को बोहरा समाज के  बुरहान भाई उज्जैन वाले ने बताया कि उनके निवास के पीछे बनी नालियों की सफाई नहीं हो रही है जिस कारण गंदगी पसरी है । यही हाल अन्य वॉर्डो (मोहल्लों) मैं भी है जहां पर पंचायत द्वारा नालियां बनाई हुई है । नालियों (गटरों) पर चबूतरे बनाने वालों ने मकानों के बाहर चबूतरे बना दिए हैं यह चबूतरे एक दूसरे की प्रतिस्पर्धा में बनाए गए हैं । तुर्रा यह कि उन्होंने बनाया किसी ने नहीं रोका तो मैं क्यों रुकूं में भी बना लूंगा और बना लिए ऐसे लोगों का कहना है कि तोड़ो पर सबके टूटना चाहिए कई कह रहे हैं कि मैं बीच में हूं एक सिरे (छोड़) से तोड़ने की कार्यवाही की जाए। मगर कार्यवाही करे तो करे कौन सब के नीचे अंधेरे की कहावत यहां चरितार्थ हो रही है। नालियों पर अतिक्रमण के कारण सफाई कर्मियों को परेशानी हो रही है । कुछ मकान मालिकों ने नालियों पर चबूतरे ऊंचे बनाए हैं ताकि सफाई करने वाले सफाई कर सके कुछ ने नालियों को के मुहाने पर जाली लगा दी ताकि प्लास्टिक आदि कचरा आगे ना जाए मगर कचरे के अलावा रेट मिट्टी भी तो नालियों में बहती है जो कि नालियों में जमा होकर नालियों के तल को उथला कर नालियों को भर देती है तथा सफाई नहीं होने के कारण गंदा पानी आगे नहीं भर पाता है तथा कई बार सड़क पर बहने लगता है। 24 जून को भी यही हालत रही रात्रि में तेज वर्षा के कारण कस्बे का पानी नालियों में कीचड़ तथा प्लास्टिक कचरा भरा होने के कारण नालियों से बाहर आ गया जो कि कस्बे के निचले मोहल्ले राम मंदिर तथा अंबे माता मंदिर एवं कब्रिस्तान के बीच बनी पुलिया पर जमा हो गया जिस कारण आने जाने वालों को परेशानी हो रही है तथा कीचड़ से होकर मजबूरन निकलना पड़ रहा है।  मंदिर के आसपास भी गंदगी पसरी पड़ी है आम्बुआ पंचायत के पास सफाई कर्मियों की कमी होने के कारण वह भी मजबूर हैं ऐसे में नागरिकों का असहयोगात्मक व्यवहार और अधिक परेशानी खड़ी कर रहा है कई। लोग घरों का कचरा व चाहे गिला हो या सुखा नालियों में फेंक कर गंदगी बढ़ाने में अपना अमूल्य योगदान देने में शान समझते हैं शासन की साफ-सफाई की मंशा आम्बुआ में पूर्ण रूप से दम तोड़ती नजर आ रही है। हालांकि सरपंच विगत वर्षों से अपने निजी वाहन से सप्ताह में एक-दो बार कचरा भरवा कर फिकवाते आ रही है बावजूद कचरा करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

 

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