पंडित नागर ने श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आखिरी दिन श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

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जितेंद्र वाणी, नानपुर

आलीराजपुर जिले के नानपुर ग्राम में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के आखरी दिन की कथा व्यास आचार्य पंडित कन्हैया नागर (उज्जैन) ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। सुभद्रा हरण एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए, मित्रता कैसे निभाई जाए मित्रता का भाव मन से आता है।मन में एक दूसरे के प्रति अनुराग उपजे।जो एक दूसरे के सुख दुख में भागीदार बने। वही सच्चा मित्र कहलाता है। सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में भी साथ दे।

उक्त व्याख्यान देवी कालिका मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा व्यास आचार्य पंडित नागर ने कहे। चैत्र नवरात्रि पर गुड़ी पड़वा से आयोजित कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के प्रसंग पर उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कहानी अनूठी है । राजा और रंक की मित्रता की ऐसीअनूठी दूसरी मिसाल कहीं नहीं मिलती । कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं, जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन है ,जिसे देखने वाले अचंभित रह जाते हैं। आज मनुष्य को ऐसा ही आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए ।

जब द्वारपाल के मुख से सुदामा शब्द सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी सुध बुध खो दी और नंगे पैर ही द्वार की ओर दौड़ पड़े। दोनों बाहें फैलाकर उन्होंने सुदामा को हृदय से लगा लिया। कृष्ण की आंखों से अविरल बहते आंसू ने ही सुदामा के पग धो दिए । उनके लाए चावल को बड़े स्नेह से खाया। यह दुनिया में दोस्ती के इतिहास का सबसे बड़ा उदाहरण है ।

कथा के दौरान कृष्ण सुदामा के मिलन का स्वांग भी रचा गया साथ ही गुरु जी ने सुंदर भजन सुनाया, बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिनों में आया…जिसे सुनकर कर सभी श्रोता भावुक हो उठे ।व्यासपीठ से ही पंडित नागर ने कालीका मंदिर समिति एवं उपस्थित सभी समाजजन को मंदिर के नवनिर्माण मंदिर में सहयोग की बात कही । जिसे सभी ने सहर्ष रूप मंदिर निर्माण समिति को सहयोग देकर विधिवत शीघ्र मंदिर निर्माण में आरंभ करने की बात रखी। कथा के दौरान ग्राम के सभी समाज,संस्था एवं संगठनों द्वारा पंडित नागर का सम्मान भी किया गया । मुख्य यजमान योगेश सीताराम वाणी परिवार द्वारा भागवत पोथी एवं मां कालीका की आराधना कर आरती उतारी । सभी को भागवत कथा समिति एवं कालिका मंदिर समिति द्वारा सहयोग हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया एवं आरती प्रसादी के बाद कथा का विश्राम की गई।

बड़ी संख्या में अलीराजपुर, जोबट, लक्ष्मणी,कुक्षी, छकतला, निवाली,खट्टाली, आंबुआ ,ढ़ोलिया सहित क्षेत्र के अंचल से ग्रामीण परिजनों के साथ शामिल हुए। अतिथियों का व्यासपीठ से स्वागत सत्कार किया। कथा विश्राम व विदाई के समय सभी के आंखे नम हो गई।