जिस दिन स्वयं को अज्ञानी मान लोगे वही तुम्हारे ज्ञानी होने का जन्मदिवस होगा

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अर्पित चोपड़ा@खवासा

जिस दिन स्वयं को अज्ञानी मान लोगे वही तुम्हारे ज्ञानी होने का जन्मदिवस होगा । आज तर्क कुतर्क करने वालों की भीड़ है। ज्ञानियों का गुरु बनने में मजा है वही अज्ञानी का चेला बन जाना ही अच्छा है क्योंकि ज्ञानी दिए हुए ज्ञान को आत्मसात करता है वही अज्ञानी तर्क-कुतर्क करता है। आज व्यक्ति इंटरनेट से जुड़ने का दम्भ भरता है किंतु वो ही व्यक्ति घर के लोगों से नहीं जुड़ा है। ये आज हर घर की विडंबना है । इंटरनेट से जुड़ने के कारण ही व्यक्ति परिजनों से दूर होता जा रहा है। जिस घर में सुमति होगी वहाँ संपत्ति खिंची चली आएगी । इसलिए संपत्ति नहीं सुमति पाने के लिए प्रयास करना चाहिए । उक्त उद्गार माँ सरस्वती के वरद पुत्र, मालव माटी के संत, *शेर-ए-आर्यभूमि पंडित कमल किशोरजी नागर* ने श्रीमद्भागवत महापुराण के तीसरे दिन ग्राम हरथली (रतलाम) में व्यक्त किए । संतश्री ने कहा कि समय आने पर बड़ों को भी झुकना पड़ता है। झुकना अच्छा गुण है इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए । घर भी एक मंगलसूत्र है । घर मे तनातनी होने तनाव होने पर घर के बड़ों को भी झुक जाना चाहिए और इस मंगलसूत्र को टूटने से बचा लेना चाहिए । झुकने वाला ही बड़ा होता है महान होता है । संतश्री ने कहा कि समहृदय व्यक्ति में भगवान निवास करता है। जिसपर भक्ति का रंग चढ़ जाता है उसपर दूसरा रंग नहीं चढ़ता है । कथा कभी नहीं छोड़ना क्योंकि कथा सहनशक्ति देती है । कथा बोध कराती है ।
हरथली (रतलाम) में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के तीसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंच कथा श्रवण की । कथा में झाबुआ, उज्जैन, इंदौर जिले के विभिन्न गांवों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे । कथा के चौथे दिन मंगलवार को कथा के दौरान श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा ।