मुख्यमंत्री के आदेश की अवहेलना हो रही, खुले में मांस मछली विक्रय पर नहीं लग रही रोक

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

शासन द्वारा जब भी कोई  प्रतिबंधात्मक आदेश जारी होता है उस पर तत्काल अमल कराया जाना सुनिश्चित होता है मगर देखने में आ रहा है कि प्रदेश शासन के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री के एवं जनहितैषी आदेश का पालन आम्बुआ में होता दिखाई नहीं दे रहा है आदेश का पालन कराने वाले न जाने कहा खोऐ हैं।

हम बात कर रहे हैं प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उस आदेश की जिसके तहत बाजारों में खुले रूप से बिकने वाले मांस मछली के खुले रूप में बेचने पर प्रतिबंध लगाने बावजूद जिस दिन से आदेश प्रसारित हुआ उसी दिन से कई स्थानों कस्बो  शहरों आदि में नगर पालिका, नगर परिषद, नगर पंचायतों, ग्राम पंचायत के क्षेत्र में खुले रूप से उक्त सामग्री नहीं बेची जाए धंधे पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है अपितु उसके खुले मैदान में बेचने पर प्रतिबंध है उक्त सामग्री बंद काले कांच वाली दुकानों तथा अपारदर्शी आवरण से ढक कर बेची जा सकती है आम्बुआ में आदेश के बाद से दो साप्ताहिक बाजार निकल गए मगर किसी ने भी इन वस्तुओं के खुले में बेचे जाने का व्यापारियों को नहीं बोला गया यदि कहा गया होता तो खुले में बिक्री नहीं होती मछली बाजार से आसपास के रहवासियों  ही नहीं अपितु वहां से निकालने वालों को परेशानी हो रही है। मछली की दुरगंध विशेष कर सूखी मछली की दुरगंध से पूरा क्षेत्र बदबू से भरा रहता है हाट-बाजार के बाद मछली का पानी अवशेष वही  नाली में फेंक दिया जाता है जो की तीन-चार दिनों तक बदबू मारता रहता है नागरिकों ने मछली बाजार  अन्यत्र लगाने की मांग की है।

मछली की दुरगंध से हम सभी परेशान हैं इसे यहां से हटाया जाए।

विष्णु लाल वाणी रहवासी।

सूखी मछली की बदबू इतनी अधिक आती है कि निकलना मुश्किल होता है मेरे घर के पास होने से हमें परेशानी होती है।

अमान पठान पूर्व विधायक प्रतिनिधि आम्बुआ 

मछली बेचने के बाद गंदा पानी तथा बचा हुआ सामान नाली में फेंक देने से बदबू आती रहती है

 मगन सिंह बघेल रहवासी