प्रेम का अर्थ मालिकाना हक नहीं होता है प्रेम स्वतंत्रता होनी चाहिए- पंडित शिव गुरु शर्मा

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

प्रेम विश्वास का प्रतीक है प्रेम में विश्वास होना बहुत जरूरी होता है तुम जिससे प्रेम करते हुए उस पर एकाधिकार मत जताओ राधा ने कृष्ण से प्रेम किया मगर उन्होंने कृष्ण से कभी नहीं कहा कि वह गोपियों से प्रेम क्यों करता है प्रेम में मालिकाना हक नहीं किया जाता है यदि ऐसा किया तो वह गुलामी होता है प्रेम नहीं।

             उक्त उद्गार आम्बुआ के सांवरिया धाम में पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध पक्ष में चौहान परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में उन्हेल से पधारे पंडित श्री शिव गुरु शर्मा जी व्यक्त करते हुए राधा कृष्ण के अलौकिक प्रेम प्रसंग प्रवचन के दौरान कहे उन्होंने आगे बताया कि प्रेम में शख्ती होने से प्रेम घृणा का रूप ले लेता है प्रेम का अर्थ पाना नहीं होता है इसीलिए जब कृष्ण वृंदावन चले गए तो गोपिया गोकुल में ही रही उन्होंने प्रेम में त्याग किया विद्वान पंडित जी ने आज कथा छठे दिवस भगवान कृष्ण की बाल लीला का दर्शन कराया कृष्ण का माखन चुराना मटकी फोड़ना आदि के बाद कृष्ण लीला में गोपियों के वस्त्र चुराने की लीला तब की जब गोपिया निर्वस्त्र होकर सरोवर में स्नान कर रही थी  गोटियों के बार-बार वस्त्र मांगे और अनुनय विनय पश्चात उन्हें उनकी गलती की सीख  देखकर वस्त्र वापस किए तथा उन्हें स्त्री की मर्यादा का ज्ञान भी कराया।

          आगे कथा में कालिया नाग का घमंड मिटाने की कथा में बताया कि जैसे ही कृष्ण गाय चराने वन में जाने लगे तो उन्हें पता चला कि यमुना में कालिया नाग रहता है जिसके कारण जल विषैला हो गया है तब भगवान कृष्ण ने गेंद खेलने के बहाने जमुना में छलांग लगा दी तथा कालिया नाग से युद्ध हुआ तब कालिया नाग को भगवान ने कहा कि वह यह स्थान छोड़ दें तथा रमणदीप चला जाए मगर नग ने गरुण जी  रक्षा का वचन मांगा तो श्रीकृष्ण ने कहा कि तुझे गरुण नहीं सताएगा इस तरह भगवान कृष्ण ने कालिया का घमंड चूर चूर कर ग्राम वासियों को भय मुक्त किया। आगे भगवान की मित्रों के साथ श्रीदामा के मुंह पर लगी “कढ़ी” को चाटना तथा ब्रह्मा जी द्वारा उन्हें भगवान होने की शंका के कारण श्री कृष्ण की परीक्षा लेने हेतु उनकी गाय बछड़े गायब कर देना तथा श्री कृष्ण माया से अपने पास वहीं गाय बछड़े बना लेना, तथा ब्रह्मा जी को गलती का एहसास कराने की लीला तथा ब्रह्मा जी को क्रोध में मारने के प्रयास पर ब्रह्मा जी ने सुरिशि  गाय को सामने कर देने से जिससे श्री कृष्ण शांत हो जाते।

         भगवान कृष्ण ने गौदुग्ध मथुरा ले जाने से गोपियों को रोका नहीं मानने पर मटकी फोड़ी तथा मथुरा जाने से रोक दिया बाद में कृष्ण की माखन चोरी की लीला वर्णन सुनाया गोपिया माता यशोदा से बार-बार शिकायत करती पर वह नहीं मानता और चोरी करता माखन चोरी के बाद भगवान कृष्ण की रासलीला का विस्तृत वर्णन रासलीला में भगवान शिव का गोपी रूप रखना तथा गोपेश्वर महादेव के नाम से ब्रज में स्थापित होने की कथा के बाद राजा कंस द्वारा अक्रूर जी को ब्रज भेजकर कन्हैया तथा बलराम को मथुरा बुलाना तथा वहां पर कृष्ण तथा कंस का युद्ध जिसमें पापी कंस का उद्धार करने  की कथा के बाद अपने नाना उग्रसेन को  राजगद्दी पर बैठाने के बाद भगवान कृष्ण ने अपने सखा उद्धव को वृंदावन भेजा तथा गोपियों को भक्ति का उपदेश दिया मगर गोपियों ने उद्धव को प्रेम का पाठ पढ़ा दिया वह प्रेम भक्ति में डूब कर मथुरा गए उन्हें समझ में आ गया कि परमात्मा जब भी मिलता है प्रेमियों को मिलता है।

         आगे कथा में भगवान कृष्ण कथा जरासंध की दुश्मनी तथा समुद्र में द्वारका नगरी की स्थापना एवं बाद में रुक्मणी जी का अपहरण एवं द्वारका में भगवान श्री कृष्ण एवं रुक्मणी जी का विवाह प्रसंग सुनाया आज विवाह के समय खचाखच भरे प्रवचन पंडाल में श्रोता झूम कर नाचे तथा कथा में भाव विभोर हो गए 24 सितंबर कथा का सातवा दिवस तथा विश्राम दिवस होने से कथा 11 बजे से प्रारंभ तथा इसके बाद भंडारे का आयोजन मां बिजासन मंदिर समिति द्वारा किया जाना है।