उड़द फसल पर पीलिया (येलो मोजेक) रोग लगा उत्पादन प्रभावित होगा

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आम्बुआ से मंयक विश्वकर्मा की खास रिपोर्ट 

आम्बुआ ही नहीं अपितु संपूर्ण अलीराजपुर जिले में विगत वर्षों से उड़द की फसलें चौपट होती आ रही है उड़द क्षेत्र की प्रमुख दलहन तथा आर्थिक (नगद) फसल मानी जाती है इसके खराब होने से कृषकों को भारी हानि उठाना पड़ रही है क्षेत्र में विगत 3 वर्षों से कृषि विभाग का कोई भी कर्मचारी नहीं होने से कृषकों को खेती संबंधी कोई सलाह तथा मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है विभाग इस ओर उदासीन बना हुआ है।

क्षेत्र के सरपंच श्री रमेश रावत कृषक श्री राजेंद्र सिंह राठौर, नारायण सिंह, रूमसिंह भूरिया, वेस्ता भाई, ग्राम बड़ी के कृषक राजू पटेल, भोरदू के कृषक कमलसिंह कनेश, आम्बी के कृषक लोगसिंह  बामनिया, टैमाची के कृषक प्रेमसिंह कनेश आदि ने बताया कि विगत लगभग चार-पांच वर्षों से क्षेत्र की प्रमुख फसल येलो मोजेक या पीलिया की बीमारी से खराब होती आ रही है खेतों में जब फसल फूलने-फलने की स्थिति में आती है तो यह रोग उसमें लग जाता है तथा पूरे खेत पीले पड़ जाने से उड़द में  फलिया नहीं लगती है तथा धीरे-धीरे पौधे पूरी तरह खराब हो जाते हैं जिस कारण कृषकों को जिन्होंने महंगा खाद बीज खेतों में डाला वह सब बेकार हो  जाने से कृषक कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हो रहे हैं कृषि विभाग खेतों में फसल चक्र  बदलने का कहते आए हैं जिसका भी कोई लाभ नहीं मिला है उड़द फसल की उपज से प्राप्त आय से कृषकों का पूरे वर्ष भर का खर्चा आदि चलता है इन फसलों से इतनी आई नहीं होती है बार-बार प्रतिवर्ष खराब होती फसल के कारण कई कृषकों ने उड़द बोना ही बंद कर दिया जिस कारण उड़द का रकबा कम होता जा रहा है।

आम्बुआ तथा आसपास के क्षेत्र में विशेषकर आम्बुआ मुख्यालय पर विगत लगभग तीन वर्षों से कृषि विस्तार अधिकारी नदारद है और जिला कृषि विभाग ध्यान नहीं दे रहा है कृषकों के पास जिला स्तर के कृषि अधिकारियों के संपर्क नंबर नहीं होने से उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है कृषि विस्तार अधिकारी (ग्राम सेवक) नहीं होने से कृषकों को  खाद बीज दवाइयां तथा कृषि उपकरणों का वितरण भी नहीं किया जा रहा है यह सामग्री कहां वितरण हो रही है यह भी पता नहीं है कृषकों की मांग है कि कृषि  विस्तार अधिकारी की तत्काल नियुक्ति एवं मुख्यालय आम्बुआ किया जाए।