रोल मॉडल बन रहे हैं सरकारी स्कूल; अब ऐसे हो रही पढ़ाई …

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नवनीत त्रिवेदी@ झाबुआ Live
सरकारी स्कूलों की कमजोर होती नींव को मजबूत करने के लिए संस्था प्रधान और शिक्षक डोर-टू-डोर विद्यार्थियों को स्कूलों से जोडऩे के लिए जुट गए हैं। यह सब कलेक्टर रोहित सिंह के मार्गदर्शन में हो रहा है। निजी स्कूलों की तर्ज पर फोल्डर छपवाकर स्कूलों की सुविधाओं का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वहीं स्कूलों की स्थिति को सुधारने के लिए सभी आगे आ रहे हैं। शिक्षक भी अपने-अपने स्तर पर बच्चों को कई प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने की ठान ली है। उच्च अधिकारियों और शिक्षकों के अथक प्रयासों के चलते सरकारी स्कूलों के भवनों की मरम्मत से लेकर रंग रोगन, वॉल पेंटिंग कराना, बगीचे विकसित करना तथा बच्चों के लिए झूले लगवाकर निजी स्कूलों की बराबरी की जा रही है। सभी के सहयोग से कई स्कूलें तो रोल मॉडल स्कूल बन गए हैं।
आपको बता दे कि 8 अक्टूबर को कलेक्टर रोहित सिंह द्वारा ली गयी विभागीय बैठक में शेक्षणिक गुणवत्ता व शाला परिसर के सौंदर्यीकरण बल दिया था। साथ ही विकासखण्ड वार प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, हाईस्कूल, हायरसेकंडरी स्कूल, आश्रम एवम छात्रावास संस्थाएं चयनित की जा कर उनको उत्कृष्ट विद्यालय बनाए जाने हेतु आवश्यक निर्देश सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य एवं विभागीय अमले को जारी किए थे। उसी श्रृंखला में इन्ही चयनित स्कूलों का सुदृढ़ीकरण गुणवत्ता व सौंदर्यीकरण शाला को शासन द्वारा प्रदत्त बजट से किया जा रहा है।
जिले की बहुत सी संस्थाएं इस समय कलेक्टर महोदय के निर्देशानुसार निखर गयी है। अन्य संस्थाओं में उनके सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण का कार्य तीव्रता के साथ चल रहा है। इस कार्य में सम्पूर्ण शेक्षणिक अमला, मंडल संयोजक, विकासखण्ड शिक्षाधिकारी, प्राचार्य एवं अधीक्षक लगे हुए है।

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