21 साल बाद विधानसभा में गरजे विधायक कांतिलाल भूरिया, निशानी पर थी एमपी-पीएससी

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चंद्रभानसिंह भदौरिया, एडिटर इन चीफ

दो दशक तक केंद्र की राजनीति करने के बाद वरिष्ठ आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया आज मध्यप्रदेश विधानसभा में 21 साल बाद जब बोलने के लिए खड़े हुए तो निशानी पर थी एमपी-पीएससी यानी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग। भूरिया ने इस मौके पर पीएससी की निशाना बनाते हुए प्रारंभिक परीक्षा के निर्णय क्षमता के प्रश्न पत्र में आदिवासी भील जनजाति के अपमान को बड़ा मुद्दा बनाते हुए पीएससी के जिम्मेदारों की बर्खास्त की मांग सरकार से कर डाली। भूरिया ने कहा कि जिस तरह से प्रश्न पत्र में आदिवासियों को अपमानित करने का काम किया गया है, वह अक्षम्य है और इसके लिए एक ही सजा है, जिम्मेदारों की बर्खास्तगी। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था क्योंकि संसद द्वारा पारित अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण की अवधि दस साल बढ़ा दी गई है, और इसे मध्यप्रदेश विधानसभा में भी पारित किया जाना है। इसी सत्र का फायदा उठाते हुए कांतिलाल भूरिया ने एमपी-पीएससी को निशाने पर लिया था।
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