कांग्रेस के वालसिंह मेड़ा ने भाजपा की निर्मला भूरिया को इस बार ली 5 हजार 114 मतों से बढ़त, नोटा ने भी बिगाड़ा खेल

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सलमान शेख, पेटलावद
इस बार के विधानसभा चुनावों में जैसा की लग रहा था अप्रत्याशित परिणाम आएंगे। चार बार विधायक बनकर जीत का चौका मार चुकी निर्मला भूरिया को आखिरकार हार का स्वाद चखना ही पड़ा। 1993 से एक बार कांग्रेस तो दो बार भाजपा से विधायक रही व एक बार मप्र सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री पद पर थी। कांग्रेस प्रत्याशी वालसिंह मेडा ने 5 हजार 114 मतों से जीत दर्ज कर कांग्रेस की खोई सीट पुन: लाने में सफलता हासिल की। ने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी निर्मला भूरिया को करारी शिकस्त दी। जीत के शुरूआती रूझान आने के बाद ही कांग्रेसियों ने आतिशबाजी के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से रैली निकाल दी। मात्र 1212 वोट से चौथे राउड में कांग्रेस को बढ़त मिलना शुरू हुई थी तो फिर बढत ने रूकने का नाम ही नहीं लिया। क्रमश: 2447, 3600, 6513, 9798, 6820 और फिर आखिर में 5114 वोट से बढत लेकर बाजी जीत ली। सुबह से ही लोगों में परिणामों को जानने का उत्साह था। टीवी के सामने बैठे लोग फोन से जिले व पेटलावद की स्थिति के बारे में पूछने लगे थे। चौराहों पर टीवी सीटों पर प्रदेश की स्थिति जानने के लिए लाइन लगी थी। निर्मला भूरिया को हार का मुंह दिखाने में निर्दलीय प्रत्याशी को मिले मत बढ़े मायने रख रहे है तो वालसिंह की टीम पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने जीत प्राप्त कर कांग्रेस की खोई सीट वापस ले ली है। भाजपा को अति आत्मविश्वास और फील गुड महंगा पड़ा। जानकारी के अनुसार वालसिंह मेड़ा कांग्रेस को 90 हजार 559 मत, निर्मला भूरिया भाजपा को 85445 मत मिले तो भाजपा कांग्रेस व प्रत्याशी के अलावा कोई भी अपनी जमानत नहीं बचा पाया। वहीं नोटा को इस बार 5 हजार 12 मत मिले। माना जा रहा है कि अगर ये मत नोटा पर नहीं जाते तो जरूर भाजपा को विजय मिल जाती। डाक मत पत्र में कुल मत में से कांग्रेस व भाजपा को मत मिले। कर्मचारियों के वोट जहां एक तरफा बताए जा रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पेटलावद की हार के कारण भाजपा के कार्यकर्ता चौराहों पर चर्चा करते दिखे। मतगणना स्थल से भाजपा प्रत्याशी समय से पहले कार्यकर्ताओं के साथ बाहर चली गई थी।

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