जमीन के एक टुकड़े ने इस गांव के दो मोहल्लो को बना दिया “भारत – पाकिस्तान ” की तरह दुश्मन ; अब तक 5 की हत्या

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गोरव कटकानी – कालीदेवी

200 × 500 स्केयर फीट के एक टुकड़े ने एक गांव के दो मोहल्लो ( फलियो ) मे ऐसी दुश्मनी कर दी कि वहा जाने पर हालात ” भारत -पाकिस्तान” की दुश्मनी जैसे नजर आते है। विगत 14 सालो मे 5 लोगो की नृशंश हत्या की जा चुकी है ओर इस विवाद के चलते कई परिवार ” खानाबदोश” का जीवन जी रहे है। विडंबना यह है कि इन 5 हत्याओ मे से दो हत्याए गांव मे पुलिस की तैनाती के दोरान हुई है । ऐसे मे अब सवाल उठता है कि आखिर झाबुआ जिले के कालीदेवी थाने के भुतेडी गांव के “बाथु फलिया ओर करमा फलिया” के बीच दुश्मनी की आग आखिरकार कब बुझेगी ?

अधिकांश हत्याऐ जघन्य तरीके से

कालीदेवी थाने के भुतेडी गांव के करमा ओर बाथु फलिऐ के विवाद मे अब तक जो 5 हत्याऐ 2004 से लेकर अब तक हुई है उनमें एक बात कामन है जिसे रंजिश मे मारा जाता है उसे बहुत जघन्य तरीके से क्रुरता पूर्वक मारा जाता है। 48 घंटे पहले भी जिस धन्ना की हत्या की गयी उसके चेहरे पर बंदूक टिकाकर गोलिया मारी गयी जिससे उसका शव क्षत विक्षित हो गया। उसके पहले भी धन्ना के काका बाबु को धारदार हथियार से मार दिया गया था । दरअसल यह जघन्य हत्याऐ बदला लेने की भावना को दर्शाती है ओर बुरी तरह बिगडे शव देखकर अगर मृतक पक्ष अगर ऐसी हरकत करेगा तब वह भी नृशंश तरीका आजमायेगा।

कोई ब्लू प्रिंट नही ; पुलिस ओर जनप्रतिनिधियों के प्रयास भी असफल

रंजिश की आड़ मे जल रहे भुतेडी गांव के करमा ओर बाथु फलिऐ के बीच आदिवासी परंपरा के अनुसार तोड भी नही हो पा रहा है ऐसा नही है कि पुलिस ओर जनप्रतिनिधियों ने कोशिश नही की है लेकिन दोनो फलियों के बीच दुश्मनी की आग इस कदर फैल चुकी है कि वह किसी भी कीमत पर समझोते को तैयार नही है यह आग तब ओर भडकी थी जब 2016 मे बाथु फलिऐ के एक ग्रामीण की हत्या हो गयी थी उसके बाद करमा फलिया के 45 मकानों मे रहने वाले लोग या तो जेल चले थे या भाग गये थे ओर उनके मकानों को मृतक पक्ष ने तहस नहस कर दिया था, जब जमानत पर यह लोग छुटे तब अपने करमा फलिया के लोगो ने वापस पुलिस से अगले गांव-फलिया मे लोटने की गुहार लगाकर कालीदेवी थाने मे ही डेरा डाला था ओर कई दिन तक रहे थे।उसके बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी मे इन लोगो को परिवार सहित करमा फलिया लाया गया कुछ उनमे से स्कूल फलिया मे रहने लगे थे ओर गांव मे स्थाई रुप से पुलिस बल तैनात किया गया था । सरदारपुर के बीजेपी विधायक वेलसिंह के प्रयास भी इस झगड़े को निपटाने के विफल हो चुके है ।

अब आगे क्या ?
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48 घंटे पहले हुई हत्या ने दुश्मनी ओर गहरी कर दी है अब गांव मे पुलिस ओर ज्यादा तैनात होगी ओर गुस्से मे प्रतिक्रिया भी खुशी हो सकती है । पुलिस को आदिवासी समाज के अति वरिष्ठो को डालकर ही एक कोशिश करनी चाहिए हालाकि सफलता की उम्मीद कम है लेकिन कोशिश करने मे खोने को कुछ नहीं है ।

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