तो क्या पेटलावद ब्लास्ट मे मारे गये 68 लोगों का अंतिम संस्कार “मध्यप्रदेश सरकार” ने नहीं किया था !

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सेवानिवृत्त उप वन क्षेत्रपाल मोहनलाल गेहलोत को वन विभाग द्वारा रिकवरी के लिए थमाया नोटिस
-डीएफओ के यह दावे की वन विभाग ने पेटलावद ब्लास्ट में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के लिए लकडिय़ां नहीं दी, के दावों की पोल खोलता पेटलावद नगर परिषद का यह प्रमाण पत्र।
-तत्कालीन रेंज ऑफिसर द्वारा नगर परिषद को लिखी गई चिट्ठी जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि वन विभाग ने ही रायपुरिया डिपो से लकडिय़ा दी थी।
उप वनक्षेत्रपाल मोहनलाल गेहलोत

झाबुआ लाइव के लिए मुकेश परमार की EXCLUSIVE रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के इतिहास की सबसे भीषमतम त्रासदी झाबुआ जिले के पेटलावद ब्लास्ट को माना जाता है 12 सितम्बर 2015 को हुऐ इस हादसे मे 68 लोगों की जान गयी थी लेकिन इस हादसे के करीब 28 महीने बाद अब सरकार पर बडा सवाल खडा हो रहा है अब सवाल यह कि पेटलावद ब्लास्ट मे मारे गये लोगों का अंतिम संस्कार आखिर किसके खर्च पर हुआ था । दरअसल यह सवाल इसलिए खडा हुआ क्योकि वन विभाग ने रायपुरिया के वन विभाग के डिपो के तत्कालीन इंचाज॔ एंव उप वनपाल “मोहनलाल गैहलोत ” को 3 लाख 26 हजार 169 रुपए का नोटिस यह आरोप लगाते हुए थमाया कि विभागीय जांच मे रायपुरिया वन डिपो से इतने रुपये की लडकी कम मिली है तो क्यो ना पेशंन के पश्चात मिलने वाले उनके भुगतानों से की जायें ?

तो फिर अंतिम संस्कार के लिए बल्क मे लकडिया किसने दी
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अब वन विभाग के नोटिस के बाद सवाल खडा होता है कि अगर वन विभाग के रायपुरिया डिपो से लकडीया नहीं गयी तो फिर 68 मृत लोगो के अंतिम संस्कार के लिए आनन फानन मे लकडिया कहाँ से आई ? क्योकि मोहनलाल गैहलोत कहते है कि 12 सितम्बर को हालात कैसै थे किसे से छिपे नहीं है सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल था लिहाजा तत्कालीन डीएफओ ; एसडीओ एंव रेंजर के मोखिक आदेश पर उन्होंने आनन फानन मे जेसीबी ओर ट्रेक्टर लगाकर यह लकडिया 450 क्विंटल कुल 90 चट्टे पंपावती नदी के तट पर डलवायी थी जिसका प्रमाण पत्र नगर परिषद पेटलावद से मैनै प्राप्त किया है ओर इतना ही गैहलोत के पास अपने विभाग के रेंज आफिस का लकडियो का प्रमाण पत्र देने संबंधी पत्र भी है जो उन्होंने डीएफओ साहब को दिया लेकिन उन्होंने नहीं माना ।

अब परेशान है मोहनलाल गैहलोत ; सोचते है गलती क्या थी ?
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वन विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके मोहनलाल गैहलोत अब परेशान है उनको 3 लाख 26 हजार 169रुपए का नोटिस दिया जा चुका है ओर कुल मिलने वाली 11 लाख रुपये के आस-पास की रकम मे से मात्र सवा लाख रुपये ही दिये गये है । मीडिया से बात करते हुए रोते हुए मोहनलाल गैहलोत कहते है कि उन्हे अपनी पोती की शादी करनी है बीबी का इलाज भी करवाना है लेकिन जिस विभाग मे उन्होंने 33 साल काम किया वहीं विभाग उन्हे पेटलावद ब्लास्ट मे मानवीयता ओर सजगता बताने की सजा दे रहा है ?

नगर परिषद बोली ; वन विभाग के रायपुरिया डिपो से आई थी लकडी ।
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दूसरी तरह इस मामले मे वन विभाग की पोल नगर परिषद पेटलावद खोल रही है नगर परिषद अध्यक्ष मनोहर भटेवरा ओर सीएमओ पंडया कहते है कि रायपुरिया स्थित वन डिपो से आई लडकियो से ही पेटलावद ब्लास्ट मे मृतको का अंतिम संस्कार हुआ ओर शेष लकडी हमने ग्रामीण इलाकों मे अंतिम संस्कार के लिए भिजवा दी क्योकि बडी संख्या मे पेटलावद ब्लास्ट मे पेटलावद के आस-पास के ग्रामीण भी मारे गये थे । वही रायपुरिया डिपो मे पदस्थ गाड॔ ” प्रेमसिह ” कहते है कि हमारे डिपो से ही लकडीया गयी थी ओर हमारे तत्कालीन डिपो इंचार्ज मोहनलाल गैहलोत ने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर यह लकडिया भेजी थी । वही 12 सितम्बर 2015 को पेटलावद ब्लास्ट के दिन रायपुरिया स्थित वन डिपो से लकडीया की अपनी जेसीबी ओर ट्रेक्टर के जरिए पेटलावद शमशान घाट भिजवाने वाले सुनिल पाटीदार भी इस बात की पुष्टि करते है कि पेटलावद ब्लास्ट मे मृतको के अंतिम संस्कार के लिए रायपरिया डिपो से लकडी ना जाने का डीएफओ का दावा झुठा है ।

 

डीएफओ बोले – वन विभाग की लकडीयों से नहीं हुआ अंतिम संस्कार
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इस पूरे मामले मे सबसे हैरानी भरा बयान झाबुआ के डीएफओ राजेश खरे का है जो कहते है कि पेटलावद ब्लास्ट मे मृतकों का अंतिम संस्कार के लिए वन विभाग ने लकडिया नहीं दी थी । लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि पेटलावद नगर परिषद का रिकार्ड ओर खुद वन विभाग के तत्कालीन रेंज कार्यालय का पत्र इस बात की पुष्टि करता है कि डीएफओ साहब के दावों मे कोई पेंच है ।

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