तीन दिनी अखंड संकीर्तन में झूमे भक्त, पादुका पूजन में जुटे हजारों भक्त

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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-

– अखंड कीर्तन के लिए पधारे भक्तों का सम्मान करते हुए समिति के सदस्य.

कीर्तन की है रात-सरस्वती नंदन स्वामी आ ओ भजन के साथ तीन दिवसीय अखंड संकीर्तन का समापन हुआ. जिसमें भक्तगण कीर्तन पर झूमे और गरबे खेले। सप्तम श्री जी पाद स्पर्श महोत्सव संपन्न हो गया, जिसमें तीन दिवसीय अखंड संकीर्तन की पूर्णाहुति हुई और श्रीजी पादुका पूजन का आयोजन रखा गया। इसके साथ ही विशाल भंडारे का भी आयोजन रखा गया। तीन दिवसीय आयोजन के समापन अवसर पर सुबह महाआरती का आयोजन भी किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया। इस मौके पर बडौदा से आए कंचन भाई ने कहा कि अखंड कीर्तन को जागरण कहा जाता है जैसे कोई कीर्तन से आता है तो वह कहता है जागरण से आया हूं, जिससे आदमी का जागरण होता है किंतु दूसरे स्थान यदि वह रात जाग कर आता है तो उसे उजागरा कहा जाता है जिसमें रात का सही उपयोग नहीं माना जाता है जबकि कीर्तन में जागरण होता है।
पादुका पूजन हुई-
गुरूदेव के नगर में प्रथम आगमन की याद को ताजा बनाए रखने के लिए गुरूभक्तों द्वारा प्रतिवर्ष गंगा दशमी के दिन पादुका पूजन का आयोजन किया जाता है जिस क्रम में पादुका पूजन के लिए दूर दूर से हजारों भक्तगण आते है। इसी क्रम में रविवार को भी हजारों भक्तों ने पादुका पूजन का लाभ लेने के लिए पेटलावद पहुंचे सुबह 9 बजे से प्रारंभ हुई पादुका पूजन दोपहर 1 बजे तक अविरल चलती रही। प्रथम पादुका पूजन का लाभ महेंद्र अग्रवाल ने लिया।
अभिषेक से पूर्णाहुति-
अखंड संकीर्तन की पूर्णाहुति पर गुरूद्वारा समिति के सदस्यों ने वेद मंत्रों से पुष्प वर्षा करते हुए अखंड कीर्तन के आयोजन को सफल बनाने वाले भक्तों का अभिषेक किया। पंडितों ने वेद मंत्रों का पाठ किया तो सदस्यों ने गुलाब के पुष्प से वर्षा कर अभिषेक किया।
गुरूभक्तों का सम्मान-
संकीर्तन के समापन अवसर पर गुजरात व महाराष्ट्र से आए 70 से अधिक भक्तों का बडौदा के गुरू भक्त सत्यप्रकाश परमार और उनकी पत्नी रिना परमार सहित गुरूभक्तों ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया जिसमें गुरूदेव का चित्र भेंट किया गया। इसके साथ ही समिति के कोषाध्यक्ष नरेश नारायण शुक्ला द्वारा भी भक्तों को वस्त्र भेंट कर सम्मान किया गया। इस मौके पर अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल, आश्रम प्रभारी पं.अरविंद भट्ट, मुकुट चौहान, कमलेश चौहान आदि उपस्थित थे। सात वर्ष से लगातार आयोजन में सहयोग प्रदान करने वाले प्रमुख लोगों का भी सम्मान किया गया जिसमें रविंद्र सोनी थांदला, ईश्वरचंद्र आचार्य, सत्यप्रकाश भाई परमार बडौदा और ओमप्रकाश भट्ट बामनिया को भी सम्मानित किया गया। भंडारे का लाभ हजारों श्रद्वालुओं ने लिया। सुबह आरती के पश्चात प्रारंभ हुआ भंडारा देर शाम तक चलता रहा।
आंसूओं से दी विदाई
विभिन्न प्रदेशों से आए गुरूभक्तों को तीन दिवसीय आयोजन के समापन अवसर पर जब विदाई का मौका आया तो सदस्यों की आंखों से आंसू सहज ही निकल पड़े क्योंकि आयोजन के दरमियान गुरूभक्तों के द्वारा भजनों की प्रस्तुति और गुरू के प्रति अगाध श्रद्वा देख कर हर कोई भाव विभोर हो उठता था जब विदाई हुई तो उन्ही क्षणों को याद कर बरबस ही आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। आयोजन में थांदला वैकुंठ धाम के अध्यब राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री, बंशीधर पालीवाल, एनएल रावल, मनीष अग्रवाल, गिरधारी अग्रवाल, संजय भावसार, कंचन भाई बडौदा, मफतलाल भाई,धर्मेद्र द्विवेदी, चेतन दवे, विक्रम दवे, मंगल भट्ट, धर्मेद्र वैरागी, मनोज जानी, जया पाठक, बमबम वैरागी, युगल उपाध्याय, रितेश जोशी, हेमंत शर्मा, मधुसुदन अग्रवाल, मयंक वैरागी, मुकेश सोनी, रविंद्र सोनी,राजू सतोगिया, प्रफुल्ल शुक्ला, देवराज पुरोहित आदि उपस्थित थे।

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