मामाजी की ऐतिहासिक कुटिया हुई उपेक्षा की शिकार, किसी का नहीं है ध्यान

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bamnia-25-12-16-3 झाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
मामा बालेश्वर दयाल (मामाजी) के निधन के 17 वर्ष बाद भी उनकी ऐतिहासिक कुटिया, भील आश्रम उपेक्षा का शिकार है। 26 दिसंबर को मामाजी की 18वीं पुण्यतिथि है, 26 दिसंबर को उस मसीहा को याद करने का दिन है, जिसने गरीब आदिवासियों उपेक्षित वर्ग उत्थान के लिए अपने घर वालों तक को छोड़ दिया था। इस दौरान बामनिया स्थित उनके भील आश्रम व समाधि स्थल पर अंचल सहित समीपवर्ती राजस्थान व गुजरात के राज्यों से आस्था से हजारों अनुयायी शीश नवाने बड़ी संख्या पहुंचेंगे। आस्था भी ऐसी कि कभी उनके अनुयायियों को न तो तिथि याद दिलाने की जरूरत पड़ती है और न ही बुलावा देना पड़ता है। बस पुण्यितिथि के दिन आश्रम पर कतार लगना शुरू हो जाती है। मामजी के अवसान के 17 वर्ष बाद भी उनकी कुटिया और भील आश्रम उपेक्षित है, उनकी पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष हजारों अनुयायी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं। सोमवार को मामाजी की 18वीं पुण्यतिथि है।
नहीं हैं अनुयायियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था-
इसे उपेक्षा कहे या विडंबना कि यहां आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए न तो समाजवादी पार्टी और न ही शासन-प्रशासन या किसी जनप्रतिनिधियों द्वारा खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। हर वर्ष पुण्यतिथि पर हजारों लोग जुटते है और वे भूखे-प्यासे ही रहते हैं, मामाजी की हर पुण्यतिथि पर चढ़ावे के रूप में मोटी रकम हर वर्ष यहां आती है, बावजूद इसके न तो यहां आने वाले अनुयायीयों के लिए खाने-पीने की कोई व्यवस्था की जाती है और न ही मामाजी की कुटिया को संरक्षण मिल पाया है। हर वर्ष चढ़ावे की रूप में आने वाली राशि का आखिर होता क्या है, यह एक बड़ा सवाल है? गौरतलब है कुछ वर्षो पहले आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां बकायादा भोजन की व्यवस्था की जाती थी।
उपेक्षित है भील आश्रम और कुटिया
मामाजी आदिवासी वर्ग के मसीहा रहे। उन्होंने आदिवासियों के लिए घरवालों को छोड़ दिया। जीवनभर समाज के उपेक्षित, गरीब वर्ग आदिवासियों के उत्थान के लिए न केवल संघर्ष बल्कि उनके बीच रहकर उन्ही की तरह जीवन-यापन किया और अपने जीवन के अंतिम क्षण एक कुटिया में बिताए यह कुटिया आज भी यह बताती है कि मामाजी ने अपनी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं किया। आज यह भील आश्रम व मामाजी की कुटिया पूरी तरह उपेक्षित ही है।

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