रमजान में अल्लाह की इबादत में मशगुल है मुस्लिम

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अलीराजपुर लाइव के लिए अलीराजपुर से रिजवान खान की रिपोर्ट
मुस्लिम समाज का पवित्र रमजान पर्व मे इबादतो का दौर जारी है। इन दिनो समाजजन रोजा रखकर नमाजे अदा कर खुदा की इबादत में मशगुल नजर आ रहे हैं। नगर की सभी मस्जिदों में अलसुबह सेहरी से लेकर शाम इफ्तार तक और देर रात तराबीह की नमाजों में समाजजनों की चहल-पहल नजर आ रही है। समाजजन जकात, सदका खैरात कर गरीब यतीम लोगो का बांट रहे हे। हर शख्स नेकिया कमाने में जुटा है।
रोजा रखने वाला जन्नत का हकदार
जामा मस्जिद के पेर्श माम अख्तर रजा ने जुमे की नमाज के दौरान तकरीर मे कहा रोजा हर मुस्लिम महिला-पुरुष बालिग बच्चों पर फर्ज किए गए है। रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है। अल्लाह का फरमान है। रोजा मेरे लिए है और उसकी जजा मैं दूंगा जो शख्स रोजे रखता हैं वह जन्नत का हकदार है। रोजा एक पोशीदा इबादत है रोजे में सिर्फ रोजेदार भूखा, प्यासा ही नहीं रहता है बल्कि हर बुराई से वह महफूज रहता है। रमजान के तीस रोजे बुराई से दूर रहने के संदेश के साथ-साथ गरीबों की भूख व प्यास का भी एहसास कराते हैं। पेश ईमाम ने कहा कि रमजान महीने का पहला अशरा(दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा दोजख से निजात दिलाने का है। इस दौरान रोजदार को ईबादत करनी चाहिए और सेहरी और इफ्तार का खास ख्याल रखना चाहिए। रमजान के दौरान मुस्लिमों को अपनी कमाई मे से जकात देना फर्ज है। जकात का मतलब यह कि अल्लाह की राह में अपनी आमदनी मे से कुछ रुपए निकालकर जरूरतमंदों को देना। जकात को रमजान के दौरान ही देना चाहिए ताकि हकदार गरीबों तक वो पहुंचे और वो भी ईद बना सकें।
26 वी रात का विशेष महत्व-
पवित्र रमजान माह मे एक रात ऐसी है जो हजारो रातो से महत्वपुर्ण रात है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार रमजान मे शबे कद्र 26वें रोजे की रात का विषेष महत्व है। इस रात मे कई धार्मिक वाकियात हुए है। शबे कद्र की रात मे समाजजन जागरण कर मस्जिदों मे नमाजे ओर इबादत कर रब को राजी कर अपने गुनाहों की माफी की दुआंए मांगते हैं।

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