चंद्रभान सिंह भदौरिया @ झाबुआ
पश्चिम मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में आखिर ऐसी कौन सी 7 प्रमुख जगहें हैं जहां पर्यटन की दृष्टि से घुमने जाया जा सकता है ..तलाश करने पर आपको धार्मिक महत्व के स्थल ज्यादा मिलेंगे .. लेकिन योग से यह धार्मिक महत्व के स्थल घूमने लायक भी है ।। आइये आपको बताते हैं यह स्थल…

1) बाबा डूंगर ( समोई ) : यह झाबुआ जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर रानापुर विकासखण्ड में है आलीराजपुर जिले के भाबरा से यह 23 किलोमीटर की दूरी पर है .. आदिवासियों के प्रिय बाबादेव यहां एक पहाड़ी पर विराजमान हैं .. मान्यता है कि बाबा देव का स्मरण करने ओर उनके समक्ष मान लेने से मनोकामना पूर्ण होती है .. यहां लोग चुनाव जीतने – नौकरी लगने – शादी होने – मुकदमें समाप्त होने – बेहतर फसल एंव स्वास्थ्य की कामना लेकर आते हैं ..पहले पहाड़ी पर पैदल चढ़ना होता था लेकिन एक दशक पहले यहां घुमावदार सडक बना दी गयी है .. यहां पश्चिम मध्यप्रदेश के अलावा दक्षिण राजस्थान एंव गुजरात से भी बड़ी तादाद में भक्त पहुंचते हैं ।

2) देवल फलिया : जैसा नाम से स्पष्ट है देवताओं का मोहल्ला.. यहां परमारकालीन एतिहासिक महत्व का पंचमुखी शिवलिंग है ..तथा एक कुंड में अज्ञात स्रोत से एक जलधारा आती है जो अनगिनत सालों से कभी बंद नही हुई .. मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है ..एक दशक पहले इस मंदिर की अवस्था जर्जर हो गयी थी फिर पुरातत्व विभाग ने इसे दुरुस्त करवाया ..यहां महाशिवरात्रि पर मेला लगता है ..यह भी जिला मुख्यालय झाबुआ से 30 किलोमीटर ओर आलीराजपुर जिले के भाबरा से महज 15 किलोमीटर दुरी पर है .. मंदिर तक सड़क मार्ग उपलब्ध है ।

3) देवझिरी शिवालय : देवझिरी झाबुआ जिला मुख्यालय से कालीदेवी की ओर महज 7 किलोमीटर की दुरी पर एक शिवालय है .. यहां एक झिरी निकलती है एक गोमुख से जो सीधे कुंड में गिरती है .. किंवदंतियों के अनुसार यह नर्मदा का जल है जो संत सिंगाजी महाराज के तप से यहां पहुंचा था ..देवझीरी संत सिंगाजी की तपोभूमि रही है ..यहां श्रावण महीने के हर सोमवार को विशेष पूजा ओर भंडारे लगते हैं .. आदिवासी समुदाय यहां लगभग हर दिन सैकड़ों की तादाद में पहुंचकर अपने पुरखों का अनुष्ठान करते हैं .. यहां आसपास घना जंगल है जो बारिश में घूमने लायक है

4) विश्व मंगल हनुमान धाम तारखेडी : बैतूल-अहमदाबाद नेशनल हाईवे से दत्तीगांव टोल बैरियर के पास से करीब 15 किलोमीटर दुर यह धाम है जहां झाबुआ जिला मुख्यालय से अलग अलग रास्तों से करीब 35 से 45 मिनट में अपने वाहनो से पहुंचा जा सकता है .. इस दाम की विशेषता यह है कि हनुमान जी की सिद्ध प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी ..इसके बाद कुछ दशकों पहले मंदिर का भव्य निर्माण करवाया गया .. यहां अक्सर मंगलवार ओर शनिवार को बड़ी संख्या में धार – इंदौर – झाबुआ – रतलाम आदि आसपास के जिलों से हनुमान भक्त आते हैं .. हनुमान जयंती पर भव्य आयोजन होता है .. मान्यता है कि यहां विराजे रामभक्त हनुमान जी आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं दुख तकलीफ दुर करते है .. अक्सर यहां लोग 5 मंगलवार लगातार दर्शन करने आकर अपनी मन्नते पूर्ण होने का आशीर्वाद पाते हैं ।

5) टिटकी माता मंदिर : अनास नदी के किनारे खुबसूरत वादियों में एक खड़ी चट्टान पर विराजी हैं टिटकी माता .. झाबुआ जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दुर जंगल ओर पहाड़ में विराजमान टिटकी माता को सर्वसमाज के साथ आदिवासी समुदाय में खासा महत्व है .. मुख्य धारा की सड़क से दूर होने से यह स्थल छिपा हुआ सा था लेकिन बीते साल आई मीडिया रिपोर्ट के बाद यहां आने वालों की तादाद बढ़ी है ..खासकर बारिश में यह स्थान बेहद खूबसूरत लगता है .. अब यहां प्रशाशन अपने स्तर पर सहुलियतें बढ़ाने का प्रयास कर रहा है ..आपको यहां अवश्य जाकर टिटकी माता का आशीर्वाद लेना चाहिए
6) स्वयंभू माता मंदिर देवीगढ़ : दिल्ली – मुंबई एक्सप्रेस वे के टिंबरवानी इंटरचेंज से 8 किलोमीटर ओर थांदला से 6 किलोमीटर दुर देवीगढ़ के गांव की पहाड़ी पर पद्मावती नदी के किनारे स्वयंभू माता विराजमान हैं ..यह पावागढ़ वाली माताजी का स्वरूप मानी जाती है .. कहते हैं स्थानीय पाटीदार समाज के पुरखे जब पावागढ़ शक्तिपीठ जाते थे तो आवागमन मे परेशानी का अनुभव करते थे ..ऐसे में उन्होंने पावागढ़ शक्तिपीठ की माता से आव्हान किया कि उनकी इस दिक्कत का हल करें ..इस पर माताजी स्वयं देवीगढ़ में प्रकट हो गयी..ओर पाटीदार समाज यही पर उनकी आराधना करने लगा ..हाल ही में यहां पहाड़ी पर हनुमान जी की एक भव्य एंव विशाल आदमकद मुर्ति स्थापित की गयी है .. यहां भी मेला लगता है ओर नवरात्र में विशेष अनुष्ठान ओर आराधना माता भक्त करते हैं .. बारिश में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है ।
