ईंट भट्टे के प्रदुषण से ग्रामवासी परेशान, फेफड़े के संक्रमण का ख़तरा बढ़ा, जिम्मेदार मौन

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मयंक विश्वकर्मा @ आम्बुआ

:- आम्बुआ कस्बे की विभिन्न समस्याओं में से एक प्रमुख समस्या जो कि स्वास्थ्य से जुड़ी है यह मानव स्वास्थ्य पर किस तरह प्रभाव डालती है यह यहां के निवासियों से बेहतर कौन जान सकता है। बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन का मौन रहना इन्हें समर्थन देने जैसा है समाचार पत्रों में समाचारों तथा पत्रकारों के प्रतिनिधियों द्वारा जिलाधिकारी से मिलकर समस्या से अवगत कराने के बावजूद एक साल में भी कोई उचित निदान नहीं निकाला गया।

हम बात कर रहे हैं आम्बुआ तथा समीप ग्राम बोरझाड़ में संचालित ईट भट्टों की दोनों ग्रामों में आवासीय क्षेत्रों के समीप विगत वर्षों से ईटो का कारोबार करने वाले व्यवसाई कार्यरत है। इस व्यवसाय की प्रथम शर्त यही बताई जा रही है कि इसके भट्टे आवासीय क्षेत्रों से दूर होना चाहिए इन्हें पकाने हेतु जो भी इंदन उपयोग में लाया जाए उसका धुआं तथा धूल एवं राख के कण मानव जीवन को प्रभावित नहीं करें, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाए मगर इसका पालन नहीं किया जा रहा है। ईटों को पकाने हेतु पत्थर कोयले का उपयोग किया जा रहा है जिसका धुआं जब निकलता है तो उस से बदबू आती है तथा काला धुआं आसपास रहने वालों की सांसों में जाकर बीमारी फैलाता है जिस कारण आंखों में जलन, अस्थमा आदि की शिकायत मिल रही है सुबह तथा शाम को धुएं के कारण कस्बे में अंधेरा छा जाता है हवा का रुख यदि सड़क मार्ग की ओर हुआ तो वाहन चलाने में परेशानी होती है।

ये ईट भट्टे आवासीय क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षण संस्थाओं को भी प्रभावित कर रहे हैं आम्बुआ में स्थित ईट भट्टों के पास कई धार्मिक स्थल भी मौजूद है जहां आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होती रहती है। इस समस्या की जानकारी देने हेतु आम्बुआ पत्रकार संघ के सदस्यों ने विगत वर्ष अनुविभागीय अधिकारी लक्ष्मी गामड़ से भी मुलाकात कर कार्यवाही का अनुरोध किया था उनका कहना था कि हम धंधा बंद करा कर किसी के पेट पर लात नहीं मार सकते आप लोग लिखित शिकायत करें ताकि जांच हो सके। ईट भट्टा संचालकों के पास जब भी कोई जाता है तो वह वर्षों पुराने एक पत्र मोबाइल से दिखा देते हैं कि इन्हें इस धंधे की छूट है पत्र में कुम्हारों को मिट्टी तथा रेट की रॉयल्टी से छूट की बात लिखी है साथ ही उनकी एक सीमा भी तय है यह छूट मिट्टी के बरतन तथा कवेलू आदि के लिए है। इसी पत्र की आड़ में यह लोग बड़े स्तर पर लाखों की संख्या में ईट बनाना पकाना आदि के बाद बड़े स्तर व्यवसाय करते हैं वर्तमान में पुनः ईंट बन कर तैयार है तथा बट्टे लगाए जा रहे हैं अति शीघ्र लोगों को प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा और प्रशासन कोई कार्यवाही करता है या नहीं यह भविष्य बताएगा।

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